चार करोड के स्मोक डिटेक्टर्स 80 करोड़ में खरीदे

07 Nov 2025 14:39:57

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पुणे, 6 नवंबर (आज का आनंद न्यूज नेटवर्क)

चिकित्सा शिक्षा और औषधि विभाग ने ससून अस्पताल, सोलापुर के श्री छत्रपति शिवाजी महाराज सुपर स्पेशलिटी हॉस्पिटल और मुंबई के केईएम व उससे संलग्न सरकारी अस्पतालों में आग से सुरक्षा के लिए खरीदे जा रहे डीटेक्स स्मोक डिटेक्टर की खरीद में अनियमितता की गई है. खुले बाजार के मुकाबले 20 से 30 गुना अधिक दर पर की जा रही इस खरीद में स्मोक डिटेक्टर की कीमत चार करोड़ से बढ़ाकर पूरे 80 करोड़ रुपये तक पहुंचा दी गई है. यह काम बिना किसी स्पर्धा के एक ही कंपनी को सौंपा गया है. यह भ्रष्टाचार नहीं बल्कि सीधा डाका है, ऐसा आरोप सूचना अधिकार कार्यकर्ता विजय कुंभार ने लगाया है. कुंभार ने इस संदर्भ में मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस और चिकित्सा शिक्षा व औषधि मंत्री को पत्र भेजकर इस खरीद को रद्द करने की मांग की है. इसमें चिकित्सा शिक्षा और औषधि विभाग ने एरोलिक टेक्नॉलॉजीज प्रा. लि. कंपनी से स्मोक डिटेक्टर खरीदने की मंजूरी दी है. इसके अंतर्गत ससून अस्पताल में 350, सोलापुर के श्री छत्रपति शिवाजी महाराज अस्पताल में 353 यूनिट्स और मुंबई के केईएम व संलग्न अस्पतालों में 136 यूनिट्स लगाए जाने वाले हैं. एक स्मोक डिटेक्टर की कीमत 9 लाख 42 हजार 820 रुपये तय की गई है. इस संबंध में शासन के निर्णय में डीटेक्स स्मोक डिटेक्टर प्रणाली को एकमात्र वस्तु के रूप में वर्गीकृत किया गया है. औद्योगिक सूत्रों के अनुसार साधारण स्मोक डिटेक्टर 25 से 30 हजार रुपये तक उपलब्ध हैं. वहीं अस्पताल स्तर के उन्नत मॉडल 40 से 60 हजार रुपये तक बाजार में उपलब्ध हैं. बड़ी मात्रा में यूनिट्स खरीदी जाएं तो 15 से 30 प्रतिशत तक डिस्काउंट भी मिल सकता है. ऐसी स्थिति में शासन ने बिना कोई जानकारी लिए एक ही कंपनी से 9 लाख 43 हजार रुपये की दर पर पूरे 839 यूनिट खरीदने का निर्णय लिया है. महज चार करोड़ रुपये के काम को बढ़ाकर पूरे 80 करोड़ रुपये तक पहुंचाकर जनता की तिजोरी पर डाका डाला गया है.  
 
किसानों की अनदेखी की जा रही
एक ओर किसानों को पैसे नहीं हैं कहकर उनके मुंह पर पत्ता रख दिया जा रहा है. वहीं दूसरी ओर शासन ही इस तरह जनता की तिजोरी की लूट कर रहा है. शासन को यह खरीद स्थगित करनी चाहिए. इसके लिए स्वतंत्र जांच समिति नियुक्त की जानी चाहिए. महाराष्ट्र ई-निविदा पोर्टल से डीटेक्स स्मोक डिटेक्टर के प्रतिस्पर्धात्मक दर मांगे जाने चाहिए. जनता की तिजोरी पर डाका डालने वाले अधिकारियों की जिम्मेदारी तय कर उन पर अनुशासनात्मक कार्रवाई की जाए, ऐसी मांग विजय कुंभार ने ज्ञापन के माध्यम से की है.  
 
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