पुणे, 8 नवंबर (आज का आनंद न्यूज नेटवर्क)
समाज में सब अलग-अलग पेशों में हैं. कोई सेना में राष्ट्र सेवा कर चुका है,कोई चिकित्सा के माध्यम से उम्मीद जगाता है,कोई वकालत के माध्यम से न्याय की राह दिखाता है पर हमारा मूल भाव एक ही है समाज में मानवीयता, आदर्श, सेवा और चरित्र को जीवित रखना. व्यक्ति अपने परिवार, समाज, धर्म और राष्ट्र सभी के लिए उत्तरदायी है. हर पेशे का लक्ष्य सिर्फ रोजगार नहीं,बल्कि बेहतर समाज निर्माण की जिम्मेदारी है. यह विचार विभिन्न पेशे से जुड़े लोगों ने दै.आज का आनंद के लिए प्रो. रेणु अग्रवाल से बातचीत में व्यक्त किए.प्रस्तुत हैं उनकी बातचीत के प्रमुख अंश -
उम्र नहीं जअबा मेरी असली शक्ति
मेरे परिवार में मेरी पत्नी श्रीमती आभा सिंह, मेरा बेटा लेफ्टिनेंट कर्नल नवीन कुमार सिंह (भारतीय सेना में चिकित्सक) और मेरी बेटी श्रीमती अर्चना सिंह हैं. मेरा परिवार ही मेरी सबसे बड़ी शक्ति है. मैं सेना में 26 वर्ष तक चिकित्सकीय सहायक के रूप में देश की सेवा कर चुका हू्ँ. अब जीवनशैली व स्वास्थ्य मार्गदर्शक के रूप में लोगों को स्वस्थ, प्रसन्न और संतुलित जीवन का मार्ग दिखाता हूं. आज भी 60 वर्ष की उम्र में 50 किलोमीटर की दौड़ पूरी कर चुका हूं और प्रत्येक माह 10 से 21 किलोमीटर दौड़ता हूं. मैंने जीवन से यही सीखा है उम्र केवल गिनी जाने वाली संख्या है, असली शक्ति मन का जअबा है. -कोच सुनील कुमार सिंह
उपचार ही नहीं, जीवन में उम्मीद जगाना जरूरी
हमारे परिवार में मेरे सास-ससुर और हम दोनों पति-पत्नी रहते हैं. मैंने वाणिज्य गृह चिकित्सा, आयुर्विज्ञान, सौंदर्य चिकित्सा, मधुमेह शिक्षण और मार्गदर्शन का अध्ययन किया है. पिछले 15 वर्षों से चिकित्सा सेवा तथा उपचार मार्गदर्शन कर रही हूं. तलेगांव में गुरुकृपा चिकित्सालय और वडगांव (मावल) में आठ बेड वाला छोटा अस्पताल संचालित करती हू्ँ. मैं सामाजिक सेवा संस्था ट्रस्ट हेल्थकेयर फाउंडेशन की अध्यक्ष भी हूं. हमारा कैंसर अस्पताल पुणे में है, जहां मरीजों का उपचार अफोर्डेबल फीस में किया जाता है. मेरे लिए चिकित्सक होना केवल रोजगार नहीं, समाज सेवा है. -डॉ. डॉली अग्रवाल, लोनावला (पुणे)
वक ालत समाज के प्रति उत्तरदायित्व भी है
मेरी उम्र 51 वर्ष है. मैं वृंदावन कॉलोनी, नंदुरबार में रहता हूं. मेरे परिवार में पिताजी, बड़े भाई, भाभी, पत्नी, पुत्र और पुत्री सभी एक साथ रहते हैं. मेरी इच्छा है कि मेरे बच्चे बड़े होकर समाज, देश और धर्म की सेवा करें. पेशे में पैसा कम मिले या अधिक पर उनके कार्यों में समाज सेवा की मिसाल हो. वकालत केवल मुकदमे लड़ने का माध्यम नहीं यह अन्याय के विरुद्ध आवाज उठाने की जिम्मेदारी है. - एड. अनिलकुमार खुशालचंद लोढ़ा, नंदुरबार
भाईचारा और मोहब्बत ही समाज की असली शक्ति
मेरी उम्र 59 वर्ष है.मैं विजय कॉलोनी, अजबनगर में रहता हूं. हमारे घर में मैं, मेरी पत्नी डॉ. रेखा (आयुर्वेद चिकित्सक), दो पुत्र सुयश और संकेत रहते हैं. पिताजी अधिवक्ता गोविंदराव शिरसाट का 18 फरवरी 2024 को स्वर्गवास हुआ है. मैं वकालत करता हूं. कृषि भी करता हूं और समाज सेवा भी करता हूं. मैं मानता हूं कि विद्यार्थी को मराठी, हिन्दी और अंग्रेजी तीनों भाषाओं में लिखनाबोलना आना चाहिए. ज्ञान बढ़ाने के लिए पढ़ना जशरी है. समाज में आपसी भाईचारा व मोहब्बत बढ़ाना और मनमुटाव व कलह घटाना यही समाज का असली बल है. -एड. रवींद्र गोविंदराव शिरसाट, छत्रपति संभाजीनगर
अन्याय मिटाकर सत्य को प्रकाश में लाना सच्ची सफलता
मेरी उम्र 49 वर्ष है. मैं छत्रपति संभाजीनगर में रहता हूं, मेरे परिवार में पत्नी और दो बच्चे ह्ैं.वकालत में 22 वर्ष बीत चुके हैं. यह क्षेत्र मैंने इसलिए चुना क्योंकि मेरे पिताजी का वेिशास था कि सम्मान और निर्भीकता से जीना है,तो इस क्षेत्र जैसा दूसरा कोई नहीं. मेरे अनुसार सफलता यह नहीं किएक अन्याय छुपाने के लिए दूसरा अन्याय किया जाए. सफलता यह है कि सत्य को सामने लाया जाए. दृढ़ता, परिश्रम और निरंतरता व्यक्ति को सफलता के शिखर तक ले जाते हैं. -एड. राजेंद्र गोविंदराव पटारे, छत्रपति संभाजीनगर