पुणे, 18 दिसंबर (आ.प्र.) विज्ञान के इस दौर में हर तकनीक के पीछे मानवीय मस्तिष्क होता है, इसलिए तकनीक के साथ कदम से कदम मिलाकर आगे बढ़ना अनिवार्य है. हमें आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस ( एआई) को एक खतरे के रूप में नहीं, बल्कि एक अवसर के रूप में देखना चाहिए. यह विचार आई-टेक के प्रबंध निदेशक और सीईओ अशिम पाटिल ने बुधवार को व्यक्त किए. पुणे श्रमिक पत्रकार संघ के 86वें स्थापना दिवस के उपलक्ष्य में आयोजित ‘बदलती तकनीक का समाज पर प्रभाव' विषय पर वे मुख्य वक्ता के रूप में बोल रहे थे. इस अवसर पर पत्रकार संघ के अध्यक्ष ब्रिजमोहन पाटिल, प्रतिष्ठान के अध्यक्ष शैलेश काले, महासचिव मंगेश फल्ले, सचिव पांडुरंग साड़भोर, कोषाध्यक्ष दिलीप तायडे और सुनीत भावे प्रमुख रूप से उपस्थित थे.कार्यक्रम के दौरान पत्रकारिता और अन्य क्षेत्रों में विशेष योगदान देने वाले संघ के सदस्यों और पत्रकारिता डिप्लोमा के मेधावी छात्रों को सम्मानित किया गया. हार्डवेयर यंत्र है तो सॉफ्टवेयर मंत्र: अशिम पाटिल तकनीक की महत्ता पर प्रकाश डालते हुए पाटिल ने कहा, हार्डवेयर यदि एक यंत्र है, तो सॉफ्टवेयर एक मंत्र की तरह काम करता है. व्यक्ति, धन, वस्तु और सूचना को एक स्थान से दूसरे स्थान तक अधिक गति और सुरक्षा के साथ पहुंचाने के लिए तकनीक का प्रभावी उपयोग हो रहा है. फास्टैग का उदाहरण देते हुए उन्होंने बताया कि वर्तमान में भारत में प्रतिदिन लगभग 200 करोड़ रुपये डिजिटल माध्यम से जमा हो रहे हैं. करीब ढाई करोड़ वाहनों पर फास्टैग लगा है. टोल नाकों पर लगने वाली कतारों के संदर्भ में उन्होंने कहा कि, इसे पूरी तरह खत्म होने में कुछ समय लगेगा. कतारों का मुख्य कारण फास्टैग में पर्याप्त राशि न होना और मौके पर जाकर रिचार्ज करना है, जिससे समय की बर्बादी होती है. हालांकि, चुनौतियों के बावजूद हमने इस तकनीक को अपनाया है, जो एक बड़ी उपलब्धि है. पत्रकार संघ का गौरवशाली इतिहास संघ के अध्यक्ष ब्रिजमोहन पाटिल ने अपने संबोधन में कहा कि, पुणे श्रमिक पत्रकार संघ 85 वर्षों का समृद्ध इतिहास रखने वाला संगठन है. इस संगठन ने अंग्रेजों के खिलाफ लड़ाई लड़ी और आपातकाल के दौरान भी केंद्र सरकार के विरुद्ध मुखर आवाज उठाई. वर्तमान में यह संगठन पत्रकारों के अधिकारों के संरक्षण और उनके कौशल विकास पर विशेष ध्यान दे रहा है. उन्होंने वेिशास दिलाया कि वे दिग्गजों द्वारा सौंपी गई इस विरासत को मजबूती से आगे बढ़ाने के लिए प्रतिबद्ध हैं. कार्यक्रम का संचालन तनिष्का डोंगरे ने किया.
अब मोबाइल बताएगा सामान असली है या नकली अशिम पाटिल ने एक महत्वपूर्ण जानकारी साझा करते हुए बताया कि, सरदार वल्लभभाई पटेल की प्रतिमा (स्टैच्यू ऑफ यूनिटी) के निर्माण और अब कपड़ों की बिक्री में भी आरएफआईड़ी चिप का उपयोग किया जा रहा है. आने वाले समय में हर मोबाइल में (आरएफआईड़ी) चिप उपलब्ध होगी. इसके माध्यम से किसी भी वस्तु का कोड स्कैन करते ही उसकी पूरी जानकारी मोबाइल पर मिल जाएगी. इससे तुरंत पता चल सकेगा कि वस्तु असली है या नकली. तकनीक का यह बड़ा बदलाव हमें अगले वर्ष से देखने को मिल सकता है.