प्रयास, दृढ़ता, संकल्प और परिश्रम से सपनों को साकार करें

22 Dec 2025 14:37:49
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 पुणे, 21 दिसंबर (आज का आनंद न्यूज नेटवर्क)

आकाश कभी भी सीमा नहीं रहा है और न रहेगा. न मेरे लिए, न आपके लिए और न ही भारत के लिए. इन शब्दों में प्रसिद्ध अंतरिक्ष यात्री और भारतीय वायुसेना के ग्रुप कैप्टन शुभांशु शुक्ला ने रविवार को युवा पुणेकरों के उड़ान भरने के सपनों को संकल्प के अग्निपंख दिए. उन्होंने प्रेरणा देते हुए कहा कि भारत वर्ष 2040 में चंद्रमा पर उतरने की तैयारी कर रहा है. संभव है वहां पहला कदम आपका हो. निरंतर प्रयास, दृढ़ता, संकल्प और कठोर परिश्रम से इस सपने को साकार करें. जून 2025 में एक्सिओम-4 मिशन के माध्यम से अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन पर कदम रखकर भारत का नाम अंतरिक्ष में ऊंचा करने वाले शुभांशु शुक्ला ने पुणे पुस्तक महोत्सव को संबोधित किया. इस अवसर पर उन्होंने अपने अंतरिक्ष मिशन के रोमांचक अनुभव साझा किए. अंतरिक्ष यात्री राकेश शर्मा के बाद 41 वर्षों में अंतरिक्ष में जाने वाले दूसरे भारतीय के रूप में इतिहास रचने वाले शुभांशु शुक्ला से राष्ट्रीय पुस्तक न्यास के निदेशक युवराज मलिक ने संवाद किया. इस अवसर पर राष्ट्रीय पुस्तक न्यास के अध्यक्ष मिलिंद मराठे, महोत्सव के मुख्य संयोजक राजेश पांडे और कोहिनूर समूह के अध्यक्ष कृष्णकुमार गोयल उपस्थित थे. कैसे हैं पुणेकर, यह पूछते हुए जैसे ही शुभांशु शुक्ला ने कहा कि मुझे पुणे आकर बहुत खुशी हुई है, वैसे ही सभागार तालियों की गड़गड़ाहट से गूंज उठा. उन्होंने कहा कि मानव मन में अपार जिज्ञासा होती है और इसी जिज्ञासा से हम अनेक समस्याओं को हल करने का प्रयास करते हैं. हमारी पहचान परिवार, स्कूल, शहर या देश से होती है, लेकिन एक बार अंतरिक्ष में प्रवेश करने के बाद पृथ्वी ही आपकी एकमात्र पहचान रह जाती है. वहां से पृथ्वी को देखते समय यह भावना उत्पन्न होती है कि हम सभी एक हैं. पृथ्वी अत्यंत विशाल और सुंदर दिखाई देती है, लेकिन उससे भी अधिक विशाल ब्रह्मांड को देखकर सृजनकर्ता शक्ति के प्रति सम्मान और बढ़ जाता है. शुभांशु शुक्ला ने गगनयान और एक्सिओम मिशन के कठिन प्रशिक्षण के अनुभव साझा किए. उन्होंने बताया कि जैसे ही अंतरिक्ष यान का इंजन शुरू होता है, झटकों के कारण वे क्षणभर के लिए सारा प्रशिक्षण भूल गए थे. अंतरिक्ष में गुरुत्वाकर्षण न होने के कारण शरीर में बड़े परिवर्तन होते हैं. कद बढ़ जाता है, भूख नहीं लगती और पैरों का रक्त सिर की ओर चला जाता है. यह सब सहन करने के लिए मानसिक नियंत्रण अत्यंत आवश्यक होता है. उन्होंने कहा कि प्रक्षेपण के दिन अंतरिक्ष यान में प्रवेश करने से पहले उन्होंने वंदे मातरम गीत सुना, जिससे उन्हें ऊर्जा और प्रेरणा मिली. जब अंतरिक्ष यान भारत के ऊपर से गुजरा, तब शरीर में रोमांच दौड़ गया. उन्होंने बताया कि दिवंगत राष्ट्रपति डॉ. ए.पी.जे. अब्दुल कलाम की पुस्तक विंग्स ऑफ फायर और लेखिका आयन रैंड की फाउंटेनहेड उनके जीवन में प्रेरणादायी रहीं. एक्सिओम-4 मिशन की प्रमुख डॉ. पैगी व्हिटसन ने नौ बार असफल होने के बाद दसवें प्रयास में अंतरिक्ष यात्री बनने में सफलता प्राप्त की. उन्हें अंतरिक्ष में लगभग सात सौ दिन रहने का अनुभव है और वे वेिश की सबसे अनुभवी अंतरिक्ष यात्रियों में गिनी जाती हैं. इसलिए विद्यार्थियों को असफलता से निराश न होकर निरंतर प्रयास करते रहना चाहिए. उन्होंने कहा कि हम किसी भी क्षेत्र में हों, सर्वश्रेष्ठ कार्य करना ही सबसे बड़ी देशसेवा है और इसी से विकसित भारत का सपना साकार होगा.  
 
अंतरिक्ष यात्रियों के लिए प्रशिक्षण केंद्र का निर्माण शुरू

 अंतरिक्ष में जाने से पहले अंतरिक्ष यात्रियों को रखरखाव और मरम्मत से लेकर चिकित्सा उपचार तक सभी प्रकार के कौशलों का प्रशिक्षण लेना आवश्यक होता है. अंतरिक्ष यान में कैसे कार्य करना है और शून्य गुरुत्वाकर्षण में कैसे रहना है, इसकी संपूर्ण तैयारी कराई जाती है. इसके लिए भारत में एक नया अत्याधुनिक प्रशिक्षण केंद्र स्थापित किया जा रहा है, जहां भारतीय अंतरिक्ष यात्रियों को प्रशिक्षण दिया जाएगा, यह जानकारी भी शुभांशु शुक्ला ने दी.  
 
 
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