भारी विराेध के बाद सुप्रीम काेर्ट ने आखिरकार अरावली खनन पर राेक लगा दी है. अदालत ने अपने ही पुराने फैसले पर स्टे लगाते हुए केंद्र सरकार सहित चार राज्याें काे नाेटिस जारी करते हुए कहापर्यावरण की रक्षा बेहद जरूरी, पुराने फैसले पर पुनर्विचार भी बहुत ही जरूरी है.इस फैसले से जहां कांग्रेस ने स्वागत किया, वहीं केंद्र सरकार के लिए बड़ा झटका बताया गया. खनन की वकालत करने वाले मंत्री से इस्तीफा भी मांगा गया है. इस फैसले से आंदाेलनकारियाें ने राहत की सांस ली है. अब इस केस की अगली सुनवाई 21 जनवरी काे हाेगी.साेमवार काे मुख्य न्यायाधीश (सीजेआई) सूर्यकांत, न्यायमूर्ति जेके माहेश्वरी और एजी मसीह की अवकाशकालीन पीठ ने अरावली केस की सुनवाई की. सीजेआई सूर्यकांत ने निर्देश दया है कि विशेषज्ञ समिति की सिफारिशें और उन पर सुप्रीम काेर्ट की ओर से की गई आगे की टिप्पणियां फिलहाल स्थगित रहेंगी. अदालत ने साफ किया कि अगली सुनवाई तक इन सिफारिशाें काे लागू नहीं किया जाएगा.
साॅलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने अदालत से कहा कि इस मामले में अदालत के आदेशाें, सरकार की भूमिका और पूरी प्रक्रिया काे लेकर कई तरह की गलतफहमियां फैलाई जा रही हैं. इन्हीं भ्रमाें काे दूर करने के लिए एक विशेषज्ञ समिति गठित की गई थी. समिति ने अपनी रिपाेर्ट साैंपी थी, जिसे अदालत ने स्वीकार भी किया था. काेर्ट ने कहा- अदालत की टिप्पणियाें का गलत अर्थ निकाला जा रहा मुख्य न्यायाधीश सूर्यकांत ने कहा कि अदालत की भी यही भावना है कि विशेषज्ञ समिति की रिपाेर्ट और उसके आधार पर अदालत द्वारा की गई कुछ टिप्पणियाें काे लेकर गलत अर्थ निकाले जा रहे हैं.सीजेआई ने संकेत दिया कि इन गलत धारणाओं काे दूर करने के लिए स्पष्टीकरण की जरूरत पड़ सकती है, ताकि अदालत की मंशा और निष्कर्षाें काे लेकर काेई भ्रम न रहे. सुप्रीम काेर्ट ने कहा है कि विशेषज्ञ समिति की रिपाेर्ट या अदालत के फैसले काे लागू करने से पहले एक निष्पक्ष और स्वतंत्र मूल्यांकन जरूरी है, ताकि कई अहम सवालाें पर स्पष्ट दिशा मिल सके.