मेरे जीवन में पिता और दादा का अमूल्य योगदान : डॉ. अभय फिरोदिया

जनसेवा फाउंडेशन द्वारा आयोजित ‌‘मीट द स्टेलवर्ट‌’ कार्यक्रम में जाने-माने उद्योगपति ने कहा

    28-Feb-2025
Total Views |
 
force
 
 
पुणे, 27 फरवरी (आज का आनंद न्यूज नेटवर्क)
 
मैंने अपने दादा कुंदनमल फिरोदिया और पिता नवलमल फिरोदिया से जीवन में बहुत कुछ सीखा है. उन दोनों ने मेरे जीवन में सही दिशा देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई, इसलिए मेरे जीवन पर पिता और दादा का अमूल्य योगदान रहा,फोर्स मोटर्स लिमिटेड के चेयरमैन डॉ.अभय फिरोदिया ने यह मत व्यक्त किया. जनसेवा फाउंडेशन द्वारा आयोजित कार्यक्रम, मीट द स्टेलवर्ट में वेिश प्रसिद्ध उद्योगपति डॉ.अभय फिरोदिया का साक्षात्कार सकाल पेपर लिमिटेड के अध्यक्ष प्रतापराव पवार ने लिया. इस अवसर पर वरिष्ठ वैज्ञानिक डॉ. रघुनाथ माशेलकर, देसाई ब्रदर्स ग्रुप के प्रमुख नितिन देसाई, इंदिरा फिरोदिया, जनसेवा फाउंडेशन के चेयरमैन डॉ. विनोद शाह, सेक्रेटरी मीना शाह, ट्रेजरर डॉ. राजेश शाह, नितिन कोठारी, शांतिलाल मुथा, कृष्णकुमार गोयल, जे.पी. श्रॉफ, विकफील्ड उद्योग समुह के व्यवस्थापकीय संचालक मुकेश मल्होत्रा और अश्विनी मल्होत्रा, डॉ. वर्धमान जैन, दानेश शाह, संजय चोरडिया, विजय सराफ, डॉ.जयसिंह पाटिल, जयदेव नाईक और अन्य गणमान्य व्यक्ति उपस्थित थे. यह कार्यक्रम गणेश कला क्रीड़ा रंगमंच में गुरूवार को शाम साढेचार बजे आयोजित हुआ.
 
डॉ. अभय फिरोदिया ने कहा कि व्यक्ति तभी सफल हो सकता है जब उसका अपने व्यवसाय पर नियंत्रण हो. इसलिए, शुरू से ही मैंने कंट्रोल ऑफ कंपनी, प्रॉफिटेबिली ऑफ कंपनी और रिलेशनशिप वुइथ एम्प्लॉयज इस पर विशेष ध्यान केंद्रित किया. सफल उद्यमी बनने के लिए आपके पास कौशल भी होना चाहिए. सफलता के लिए कंट्रोल भी महत्वपूर्ण है. आज भी हम किसी उत्पाद के बारे में गहन जानकारी (डिटेल इन्फोर्मेशन) लेते हैं. आज तक हमने मर्सिडीज-बेंज के लिए लाखों इंजन तैयार किए हैं.
 
भरोसे के कारण ही हम मर्सिडीज-बेंज, रोल्स-रॉयस और बीएमडब्ल्यू जैसी कंपनियों के साथ सफलतापूर्वक काम करने में सक्षम हुए. डॉ. अभय फिरोदिया ने कहा कि समाज के लिए कुछ अच्छा करने की शिक्षा मुझे अपने दादा और पिता से मिली. हमने बजाज के साथ मिलकर पहला ऑटोरिक्शा बनाया. जब मेरे पिता ने अपना व्यवसाय शुरू किया था तब समय अलग था. अब समय अलग है. मेरे दादा और पिता दोनों ही सफल वकील थे. उनके पास व्यवसायिक दृष्टि थी. अपने दादा और पिता के व्यवसाय से सेवानिवृत्त होने के बाद, उन्होंने सामाजिक सेवा को प्राथमिकता दी. मेरे पिता की सेवानिवृत्ति के बाद, मैं फोर्स मोटर्स कंपनी का डायरेक्टर बन गया. व्यवसाय में नई तकनीक लाई गई.
 
मेरी शिक्षा गुजराती, मराठी, हिंदी और अंग्रेजी में हुई है, इसलिए मैं ये भाषाएं अच्छी तरह बोल सकता हू्‌ं‍. मेरे जीवन में मुझे अच्छे दोस्त भी मिले. मैंने भी उनसे बहुत कुछ सीखा. राजनीति और अर्थशास्त्र मेरे पसंदीदा विषय हैं, इसलिए मैं पिछले 40 वर्षों से हर दिन एक घंटा पढ़ता रहा हूं. मैंने देश विदेश के सामाजिक संस्थाओं में काम किया. मराठा चेंबर ऑफ कॉमर्स, इंडो-जर्मन संस्था, भांडारकर इंस्टीट्यूट जैसे विभिन्न संगठनों से जुड़ गया. इस प्रकार मुझे सामाजिक संगठनों के काम को करीब से देखने का मौका मिला. वीरायतन संस्था से भी मेरा संपर्क आया. इस अवसर पर डॉ. अभय फिरोदिया ने भी यह बात कही. कार्यक्रम का सूत्रसंचालन केतकी देशपांडे ने किया.