पुणे, 10 मार्च (आज का आनंद न्यूज नेटवर्क)
कांग्रेस के पूर्व विधायक रवींद्र धंगेकर ने उपमुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे के नेतृत्व वाली शिवसेना में प्रवेश कर लिया है. इस कदम से कांग्रेस को बड़ा राजनीतिक झटका लगा है, वहीं शिवसेना की पुणे में ताकत बढ़ने की संभावना है. खासतौर पर आगामी मनपा चुनाव में कसबापेठ विधानसभा क्षेत्र के कुछ वार्डों में भाजपा को सीधी टक्कर मिलने की उम्मीद है. धंगेकर ने 2023 की कसबापेठ विधानसभा उपचुनाव में भाजपा के गढ़ में कांग्रेस प्रत्याशी के रूप में चुनाव जीता था. उस समय महाविकास अघाड़ी के तीनों दलों (कांग्रेस, शिवसेना उद्धव गुट और एनसीपी) ने उनके समर्थन में जबरदस्त प्रचार किया था. यह जीत कांग्रेस के लिए संजीवनी साबित हुई थी और धंगेकर को ओबीसी नेता के रूप में राज्यभर में पहचान मिली थी. बाद में कांग्रेस ने उन्हें पुणे लोकसभा सीट से उम्मीदवार बनाया. हालांकि, कांग्रेस ने राज्य में बड़ी सफलता हासिल की, लेकिन धंगेकर पुणे से चुनाव हार गए. बावजूद इसके, उन्होंने भाजपा के वोटों का अंतर काफी कम कर दिया था. बाद में हुए विधानसभा चुनाव में भी उन्हें कसबापेठ से भाजपा के हाथों हार का सामना करना पड़ा. शिंदे से मुलाकात के बाद लिया फैसला कुछ दिनों पहले रवींद्र धंगेकर ने उपमुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे से मुलाकात की थी. मंत्री उदय सामंत ने भी उन्हें शिवसेना में शामिल होने का निमंत्रण दिया था. उसी दौरान धंगेकर ने अपने फेसबुक प्रोफाइल से कांग्रेस का चिन्ह हटा दिया और भगवा उपरणा पहने अपनी तस्वीर साझा की, जिससे उनके शिवसेना में शामिल होने की अटकलें तेज हो गईं. हालांकि उस समय उन्होंने स्पष्ट किया था कि यह मुलाकात अपने निर्वाचन क्षेत्र के विकास कार्यों के लिए थी. इसके अलावा, कांग्रेस के स्थानीय नेताओं से उनके रिश्ते भी तनावपूर्ण हो गए थे, जिससे उनके पार्टी छोड़ने की संभावना और बढ़ गई थी. धंगेकर इससे पहले शिवसेना के नगरसेवक थे, बाद में मनसे में शामिल हुए, जहां से वे दो बार नगरसेवक चुने गए. कसबापेठ से उन्होंने मनसे के टिकट पर दो बार चुनाव लड़ा. 2017 में उन्होंने कांग्रेस के समर्थन से बतौर निर्दलीय नगरसेवक जीत हासिल की थी.
कांग्रेस को होगा नुकसान
धंगेकर के पार्टी छोड़ने से कांग्रेस को आगामी चुनावों में नुकसान उठाना पड़ सकता है. कसबापेठ क्षेत्र से कांग्रेस के चुने गए दोनों नगरसेवक अब पार्टी में नहीं हैं. इसके अलावा, कुल दस में से पांच कांग्रेस नगरसेवक पुणे कैंटोनमेंट से जीते थे, जिससे अब पार्टी की ताकत और कमजोर हो गई है.
एकनाथ शिंदे जनता के नेता ः रवींद्र धंगेकर
रवींद्र धंगेकर ने दै. ‘आज का आनंद’ से बातचीत में कहा, मेरा जुड़ाव हमेशा पुणे शहर से रहा है. पुणेकरों की भलाई के लिए सत्ता में जाने का निर्णय लिया. तत्कालीन मुख्यमंत्री और वर्तमान उपमुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे के कार्यों से आम जनता प्रभावित हुई है. इसलिए, मैंने उनके नेतृत्व वाली शिवसेना में शामिल होने का फैसला किया.
शिंदे सेना को मजबूत चेहरा मिला
पुणे में शिवसेना के अधिकांश कार्यकर्ता अब भी उद्धव ठाकरे गुट के साथ हैं. विधानसभा चुनाव के बाद शिवसेना के पांच पूर्व नगरसेवक भाजपा में शामिल हो गए. ऐसे में, शिंदे गुट को पुणे में एक मजबूत चेहरे की जरूरत थी, जो अब धंगेकर के रूप में मिल गया है. इसके चलते शिंदे गुट पुणे में अपनी पकड़ मजबूत करने का प्रयास करेगा.