येरवड़ा, 12 मार्च (आज का आनंद न्यूज नेटवर्क)
छात्रों और शोधकर्ताओं द्वारा सहयोगात्मक अनुसंधान कार्य और बहु-विषयक प्रयास विज्ञान, टेक्नोलॉजी, इंजीनियरिंग और मैनेजमेंट (एसटीईएम) क्षेत्रों के भविष्य को आकार दे सकते हैं. नई टेक्नोलॉजी में विदेशी और घरेलू निवेश में वृद्धि से वैज्ञानिकों, इंजीनियरों, तकनीशियनों और मॅनेजमेंट क्षेत्र की वास्तविक समस्याओं से निपटने के लिए अनुसंधान करने में मदद मिलेगी. उद्योगशै क्षणिक साझेदारी, व्यावहारिक शिक्षण अनुभव और नई टेक्नोलॉजी में निवेश, भविष्य में STEM विकास के प्रमुख चालक होंगे, ऐसे विचार डॉ. बी. एन. जाजू ने व्यक्त किये.
वह जी. एच. रायसोनी इंटरनेशनल स्किल टेक यूनिवर्सिटी द्वारा आयोजित सम्मेलन में बोल रहे थे. साइंस टेक्नोलॉजी, इंजीनियरिंग और मैनेजमेंट 2025 के ट्रेंड पर इस दो दिवसीय राष्ट्रीय सम्मेलन का आयोजन किया गया था. इस अवसर पर अतिथि डॉ. आर. एन. यादव और डॉ. ए. के. मलिक, यूनिवर्सिटी के कुलपति डॉ. एम. यू. खरात, कैम्पस निदेशक कर्नल अजीत सिंघवी आदि उपस्थित थे. इस दो दिवसीय सम्मेलन मे 9 विभिन्न राज्यों के 103 शोधकर्ताओं ने अपने शोधनिबंध प्रस्तुत किये. उद्घाटन सत्र की शुरुआत रजिस्ट्रार डॉ. जितेन्द्र कुमार मिश्रा ने की.
डॉ. दयानंद सूर्यवंशी और प्रो. रुता करंदीकर ने कार्यक्रम का संचालन किया. छात्र कल्याण विभाग के डीन डॉ. संदीप रासकर ने आभार व्यक्त किया. STEM क्रांतिकारी बदलाव ला सकते हैं कुलपति डॉ. एम. यू. खरात ने कहा कि कृत्रिम बुद्धिमत्ता, डेटा विज्ञान और रोबोटिक्स जैसी उभरती प्रौद्योगिकियों को पारंपरिक स्टेम (STEM) विषयों के साथ एकीकृत करने से उद्योगों में क्रांतिकारी बदलाव आ सकता है और वे महत्वपूर्ण वैेिशक चुनौतियों का समाधान कर सकते हैं. छात्रों और पेशेवरों को अनुसंधान के लिए आवश्यक सुविधा उपलब्ध कराया जाए तो वास्तविक दुनिया की समस्याओं का हल निकल सकता है.