बाॅम्बे हाईकाेर्ट ने शुक्रवार 28 फरवरी काे बैंकाें द्वारा खाताें काे ‘डिफाॅल्टर’ या ‘फ्राॅड’ घाेषित करने के कट, काॅपी, पेस्ट करने के तरीकाें पर चिंता जताई. काेर्ट ने उद्याेगपति अनिल अंबानी से कहा कि वे यूनियन बैंक ऑफ इंडिया द्वारा उनके लाेन खाते काे ‘फ्राॅड’ घाेषित करने के आदेश के खिलाफ भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) से संपर्क करें.जस्टिस रेवती माेहिते डेरे और नीला गाेखले की खंडपीठ अनिल अंबानी द्वारा दायर उस याचिका पर सुनवाई कर रही थी, जिसमें उन्हाेंने यूनियन बैंक ऑफ इंडिया के 10 अक्टूबर 2024 के आदेश काे चुनाैती दी थी. उन्हाेंने दावा किया कि आदेश पारित करने से पहले उन्हें सुनवाई का काेई अवसर नहीं दिया गया. अंबानी ने बैंक द्वारा जारी दाे कारण बताओ नाेटिस काे भी काेर्ट में चुनाैती दी.
याचिका में दावा किया गया कि उन्हाेंने उन दस्तावेजाें की प्रतियां भी मांगी थीं, जिनके आधार पर बैंक ने यह आदेश पारित किया था, लेकिन काेई दस्तावेज प्रदान नहीं किए गए. शुक्रवार 28 फरवरी काे हुई सुनवाई के दाैरान, काेर्ट ने कहा कि उनके पास बार-बार ऐसे मामले सामने आ रहे हैं, जहां बैंक भारतीय रिज़र्व बैंक (आरबीआई) के दिशानिर्देशाें का पालन किए बिना खाताें काे फ्राॅड या विलफुलडफाॅल्टर घाेषित कर देते हैं.आरबीआई काेई ठाेस व्यवस्था स्थापित करे : बाॅम्बे हाईकाेर्ट बेंच ने कहा कि इस तरह के कट, काॅपी और पेस्ट आदेश नहीं हाे सकते.इसमें बैंकाें काे कुछ हद तक साेचसमझकर काम करना हाेगा. आखिरकार यह जनता का पैसा है. ऐसे आदेश इतनी लापरवाही से नहीं दिए जा सकते. काेई न काेई ठाेस प्रणाली हाेनी चाहिए.