महावीर जैन विद्यालय के कॉम्प्लैक्स का उद्घाटन आज

जैन समाज में शिक्षा की और एक पहल, सभी सुविधाओं से युक्त होगा कॉम्प्लेक्स

    09-Mar-2025
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शिवाजीनगर में महावीर जैन विद्यालय के पुराने विद्यालय की जगह 500 छात्र क्षमता के साथ 9 मंजिल के विशाल अत्याधुनिक भवन का लोकार्पण रविवार (9 मार्च) को हो रहा है. इसी उपलक्ष्य में विशेष लेख... समूचे भारत में पुणे शहर सदियों से शिक्षानगरी के रूप में सुप्रसिद्ध है. खासकर 18वीं शताब्दी के अंत में पुणे एक राजकीय तथा सामाजिक आंदोलन की गतिविधियों का एक महत्वपूर्ण केंद्र रहा है. इसमें शिक्षा के प्रति संवेदना और जागरुकता का भी अहम पहलू है. इसी दौर में उस समय के पुणे के जैन समाज में शिक्षा को लेकर सक्रियता अपेक्षाकृत कम थी. ‌‘नीचे दुकान उपर मकान‌’ जैसी वाणिज्य व्यवहार संस्कृति में फंसा हुआ यह समाज शिक्षा की महत्ता के प्रति पूर्णतया उदासिन था. लेकिन 1914 में पंजाब केसरी आचार्य विजयवल्लभ सूरेीशरजी ने अपने गुरु आत्माराम जी के विचारों से प्रभावित होकर जैन समाज को प्रगतीशील बनाने हेतू शिक्षा की ओर अग्रेसर करने का संकल्प ठान लिया था. सामाजिक उत्थान के लिए समाज में शिक्षा का अहम योगदान गुरू आत्माराम जानते थे. उनकी यह विचारधारा समकालीन अन्य सनातनी जैन मुनियों को मान्य नहीं थी. लेकिन देशभर के अन्य प्रगतिशील समाज सुधारकों की परंपरा से मेल खाती थी. उन्होंने अपने शिष्य विजयवल्लभ सूरेीशर जी को शिक्षा को बढ़ावा देने के लिए उत्तेजित किया.तत्कालीन पारंपरिक जैन समाज के कड़े विरोध के बावजूद 1914 में मुंबई में गोवालिया टैंक परिसर में देवकरण मूलजी नामक दानदाता द्वारा दी गई इमारत में महावीर जैन विद्यालय की नींव रखी गई. अन्य जैन मुनियों ने विजयवल्लभ जी की इस पहल का सिर्फ विरोध ही नहीं किया बल्की उन्हें बहिष्कृत कर दिया. लेकिन वल्लभ जी अपने इस निर्णय पर अड़िग रहे, बिलकुल विचलित नही हुए. इसी शैक्षणिक विचारधारा को आगे बढ़ाते हुए, 1920 में पुणे के तत्कालीन महापौर पोपटलाल रामचंद्र शाह ने स्थानीय जैन समाज को संगठित करना शुरु किया. शिक्षा का महत्व समझते हुए उन्होंने डेक्कन जिमखाना एरिया में 8-10 एकड़ भूमि खरीद ली और दूर गांव से आनेवाले छात्रों के लिए निवास और भोजन की व्यवस्था के लिए भारत जैन विद्यालय की शुरुआत की. पुणे जैन समाज द्वारा शिक्षा की ओर यह पहला कदम था. लेकिन समाज की शैक्षणिक उदासीनता के कारण संस्था चलाना मुश्किल होने लगा. 1939 में पुणे शहर प्लेग की चपेट में आया और संस्था का संकट गहरा गया. आखिरकार आर्थिक संकट के कारण तत्कालीन विधायक पोपटलाल शाह ने मुंबई स्थित महावीर जैन विद्यालय को पुणे की संस्था की बागडोर संभालने की बिनती की और 1947 में भारत जैन विद्यालय का व्यवस्थापन महावीर जैन विद्यालय को सौंप दिया गया.
 
 
कार्यक्रम में कई गणमान्य उपस्थित रहेंगे
 
बीएमसीसी के साइड में स्थित महावीर जैन विद्यालय की नई बिल्डिंग का उद्घाटन समारोह सुबह 10 बजे होगा. इसमें जैन समाज के अग्रणी और जे. एम. फाइनेंशियल फाउंडेशन के चेयरमैन और मुख्य दाता निमेषभाई कंपानी, फोर्स मोटर्स के अध्यक्ष अभय फिरोदिया, अहमदाबाद स्थित टोरंट पावर के चेयरमैन सुधीर मेहता, पराग मिल्क के अध्यक्ष देवेंद्र शाह समेत समाज के कई गणमान्य व्यक्ति उपस्थित रहेंगे. यह आधुनिक शिक्षण संस्था अध्यात्म, मूल्यशिक्षा और धर्मसंस्कार के समन्वय का एक अनूठा उदाहरण होगा. इस कॉम्प्लेक्स में एक भव्य अत्याधुनिक सभागृह व्यायामशाला, खेल का मैदान, पुस्तकालय, प्रार्थना कक्ष और एक सुंदर उद्यान का समावेश होग.
 
विजयवल्लभ सूरीश्वर के नाम से 200 से अधिक शिक्षण संस्थाएं
 
 
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आज जैन समाज में देशभर में शिक्षा का व्यापक विस्तार हुआ है. आचार्य विजयवल्लभ सूरेीशर जी के नाम से देशभर में 200 से अधिक शिक्षण संस्थाएं स्थापित हुईं, जिनमें पुणे के भवानी पेठ के विजयवल्लभ हाई स्कूल भी शामिल हैं. प.पू. वल्लभजी के परम शिष्य नित्यानंदमुनिजी इस विचारधारा को अधिक गतिशील करते हुए गांव- गांव में शिक्षण संस्था शुरु कर रहे है. अब, सौ वर्षों बाद, जैन समाज और अन्य जैन मुनियों को यह स्वीकार करना पड़ा कि विजयवल्लभ सूरेीशर जी का मार्ग ही समाज के प्रगति के लिए सही था. मंदिरों और धार्मिक अनुष्ठानों के निर्माण से ज्यादा स्कूल, कॉलेज और मानवसेवा संस्थाओं का निर्माण महत्वपूर्ण माना जा रहा है. लेखक
 
- डॉ. राजेश शाह, ट्रस्टी, श्री महावीर जैन विद्यालय