पुणे, 14 अप्रैल (आ.प्र.) पुणे और पिंपरी-चिंचवड़ क्षेत्र में बड़े बिल्डरों ने म्हाडा के नियमों के अनुसार प्रोजेक्ट्स में आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग (ईडब्ल्यूएस) के लिए आरक्षित घरों के निर्माण और वितरण में भ्रष्टाचार किया है, ऐसा आरोप लोकजनशक्ति पार्टी ने लगाया है. फिलहाल, सात ऐसे प्रोजेक्ट्स की जानकारी सामने आई है, जिनमें यह भ्रष्टाचार हुआ है. इसके संबंध में प्रशासन को लिखित शिकायत सौंपी गई है और दोषियों पर कार्रवाई की मांग लोकजनशक्ति पार्टी ने आयोजित प्रेस कॉन्फ्रेंस में की.लोकजनशक्ति पार्टी के शहर अध्यक्ष संजय आल्हाट, कानूनी सलाहकार और सेवानिवृत्त सहायक पुलिस आयुक्त मिलिंद गायकवाड़, के.सी. पवार, राहुल उभे, परमजीत सिंह अरोरा, परबजीत सिंह अरोरा और एडवोकेट अमित दरेकर ने इस बारे में प्रेस कॉन्फ्रेंस में जानकारी दी. इस विषय में पार्टी ने 11 अप्रैल को म्हाडा के मुख्य अधिकारियों को कार्रवाई की मांग करते हुए एक ज्ञापन सौंपा है. इस दौरान उपस्थित सदस्यों ने बताया कि एक एकड़ या उससे बड़े निर्माण प्रोजेक्ट्स में आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग के लिए 20% फ्लैट्स आरक्षित रखने का नियम वर्ष 2020 में लागू किया गया था. यह फ्लैट्स उसी प्रोजेक्ट में एक अलग इमारत बनाकर या प्रोजेक्ट के एक किलोमीटर के दायरे में उसी बिल्डर की अन्य जमीन पर बनाए जा सकते हैं. इन फ्लैट्स का निर्माण कर उन्हें म्हाडा को सौंपा जाता है और म्हाडा के माध्यम से उनका वितरण किया जाता है. इस नियम की सही तरह से पालना हो रही है या नहीं, इसका पता लगाने के लिए पार्टी ने पुणे और पिंपरी क्षेत्र में जानकारी एकत्र की. इस जांच में सामने आया कि सात प्रोजेक्ट्स में इस नियम का पालन ही नहीं किया गया. कुछ प्रोजेक्ट्स में तो ईडब्ल्यूएस फ्लैट्स बनाए ही नहीं गए. बिल्डर्स ने पहले अपने मुख्य प्रोजेक्ट्स पूरे कर लिए और उसका अधिपत्य पत्र भी ले लिया. जबकि नियम यह कहता है कि जब तक ईडब्ल्यूएस फ्लैट्स का निर्माण और हस्तांतरण नहीं होता, तब तक मुख्य प्रोजेक्ट को पूर्णता प्रमाणपत्र नहीं दिया जाना चाहिए. एक बिल्डर ने तो एक किलोमीटर के दायरे से बाहर बने दूसरे बिल्डर के फ्लैट्स को ईडब्ल्यूएस के नाम पर दर्शा कर प्रमाणपत्र प्राप्त कर लिया.