पहली से ही हिंदी तीसरी भाषा के रूप में पढ़ाई जाएगी

18 Apr 2025 11:15:23
 
 
rahul
 
 
 
पुणे, 17 अप्रैल (आ.प्र.)
 
बच्चों के सर्वांगीण विकास के लिए पहली कक्षा से ही हिंदी को तीसरी भाषा के रूप में पढ़ाया जाएगा, लेकिन इससे मराठी भाषा को कोई तुच्छ नहीं समझा जा रहा है. बच्चों को शिक्षा मातृभाषा मराठी में ही दी जाएगी, ऐसा स्पष्ट बयान महाराष्ट्र राज्य शैक्षणिक व प्रशिक्षण परिषद (एससीईआरटी)के निदेशक राहुल रेखावार ने गुरुवार को आयोजित प्रेस कॉन्फ्रेंस में दिया. राज्य सरकार के शिक्षा विभाग ने इस संबंध में बुधवार को शासन निर्णय (जीआर) जारी किया. मनसे नेता राज ठाकरे ने पहली से हिंदी पढ़ाने की अनिवार्यता का विरोध किया है. इस पर मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने भी प्रतिक्रिया दी है.
 
 
राष्ट्रीय शिक्षा नीति को राज्य सरकार ने स्वीकार किया है और उसकी अमल करने की जिरमेदारी एससीईआरटी पर है. इसी के तहत शिक्षा विभाग के निर्देश पर राहुल रेखावार ने मीडिया से संवाद किया और शैक्षणिक भूमिका, विद्यार्थियों को मिलने वाला लाभ, वर्तमान शिक्षण प्रणाली और नए नीति की विस्तृत जानकारी दी. रेखावार ने बताया कि अब तक राज्य में पांचवीं कक्षा से हिंदी अनिवार्य होती थी. आठवीं से हिंदी, संस्कृत या किसी विदेशी भाषा में से कोई एक विषय लिया जा सकता था. अब नई शिक्षा नीति के तहत 5+3+3+4 पैटर्न लागू किया जाएगा. पहले पाँच वर्षों में तीन से आठ वर्ष की उम्र के बच्चों के लिए तीन प्री-प्राइमरी कक्षाएं और पहली व दूसरी कक्षा शामिल होंगी. यह प्राथमिक शिक्षा का आधारभूत स्तर होगा.
 
उन्होंने कहा कि हम 2000 से ही पहली से अंग्रेजी पढ़ा रहे ह्‌ैं‍. अन्य भाषाओं की शालाओं में वहाँ की भाषा, मराठी और अंग्रेजी पढ़ाई जाती है. इसलिए यह नीति महाराष्ट्र के लिए नई नहीं है. बच्चों को कठिनाई नहीं होगी रेखावार ने कहा कि बच्चों को तीसरी भाषा सीखने में कोई कठिनाई नहीं होगी. हिंदी कोई नई भाषा नहीं है, हम पहले से ही इसे बोलते और समझते ह्‌ैं‍. छोटे बच्चे एक से अधिक भाषाएं तेजी से सीखते हैं, जिससे उनका बौद्धिक विकास होता है. मूल शिक्षा मातृभाषा मराठी में ही दी जाएगी. चूँकि यही शिक्षक यह शिक्षा देंगे, इसलिए आर्थिक बोझ भी नहीं बढ़ेगा. उन्होंने यह भी कहा कि जर्मन जैसी विदेशी भाषाओं के लिए भी हम शिक्षकों को प्रशिक्षण दे रहे हैं.
 
पहली से हिंदी कैसे पढ़ाई जाएगी?
 
बालभारती द्वारा पहली कक्षा के छात्रों को स्कूल के पहले दिन ही हिंदी की किताबें दी जाएंगी. पाठ्यपुस्तक तैयार करते समय विशेष ध्यान रखा गया है. किताबों में मराठी और हिंदी की वर्णमाला (अक्षर गट) को एक समान रखा गया है. हिंदी एक द्वितीय भाषा के रूप में पढ़ाई जाएगी, जिसकी शिक्षण गति तुलनात्मक रूप से धीमी रखी गई है. - राहुल रेखावार, निदेशक, SCERT
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