लवले, 28 अप्रैल (आज का आनंद न्यूज नेटवर्क) वर्ष 2017 से पहले भारत में स्वास्थ्य सेवा नीतियां उपचारात्मक थीं. लेकिन अब आयुष्मान आरोग्य मंदिर के तहत हम स्वास्थ्य देखभाल के लिए चयनात्मक दृष्टिकोण से आगे बढ़कर निवारक, प्रोत्साहक, उपचारात्मक, पुनर्वास और उपशामक देखभाल तक फैली सेवाओं की एक व्यापक श्रृंखला प्रदान करते हैं. केंद्रीय स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्री जगत प्रकाश (जेपी) नड्डा ने कहा कि अब स्वास्थ्य सेवा के प्रति समग्र दृष्टिकोण विकसित किया गया है. उनके हाथों शनिवार (26 अप्रैल) को लवले में सिम्बायोसिस यूनिवर्सिटी हॉस्पिटल एंड रिसर्च सेंटर में नेफ्रोलॉजी और यूरोलॉजी केंद्र का उद्घाटन किया गया. इस समय वह बोल रहे थे. समारोह की अध्यक्षता सिम्बायोसिस के संस्थापक और अध्यक्ष तथा सिम्बायोसिस इंटरनेशनल यूनिवर्सिटी (एसआईयू) के चांसलर प्रो. डॉ. एस. बी. मुजुमदार ने की. डॉ. राजीव येरवडेकर (प्रोवोस्ट, चिकित्सा एवं स्वास्थ्य विज्ञान संकाय, एसआईयू) और डॉ. विद्या येरवडेकर (प्रो चांसलर, एसआईयू) समेत इस समारोह में अन्य गणमान्य उपस्थित थे. इस अवसर पर बोलते हुए केंद्रीय मंत्री नड्डा ने कहा, राष्ट्रीय गुणवत्ता ओशासन मानकों (एनडब्ल्यूएएस) के तहत वर्तमान में हमारे पास 30 हजार आयुष्मान आरोग्य मंदिर हैं. हमारा लक्ष्य निकट भविष्य में व्यापक प्राथमिक स्वास्थ्य देखभाल प्रदान करने के लिए 1 लाख 75 हजार बनाने का है, जो उपयोगकर्ताओं के लिए सार्वभौमिक और निःशुल्क हो. इसका ध्यान स्वास्थ्य और समुदाय के करीब सेवाओं की विस्तारित श्रृंखला की डिलीवरी पर है. स्वास्थ्य क्षेत्र में समावेशी प्रकृति की नीतियां बनाने के लिए सिम्बायोसिस और सरकार जैसी संस्थाओं को साथ-साथ चलना चाहिए. प्रो. डॉ. एस. बी. मजूमदार ने अपने अध्यक्षीय भाषण में कहा कि हम सभी सपने देखते हैं और भगवान भी सपने देखते हैं. भगवान का एक सपना एक ऐसा स्थान बनाना है जहां मानवता एक साथ आकर वसुधैव कुटुंबकम की अवधारणा को साकार कर सके. अगर भारत वेिशगुरु बनना चाहता है तो उसे अध्यात्म और वसुधैव कुटुंबकम की विचारधारा का समर्थन करना होगा. आजकल तकनीक ने दुनिया भर के लोगों को जोड़ने में महत्वपूर्ण योगदान दिया है.