पीएमआरडीए विकास योजनाओं में देरी से पुणे शहर बदहाल !

03 Apr 2025 14:30:09

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पुणे, 2 अप्रैल (आ.प्र.)

शहर की योजना निर्माण में विकास योजना का विशेष महत्व होता है, लेकिन प्रशासनिक स्तर पर फैली अव्यवस्था के कारण इन योजनाओं को समय पर मंजूरी नहीं मिल रही. इसी वजह से पुणे जैसा महानगर भी अव्यवस्थित रूप से विकसित होता जा रहा है. इस स्थिति में, पीएमआरडीए की सीमा की विकास योजना रद्द करने के साथ ही महापालिका में शामिल 23 गांवों की विकास योजना भी रद्द कर दी गई है. इससे यह साफ हो गया है कि राज्य सरकार खुद ही पुणे के अनियंत्रित विकास को बढ़ावा दे रही है. 7,000 वर्ग किलोमीटर की योजना रद्द, बड़े घोटाले की चर्चा हाल ही में राज्य सरकार ने पीएमआरडीए क्षेत्र के लगभग 7,000 वर्ग किलोमीटर के विकास प्लान (डेवलपमेंट प्लान) को रद्द करने का निर्णय लिया. हालांकि, सरकार ने इसका आधिकारिक कारण स्पष्ट नहीं किया है, लेकिन आरक्षण (आरक्षित भूमि) डालते समय बड़े पैमाने पर भ्रष्टाचार होने की चर्चा जोरों पर है.पीएमआरडीए की योजना रद्द होने का सीधा असर पुणे मनपा पर भी पड़ा है.  
 
अन्य गांवों की विकास योजना भी अधर में लटकीं
2017 में मनपा चुनाव के बाद 11 और गांवों को पुणे मनपा में शामिल किया गया. इसके बाद मनपा ने इन गांवों की विकास योजना बनाने का काम शुरू किया. हालांकि, इस दौरान दो साल तक कोरोना महामारी के कारण इस योजना पर काम धीमा रहा, लेकिन काफी हद तक प्रक्रिया आगे बढ़ गई थी.मार्च 2022 में मनपा में प्रशासकीय शासन लागू होने के बाद लोक-निर्वाचित नगरसेवक न होने के कारण प्रशासकों ने इस योजना पर कोई निर्णय नहीं लिया. मार्च 2024 में राज्य सरकार ने तय समय सीमा में योजना तैयार न होने की वजह से इसे प्रशासक से वापस लेकर नगररचना विभाग के सहायक संचालक को सौंप दिया.लेकिन एक साल बीतने के बावजूद इस योजना को अब तक मंजूरी नहीं मिली है.  
 
येवलेवाड़ी की विकास योजना 6 वर्षों से लंबित
राज्य सरकार ने 2017 की महापालिका चुनाव से पहले न्यायालय के आदेश के अनुसार येवलेवाड़ी को पुणे मनपा सीमा में शामिल किया था.मनपा ने येवलेवाड़ी की अलग विकास योजना तैयार कर इसे अक्टूबर 2018 में सरकार को मंजूरी के लिए भेजा. लेकिन छह साल बीतने के बाद भी इस योजना को अब तक सरकार की मंजूरी नहीं मिली है.  
 
योजनाओं का करना होगा इंतजार
पुणे मनपा की सीमा में 2021 में शामिल किए गए 23 गांवों की विकास योजना भी पीएमआरडीए द्वारा तैयार की जा रही थी. लेकिन राज्य सरकार ने इस योजना को रद्द कर दिया, जिससे इन 23 गांवों को विकास के लिए और कई वर्षों तक इंतजार करना पड़ेगा. इन 23 गांवों में म्हालुंगे, सूस, बावधन बुद्रुक, किरकटवाड़ी पिसोली, कोंढवे धावडे, कोपरे, नांदेड, खड़कवासला, मांजरी बुद्रुक, नर्हे, होलकरवाड़ी, औताड़े, हांडेवाड़ी, वडाचीवाड़ी, शेवालीवाड़ी, नांदोशी, सणसनगर, मागंडेवाड़ी, भिलारेवाड़ी, गुजर निंबालकरवाडी, जांभुलवाड़ी, कोलेवाड़ी और वाघोली.  
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