मार्केटयार्ड, 4 अप्रैल (आ. प्र.) राज्य में पारंपरिक हिंदू नववर्ष का पर्व गुढ़ी पाड़वा आमतौर पर आमों की खरीदारी का मौसम होता है, लेकिन इस बार त्योहार के बाद आमों की कीमतों में गिरावट देखी गई है, जिससे ग्राहकों को पसंदीदा फल का आनंद लेने का मौका मिल रहा है. पुणे के मार्केटयार्ड के कमीशन एजेंट रोहन उर्सल ने बताया कि वसंत त्योहार के बाद से कीमतें स्थिर हो गई हैं. ऐसा हर साल होता है. गुढ़ी पड़वा से दो दिन पहले थोक कीमतों में काफी गिरावट आती है. रिटेल में कीमतें थोक कीमतों जितनी नहीं गिरती हैं. लोग गुढ़ी पाड़वा से पहले कच्चे आम खरीदना बंद देते हैं क्योंकि वे तैयार आम बेचना चाहते हैं. रत्नागिरी देवगढ़ आम, जो पिछले सप्ताह तक 1,600 से 1,800 रुपये प्रति दर्जन बिक रहा था, अब 1,000 से 1,300 रुपये में बिक रहा है. अधिकांश आमों की अब त्योहार से पहले के मुकाबले 500-600 रुपये कम हो गई हैं. पिछले साल की कीमतों से तुलना के बारे में पूछे जाने पर उर्सल ने कहा कि के अल्फांसो आम कीमत, जो पिछले साल लगभग 300 से 500 रुपये प्रति दर्जन बिकी थी, इस साल बढ़कर 600 से 800 रुपये हो गई है, यह आपूर्ति कमी के कारण है. ान में आमों की मांग लोग गुढ़ी पाड़वा के समय खा चुके हैं. कोई व्यक्ति जो पांच क्रेट्स (एक क्रेट में लगभग चार दर्जन आम होते हैं) की आवश्यकता रखते थे, उन्होंने कम से कम एक क्रेट आम चखने के लिए ले लिया है. लोग कीमतों के और गिरने का इंतजार कर रहे हैं. वहीं देरी से हुई बारिश और गर्म हवाओं सहित कई क्लाइमेट बदलावों ने आम के उत्पादन को प्रभावित किया है. मार्केटयार्ड के एक अन्य कमीशन एजेंट युवराज काची ने कहा कि पिछले साल गुढ़ी पाड़वा के दौरान बाजार भाव 500 से 700 रुपये प्रति दर्जन था और इस साल इसी समय भाव 800 से 1,600 रुपये थे. ऐसा इसलिए हुआ क्योंकि उत्पादन प्रभावित हुआ था. क्लाइमेट बदलावों के कारण कोंकण क्षेत्र में आमों के उत्पादन में 40 प्रतिशत की कमी आई है, जिससे कीमतों में इजाफा हुआ है.