पुणे, 7 अप्रैल (आज का आनंद न्यूज नेटवर्क)
जैन अल्पसंख्यक विकास आर्थिक महामंडल की ओर से जैन मराठी विश्वकोश का निर्माण किया जाएगा. इस विश्वकोश में पिछले पांच हजार वर्षों से भी अधिक समय का पुरातात्विक से लेकर आधुनिक इतिहास समाहित किया जाएगा. महामंडल के अध्यक्ष ललित गांधी ने सोमवार को आयोजित पत्रकार वार्ता में यह घोषणा करते हुए कहा कि इस वेिशकोश के माध्यम से जैन धर्म के विद्वानों से लेकर आम पाठकों तक को तटस्थ और प्रमाणिक जानकारी उपलब्ध कराई जाएगी. इस समिति के प्रमुख ललित गांधी के साथ संत साहित्य के वरिष्ठ विद्वान डॉ. सदानंद मोरे और जैन साहित्य के अभ्यासक डॉ. संजय सोनवणी ने पत्रकारों से संवाद किया. इस मौके पर संदीप भंडारी, अर्चना लुणावत, महेश देसाई, संदीप लुणावत, रवींद्र शहा और अभिजीत शहा उपस्थित थे. जैन धर्म का
भारतीय संस्कृति में गहरा योगदानः डॉ. मोरे
डॉ. सदानंद मोरे ने कहा कि जैन धर्म और उसका दर्शन भारत की प्राचीन संस्कृति और समाज की रचना में सहायक रहा है. महामंडल द्वारा जैन धर्म पर आधारित यह मराठी वेिशकोश बनाने का निर्णय ऐतिहासिक है, जिसमें अन्य भाषाओं में उपलब्ध जैन साहित्य और ज्ञान को भी सम्मिलित किया जाएगा.
समण परंपरा से उपजा जैन धर्म
डॉ. संजय सोनवणी ने कहा कि जैन धर्म समण परंपरा से जन्मा, जिसमें सभी जीवों के प्रति समभाव और अहिंसा का पालन प्रमुख रहा. उन्होंने बताया कि पहले तीर्थंकर ऋषभनाथ ने मानव सभ्यता के विकास की नींव रखी, जिसे भगवान महावीर ने वैेिशक दृष्टिकोण अनेकांतवाद के सिद्धांत तक पहुंचाया. डॉ. सोनवणी ने आगे बताया कि जैन धर्म का वाङ्मय प्राकृत, संस्कृत, तेलुगू, तमिल, कन्नड़ जैसी कई भाषाओं में उपलब्ध है. समिति में शामिल प्रमुख नाम इस उपक्रम के लिए गठित समिति में अध्यक्ष ललित गांधी, कार्यकारी अध्यक्ष विलास राठौड़, श्रीराम पवार, 98वें अखिल भारतीय मराठी साहित्य सम्मेलन के संयोजक संजय नहार (मुख्य मार्गदर्शक), संपादकीय मंडल प्रमुख डॉ. संजय सोनवणी और सदस्य के रूप में महावीर अक्कोले, डॉ. सी. एन. चौगुले, गोमटेश पाटिल महावीर शास्त्री व डॉ. अजित पाटिल शामिल हैं.
महावीर जयंती पर होगा कार्यारंभ
गांधी ने बताया कि विश्वकोश का कार्य पुणे के सेनापति बापट रोड स्थित वर्धमान एजुकेशन एंड रिसर्च इंस्टिट्यूट में शुरू होगा. कार्य का शुभारंभ महावीर जयंती (10 अप्रैल) के दिन किया जाएगा. इस वेिशकोश का पहला खंड तीन वर्षों में प्रकाशित करने की योजना है. इस परियोजना के लिए जरूरी जानकारी विशेषज्ञ शोधकर्ताओं से सत्यापित कर ही प्रकाशन के लिए चुनी जाएगी, जिससे इसकी प्रामाणिकता बनी रहेगी. इस परियोजना के लिए खर्च राज्य सरकार और समाज के सहयोग से किया जाएगा.