दुनिया में क्रास बार्डर टेररिज्म के साथ काराेबार भी है , मगर जवाब देना जरूरी हैं

18 May 2025 00:03:05


बात ताे चुभेगी
 

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तुर्किये के राष्ट्रपति रिसेप तैय्यिप एर्दाे आन अपनी प्रशंसा से गद्गद हैं. पाकिस्तान में तुर्किये के राजदूत इरफान नेजीराेग्लू के साथ मुलाक़ात के दाैरान शहबाज़ शरीफ ने कहा, ‘राष्ट्रपति एर्दाेआन ने एक बार फिर पाकिस्तान के लाेगाें के प्रति अपने प्यार का प्रदर्शन किया है. उन्हाेंने पाकिस्तानतुर्किये भाईचारे के इतिहास में एक नया और गाैरवशाली अध्याय जाेड़ा है.’ लेकिन, तुर्किये कीइस करतूत के खिलाफ भारत में लगातार ग़ुस्से का इज़हार किया जा रहा है.यह विडंबना ही है, भारत के खिलाफ युद्ध के लिए उकसाने वाला तुर्किये, इन दिनाें रूस-यूक्रेन के बीच शांति वार्ता की मेज़बानी कर रहा है. लेकिन क्या तुर्किये का इलाज उसकी चंद कंपनियाें काे भारत में काम करने से राेकने, तुर्किये के विश्वविद्यालय इनाेनु के साथ जेएनयू का शैक्षणिक एक्सचेंज समझाैता रद्द कर देने भर से संभव है?
प्रश्न यह भी है, कि क्या जेएनयू काे ऐसा काेई निर्देश मानव संसाधन मंत्रालय से गया था, कि इनाेनु से 2028 तक हुआ ‘एमओयू’ ताेड़ दाे? जेएनयू का चीनी विश्वविद्यालयाें के साथ विभिन्न शैक्षणिक आदान-प्रदान कार्यक्रमाें के लिए एमओयू हाे चुका है. इनमें संयु्नत शाेध परियाेजनाएं, शिक्षक-छात्र आदान-प्रदान कार्यक्रम, और पाठ्यक्रम विकास शामिल हैं. जेएनयू के ‘ग्लाेबल इनिशिएटिव ऑफ एकेडमिकनेटवर्क’ ने दुनिया भर के विश्वविद्यालयाें के साथ 35 से अधिक पाठ्यक्रम संचालित किए हैं. संयु्नत शाेध परियाेजनाओं पर पेइचिंग विश्वविद्यालय के साथ साझेदारी भी की है. तुर्किये समेत इन सभी देशाें से भारत के कूटनीतिक संबंध सामान्य चल रहे हैं. फिर, तुर्किये के विश्वविद्यालय ‘इनाेनु’ के साथ जेएनयू का शैक्षणिक एक्सचेंज समझाैता स्वतःस्फूर्त तरीके से रद्द कर देना, कई सवाल खड़े कर देता है.
तुर्किये के विश्वविद्यालय के साथ ऐसा कर सकते हैं, ताे चीनी विश्वविद्यालयाें के साथ क्याें बगलगीर हैं? भारत - पाक युद्ध में चीनी मिसाइलें छूट रही थीं. चीनी रक्षा प्रणाली नहीं हाेतीं, ताे पाकिस्तान की मिट्टी-पलीद हाे जाती. लेकिन चीन के विरुद्ध चूं नहीं बाेला जा रहा है.राष्ट्रपति रिसेप तैय्यिप एर्दाेआन का दाेहरा चरित्र किसी से छिपा नहीं है. छद्म राष्ट्रवाद के बहाने तुर्किये की जाे दुर्दशा एर्दाे आन कर रहे हैं, उसकी हालिया मिसाल एक रिपाेर्ट है, जिसमें जानकारी दी गई, कि तुर्किये के दस में केवल चार युवाओं काे ही राेज़गार मिल सका है. एर्दाेआन, ट्रंप के गुडबुक में आने के वास्ते दिलाेजान से लगे हुए हैं. अमेरिकी सांसदाें के एक द्विदलीय समूह ने 7 मई, 2025 काे राष्ट्रपति ट्रंप काे लिखे एक पत्र में तुर्किये काे एफ-35 जेट की किसी बिक्री का विराेध किया है. पत्र मेंचेतावनी दी गई, कि तुर्किये द्वारा एस-400 सिस्टम काे बनाए रखना, उसे नाटाे और अमेरिकी तकनीक के साथ असंगत बनाता है.
सांसदाें ने उल्लेख किया, कि 2019 में ‘काउंटरिंग अमेरिकाज एडवर्सरीज थ्रू सैंक्शंस एक्ट’ के तहत तुर्किये काे एफ-35 ज्वाइंट स्ट्राइक फाइटर प्राेग्राम से हटा दिया गया था. उन्हाेंने चेतावनी दी, कि तुर्किये काे फिर से शामिल करना, उस कानून का उल्लंघन हाेगा, जाे एस-400 के चालू रहने के दाैरान एफ-35 के पुर्जाें, या सहायता के हस्तांतरण पर राेक लगाता है.ट्रंप-एर्दाेआन दाेस्ती से अलहदा, भारत-तुर्किये दाेस्ती पर हम वापस लाैटते हैं. इस समय सरकारी से अधिक प्राइवेट प्रतिबंधाें का दाैर शुरू है. ली ट्रैवेन्यूज टेक्नाेलाॅजी, ईजी ट्रिप प्लानर्स और काॅक्स एंड किंग्स सहित प्रमुख भारतीय ट्रैवल प्लेटफाॅर्म ने तुर्किये और अजरबैजान के लिए प्रचार और सेवाएं भी स्थगित कर दी हैं. काॅक्स एंड किंग्स के एक कार्यकारी करण अग्रवाल ने कहा, कि कंपनी स्थिति पर बारीकी से नज़र रख रही है, और स्थिति में सुधार हाेने पर परिचालन फिर से शुरू करने पर विचार करेगी.
भारत के नागरिक उड्डयन प्राधिकरण के अनुसार, 2024 में लगभग पांच लाख भारतीयाें ने तुर्किये का दाैरा किया था, जाे 2019 के आंकड़ाें से दाेगुना है. पिछले साल भी अजरबैजान में 80,000 से ज़्यादा भारतीय पर्यटक आए थे.निश्चित रूप से इसका असर इन देशाें के पर्यटन व्यवसाय पर पड़ेगा.भारत ने वित्त वर्ष 2024 में तुर्किये काे 3,885 वस्तुओं का निर्यात किया, जाे कुल जमा 6.66 बिलियन अमेरिकी डाॅलर का था. इसी अवधि में भारत ने तुर्किये से 2,482 वस्तुओं का आयात किया, जिसकी क़ीमत 3.78 बिलियन अमेरिकी डाॅलर थी, यानी इस आयात-निर्यात में फायदा भारत काे ही हाे रहा था. डबल से थाेड़ा कम. सेन्ट्रल बैंक ऑफ तुर्किये के अनुसार, ‘भारतीय कंपनियाें ने तुर्किये में लगभग 126 मिलियन डाॅलर का निवेश किया है. इधर भारत में तुर्किये का निवेश लगभग 210.47 मिलियन डाॅलर है.
अंकारा स्थित भारतीय दूतावास के अनुसार, ‘तुर्किये में पंजीकृत प्रमुख भारतीय कंपनियाें में ट्रैक्टर्स एंड फार्म इ्निवपमेंट लिमिटेड, महिंद्रा, साेनालीका, टाटा माेटर्स, जिंदल, इंडाे-रामा, बिड़ला सेल्यूलाेज, पाॅलीप्लेक्स, जीएमआर इन्फ्रास्ट्रक्चर, मेरिल लिंच, पुंज लाॅयड, रिलायंस इंडस्ट्रीज, थर्मैक्स, विप्राे, डाबर, जैन इरिगेशन जैसी 150 भारतीय कंपनियां हैं.’ लाखाें लाेगाें का राेज़गार इससे चल रहा है. ताे क्या सारी कंपनियाें पर ताला लगा देना चाहिए? प्रधानमंत्री माेदी बार-बार यह वाक्य अपने भाषणाें में इस्तेमाल कर रहे हैं, ‘ट्रेड और टेरर साथ-साथ नहीं चल सकता.’ मुझे लगता है, इसमें थाेड़ा संशाेधन की ज़रूरत है. अगर सचमुच इस थ्याेरी पर पूरी दुनिया चलना शुरू करे, ताे 193 में एक-चाैथाई देश ही काराेबार के लिए रह जायेंगे. पूरी दुनिया में क्राॅस बाॅर्डर टेररिज्म के साथ-साथ काराेबार भी चल रहा है.
एर्दाेआन जिस तरह पाकिस्तान के कंधे पर बंदूक रखकर भारत काे साध रहे हैं, उनका इलाज, उन्हीं की भाषा में किया जाना चाहिए.उदाहरण के लिए, तुर्किये और साइप्रस के बीच तनाव मुख्यतः साइप्रस द्वीप के विभाजन, समुद्री सीमा विवाद, ग्रीक साइप्रसियाें और तुर्किये साइप्रसियाें के बीच संबंधाें काे लेकर है. वर्ष 1974 में तुर्किये के साइप्रस पर आक्रमण के बाद, द्वीप दाे हिस्साें में विभाजित हाे गया.तुर्किये गणराज्य अंकारा द्वारा मान्यताप्राप्त उत्तरी साइप्रस (टीआरएनसी) का हिस्सा है, और उसके बरक्स एक वैसा साइप्रस गणराज्य खड़ा है, जिसे अंतर्राष्ट्रीय समुदाय द्वारा मान्यता प्राप्त है. एर्दाेआन जिस तरह से कश्मीर में खेल रहे हैं, भारत भी ग्रीक साइप्रसियाें के साथ खड़ा दिखे, तब इस ‘ग्रेट गेम’ का मज़ा है.
कज़ाकिस्तान, उज्बेकिस्तान, किर्गिस्तान और तुर्कमेनिस्तान ने हाल ही में दक्षिणी साइप्रस के ग्रीक साइप्रस प्रशासन (जीसीए) में राजनयिक मिशन खाेलने का फैसला किया है. इन उद्घाटनाें के साथ-साथ, उन्हाेंने संयु्नत राष्ट्र सुरक्षा परिषद के प्रस्तावाें 541 और 550 का भी समर्थन किया, जाे उत्तरी साइप्रस में तुर्किये की उपस्थिति काे ‘कब्ज़े’ के रूप में परिभाषित करते हैं. एर्दाेआन इस बात काे लेकर इन सेंट्रल एशियाई देशाें से तपे हुए हैं. भारत काे चाहिए कि वह उत्तरी साइप्रस में तुर्किये के कब्ज़े के सवाल पर अपने इन चार सेंट्रल एशियाई मित्राें के साथ खड़ा दिखे. हिसाब हाे जायेगा बराबर! -पुष्परंजन
 
 
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