आजाद भारत में पहली बार जाति जनगणना कराई जाएगी और अगली जनगणना के साथ जातियाें के आंकड़े भी गिने जायेंगे. माेदी सरकार ने भारत-पाकिस्तान तनाव के बीच यह बड़ा फैसला लिया है. प्रधानमंत्री नरेंद्र माेदी की अध्यक्षता में संपन्न मंत्रिमंडल की बैठक के बाद केंद्रीय मंत्री अश्विनी वैष्णव ने यह जानकारी दी. इस मुद्दे व मांग काे लेकर सत्तापक्ष व विपक्ष के बीच चल रहे ‘तू डाल डाल, मैं पात पात’ का खेल माेदी कैबिनेट ने ही खत्म कर दिया.इसकी मांग कर रही कांग्रेस सहित बीजेडी, सपा, आरजेडी, बसपा, एनसीपी-शरदचंद्र पवार सहित विभिन्न विपक्षी दल चाराें खाने चित हाे गये.सरकार के फैसले पर आरजेडी नेता तेजस्वी यादव ने कहा कि सरकार काे आखिर हमारी मांग माननी पड़ी. यह विपक्ष की जीत है.
इससे सरकार ने जाति जनगणना न कराने काे लेकर आलाेचना कर रहे विपक्ष से हथियार छीनकर यह संदेश दिया है कि वह जातियाें की गिनती के लिए तैयार है. उन्हाेंने कहा कि यह अच्छी तरहसे समझा जा सकता है कि कांग्रेस और उसके सहयाेगी दलाें ने जाति जनगणना काे केवल एक राजनीतिक हथियार के रूप में इस्तेमाल किया है.कुछ राज्याें ने यह अच्छा किया है, कुछ अन्य ने केवल राजनीतिक दृष्टिकाेण से गैर-पारदर्शी तरीके से ऐसे सर्वेक्षण किए हैं. ऐसे सर्वेक्षणाें ने समाज में संदेह पैदा किया है. यह सुनिश्चित करने के लिए कि राजनीति से हमारा सामाजिक ताना-बाना खराब न हाे, सर्वेक्षण के बजाय जाति गणना काे जनगणना में शामिल किया जाना चाहिए.
जनगणना इस साल सिंतबर से शुरू की जा सकती है. इसे पूरा हाेने में कम से 2 साल लगेंगे. ऐसे में अगर सितंबर में भी जनगणना की प्रक्रिया शुरू हुई ताे अंतिम आंकड़े 2026 के अंत या 2027 की शुरुआत में आएंगे. 2021 में जनगणना काे काेविड-19 महामारी के कारण टाल दिया गया था. जनगणना आमताैर पर हर 10 साल में की जाती है, लेकिन इस बार थाेड़ी देरी हुई है. कांग्रेस समेत बीजेडी, सपा, आरजेडी, बसपा, एनसीपी-शरदचंद्र पवार आदि पार्टियां देश में जातिगत जनगणना की मांग कर रही हैं.