अरण्येेशर, 22 मई (आज का आनंद न्यूज नेटवर्क) शहरी सहकारी बैंकों में सीईओ एक महत्वपूर्ण पद है. हम पुणे शहरी सहकारी बैंक एसोसिएशन के सहयोग से वाणिज्य विभाग में जून माह से सीईओ के लिए एक वर्षीय डिप्लोमा पाठ्यक्रम शुरू कर रहे हैं. केंद्र सरकार की शिक्षा नीति में कौशल विकास प्रशिक्षण महत्वपूर्ण है. केंद्र सरकार ने एक नया अप्रेंटिसशिप फोर-एम्ब्रियोनिक डिग्री प्रोग्राम ( AEDP) शुरू किया है. यदि बैंक वाणिज्य विभाग के विद्यार्थियों को बैंक में व्यावहारिक कार्य करने का अवसर प्रदान करें तो भविष्य में बैंकों के पास अच्छे मानव संसाधन उपलब्ध होंगे. इसलिए सावित्रीबाई पुणे वेिशविद्यालय के प्र-कुलपति डॉ. पराग कालकर ने बैंकों और पुणे शहरी सहकारी बैंक एसोसिएशन से इस संबंध में सहयोग करने की अपील की है. वह पुणे शहरी सहकारी बैंक एसोसिएशन के 46वें वर्षगांठ समारोह में मुख्य अतिथि के रूप में बोल रहे थे. यह कार्यक्रम एसोसिएशन के शिवाजीभाई ढमढरे सभागार में मनाया गया. इस अवसर पर बैंक एसोसिएशन के अध्यक्ष एड. सुभाष मोहिते, विद्याधर अनास्कर (प्रशासक, राज्य सहकारी बैंक), निदेशक नीलेश ढमढेरे, रमेश वाणी, तुकाराम गूजर, डॉ. प्रिया महिन्द्रे एवं अन्य उपस्थित थे. इस अवसर पर बैंकिंग कंटेंट पत्रिका के वार्षिक विशेषांक का प्रकाशन डॉ. पराग कालकर द्वारा किया गया. अध्यक्ष एड. सुभाष मोहिते ने सभा का स्वागत किया. उन्होंने कहा कि एसोसिएशन की स्थापना 19 मई 1979 को हुई थी. शहरी सहकारी बैंकों को बढ़ावा देने के लिए कई वरिष्ठ सदस्यों ने इस एसोसिएशन की स्थापना की. शहरी सहकारी बैंकों के निदेशकों और कर्मचारियों के लिए प्रशिक्षण, सहकारिता में सहकार और सहयोग उनका लक्ष्य था. मैं एसोसिएशन की प्रगति के लिए सदस्य बैंकों से प्राप्त प्रतिक्रिया और सहयोग के लिए आभारी हूं. विद्याधर अनास्कर ने कहा कि पुणे में 15 शहरी सहकारी बैंकों को बंद करने की घटना की पोस्टमॉर्टम जांच की जरूरत है. क्योंकि अन्य लोगों को इस तरह बैंकिंग न करने के बारे में सबक सीखने की जरूरत है. कानून के अनुसार, सारी जिम्मेदारी निदेशक मंडल की है. इसलिए, चूंकि बैंकिंग क्षेत्र में जोखिम भी बढ़ रहा है, इसलिए बैंक निदेशकों को प्रशिक्षण प्रदान करना महत्वपूर्ण है. हालही में वेिशेेशर सहकारी बैंक को भी भारतीय रिजर्व बैंक द्वारा बहुराज्यीय अनुसूचित सहकारी बैंक का दर्जा दिया गया. इसलिए बैंक को इस कार्यक्रम में सम्मानित किया गया. कार्यक्रम का संचालन चंद्रकांत शेलके ने किया. नीलेश ढमढेरे ने आभार व्यक्त करते हुए कहा कि सहकारी बैंकों को भी बदलती प्रौद्योगिकी के अनुरूप ढलना चाहिए.