बाजीराव रोड, 22 मई (आज का आनंद न्यूज नेटवर्क)चाहे हम चाहें या न चाहें, हमें अपना काम तो करना ही होगा. कर्म एक आवश्यक चीज है. यदि आप कोई काम नहीं भी करते हैं, तो भी सांस लेना और छोड़ना एक ऐसा काम है जो आपको करना ही पड़ता है. प.पू. गाणपत्य विद्यावाचस्पति स्वानंद पुंड शास्त्री महाराज ने कहा कि प्रत्येक कार्य को ईेशर से जोड़ना ही कर्म योग है. श्रीमंत दगडूशेठ हलवाई सार्वजनिक गणपति ट्रस्ट और सुवर्णयुग तरुण मंडल की ओर से ‘श्री गणेश गीता में कर्मयोग' विषय पर आयोजित निरुपण श्रृंखला में वे बोल रहे थे. श्रीमंत थोरले बाजीराव रोड पर स्थित नूमवि स्कूल और जूनियर कॉलेज के सभागार में इसका आयोजन किया गया है. व्याख्यानों की यह श्रृंखला शनिवार (24 मई) तक प्रतिदिन सायं 6:30 से 8:00 बजे तक सभी के लिए निःशुल्क खुली है. प. पू. स्वानंद पंडित शास्त्री महाराज ने कहा, हमें अपने कर्मों के फल की इच्छा छोड़ देनी चाहिए. आपको अपना काम करते रहना होगा. यह समझना महत्वपूर्ण है कि व्यक्ति को कर्मफल की इच्छा क्यों छोड़ देनी चाहिए. यदि वह इच्छा रखी जाए तो इच्छा पूरी होने पर अहंकार बढ़ता है, या इच्छा अधूरी रहने पर क्रोध बढ़ता है. अतः दोनों स्थितियों में हानि निश्चित है. यदि आप वेिशास करते हैं कि ईेशर ऐसा करता है, तो आप खुशी पा सकते हैं. हमारा लक्ष्य हर कार्य से आनंद प्राप्त करना होना चाहिए.