खराड़ी में फर्जी कॉल सेंटर से 70 करोड़ की ठगी का भंडाफोड़

25 May 2025 14:29:20

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पुणे, 24 मई (आज का आनंद न्यूज नेटवर्क)

झारखंड का ‌‘जमताड़ा' गांव साइबर ठगी के लिए देश-विदेश में कुख्यात रहा है. अब इसी जमतारा का आधुनिक संस्करण पुणे के खराड़ी इलाके में सामने आया है. आईटी हब माने जाने वाले खराड़ी क्षेत्र में एक भव्य कॉर्पोरेट ऑफिस की आड़ में 70 करोड़ रुपये की हाई-टेक साइबर ठगी को अंजाम दिया जा रहा था. अमेरिकी नागरिकों को डिजिटल गिरफ्तारी, ड्रग्स और फर्जी बैंक खातों के नाम पर डराकर ठगने वाले इस रैकेट का भंडाफोड़ पुणे पुलिस की तगड़ी कार्रवाई से हुआ. देर रात छापेमारी में पुलिस ने जहां 123 लोगों को हिरासत में लिया, वहीं 5 मुख्य आरोपियों को गिरफ्तार कर लिया गया है. इस फर्जीवाड़े का मास्टरमाइंड अभी भी फरार है और उसकी तलाश जारी है. प्राप्त जानकारी के अनुसार पुणे पुलिस को प्राइड आइकॉन बिल्डिंग की 9वीं मंजिल पर स्थित ‌‘मैग्नेटल बीपीएस एंड कंसल्टंस एलएलपी' नामक फर्जी कॉल सेंटर में यह हाई-टेक ठगी का रैकेट मिला. यहां करीब 123 लोग अमेरिकी नागरिकों को इंटरनेट कॉल्स के जरिए डिजिटल अरेस्ट और अन्य तरह की धमकियां देकर ठगते थे. यह कॉल सेंटर जुलाई 2024 से संचालित हो रहा था और रोजाना लगभग 30 से 40 हजार डॉलर की ठगी की जा रही थी. पुलिस की प्राथमिक जांच के अनुसार, इस गिरोह ने अब तक लगभग 70 करोड़ रुपये की ठगी की है. इस मामले में अब तक 5 मुख्य आरोपियों को गिरफ्तार किया गया है. पुलिस द्वारा गिरफ्तार आरोपियों के नाम सरजीत सिंह गिरावत सिंह शेखावत (निवासी-खराड़ी मूल निवासी- झुंझुनू, राजस्थान), अभिषेक अजयकुमार पांडे (मूल निवासी-अहमदाबाद, गुजरात), श्रीमय परेश शाह (मूल निवासी-अहमदाबाद, गुजरात), लक्ष्मण अमरसिंह शेखावत (मूलनिवासी-अहमदाबाद, गुजरात) एरोन अरुमन क्रिश्चन (निवासी-अहमदाबाद, गुजरात) हैं जबकि मुख्य साजिशकर्ता करणसिंह शेखावत, संजय मोरे और केतन रवानी अभी भी फरार हैं. पुलिस ने कॉल सेंटर से 13.74 लाख नकद, 64 लैपटॉप, 41 मोबाइल फोन, 4 राउटर कर्मचारियों के पहचान पत्र, फर्जी कॉल स्क्रिप्ट्‌‍स व संवाद दस्तावेज (अंग्रेजी में), वीपीएन और अन्य संदिग्ध ऐप्स जब्त किए हैं. सह पुलिस आयुक्त रंजनकुमार शर्मा और पुलिस उपायुक्त निखिल पिंगले के अनुसार, साइबर अपराध शाखा को सूचना मिली थी कि खराड़ी में एक फर्जी कॉल सेंटर रात में सक्रिय है. छानबीन में पता चला कि यह सेंटर शाम 6 बजे से सुबह 2 बजे तक चालू रहता है.इसके बाद 30 पुलिस अधिकारियों और 150 जवानों की टीम ने रात 10:30 बजे छापा मारा. उस समय 111 पुरुष और 12 महिलाएं काम कर रही थीं. पुलिस ने सभी को वहीं रोक लिया और उनके लैपटॉप की जांच की. यह था ठगी का तरीका अमेरिकी नागरिकों को बताया जाता था कि उनके नाम से कोई पार्सल भेजा गया, जिसमें ड्रग्स मिले हैं. उनके नाम से बैंक खाता खोलकर फर्जी लेन-देन किए गए हैं और उन पर आपराधिक मुकदमा दर्ज हुआ है. कुछ मामलों में बताया जाता कि उन्हें डिजिटल अरेस्ट किया गया है. उन्हें डराकर बैंक खाते की जांच के नाम पर पैसा ट्रांसफर करने को कहा जाता. अमेजान अकाउंट से ड्रग्स तस्करी का झूठा आरोप लगाकर उन्हें गिफ्ट कार्ड या क्रिप्टो करेंसी भेजने को मजबूर किया जाता. इन गिफ्ट कार्ड और क्रिप्टो करेंसी को हवाला चैनल के जरिए नकद में बदलकर भारत लाया जाता था.  
 
कार्रवाई में यह टीम थी शामिल

यह कार्रवाई पुलिस आयुक्त अमितेश कुमार, सह पुलिस आयुक्त रंजनकुमार शर्मा, पुलिस उपायुक्त निखिल पिंगले, विवेक मिसाल, सहायक पुलिस आयुक्त गणेश इंगले के मार्गदर्शन में वरिष्ठ पुलिस निरीक्षक स्वप्नाली शिंदे, वरिष्ठ पुलिस निरीक्षक शब्बीर सैयद अजय वाघमारे, प्रताप मानकर, वाहिद पठाण, सहायक पुलिस निरीक्षक आशीष कवठेकर, पुलिस उपनिरीक्षक तुषार भोसले, संतोष तानवडे, राम दलवी, वैभव मगदूम, सहायक पुलिस फौजदार कैलास चव्हाण, अविनाश इंगले, पुलिस कर्मचारी होले, वाघमारे, विजय पवार, बाला साहेब सकटे,नीलेश जाधव, हरीश मोरे, विशाल इथापे, देवीदास वांढरे, अमित जमदाड़े, ऋषिकेश व्यवहारे, निखिल जाधव, सीमा सुडीत, स्मिता हंबीर, जान्हवी मंडेकर, संदीप पवार, मांढरे, दिनेश मरकड़, सचिन शिंदे और प्रवीण रजपूत की टीम ने की.


फैक्ट फाइल
-70 करोड़ की अंतरराष्ट्रीय ठगी
-अमेरिकी नागरिकों को बनाया जा रहा था निशाना
-डिजिटल अरेस्ट, ड्रग्स केस और बैंक धोखाधड़ी के नाम पर धमकियां
-रोजाना 30-40 हजार डॉलर की ठगी
-123 लोग हिरासत में, 5 गिरफ्तार
-111 पुरुष और 12 महिलाएं सेंटर में काम करते पकड़े गए
-मुख्य मास्टरमाइंड करण सिंह शेखावत अब भी फरार
 
पुलिस ने बरामद किया
 
-13.74 लाख नकद
-64 लैपटॉप
-41 मोबाइल
-फर्जी स्क्रिप्ट्‌‍स और कॉल रिकॉर्ड्स
-VPN और अन्य संदिग्ध ऐप्स
पुलिस की बड़ी कार्रवाई
-रात 10:30 बजे दबिश
-30 अधिकारी और 150 जवान
-साइबर क्राइम ब्रांच की अहम भूमिका







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