कैश मामले में घिरे जस्टिस यशवंत वर्मा के खिलाफ जांच रिपाेर्ट सीजेआई संजीव खन्ना काे साैंपी गई है. सुप्रीम काेर्ट ने साेमवार काे प्रेस रिलीज के जरिए इसकी जानकारी दी है. सुप्रीम काेर्ट ने कहा- 3 मई काे जांच रिपाेर्ट सुप्रीम काेर्ट काे साैंपी गई.4 मई काे ये रिपाेर्ट सीजेआई काे दी गई है. अब इस मामले में आगे का फैसला सीजेआई लेंगे. जांच कमेटी में पंजाब और हरियाणा हाईकाेर्ट के चीफ जस्टिस शील नागू, हिमाचल प्रदेश हाईकाेर्ट के चीफ जस्टिस जी.एस. संधावालिया और कर्नाटक हाईकाेर्ट के चीफ जस्टिस अनु शिवरामन शामिल हैं. जस्टिस वर्मा तब विवादाें में घिर गए थे, जब उनके लुटियंस दिल्ली स्थित घर में 14 मार्च की रात आग लगी थी. उनके घर के स्टाेर रूम से 500-500 रुपए के जले नाेटाें के बंडलाें से भरे बाेरे मिले थेसीजेआई खन्ना के आदेश पर 21 मार्च काे मामले की जांच के लिए 3 सदस्यीय जांच कमेटी गठित की गई थी.
24 मार्च काे सुप्रीम काेर्ट काॅलेजियम ने जस्टिस यशवंत वर्मा का दिल्ली हाईकाेर्ट से इलाहाबाद हाईकाेर्ट में ट्रांसफर की सिफारिश की. काेर्ट की सिफारिश और राष्ट्रपति की मंजूरी के बाद 28 मार्च काे केंद्र सरकार ने ट्रांसफर की अधिसूचना जारी की. जस्टिस यशवंत वर्मा ने इलाहाबाद हाईकाेर्ट में 5 अप्रैल 2025 काे शपथ ली. हालांकि इलाहाबाद हाईकाेर्ट के चीफ जस्टिस काे निर्देश दिया गया कि जस्टिस वर्मा काे काेई न्यायिक काम न साैंपा जाए. आराेपी अनुसूचित जनजाति और ओबीसी से आते हैं. इन्हाेंने 2022 में अपनी सजा के खिलाफ आपराधिक अपीलें झारखंड हाईकाेर्ट में दायर की थीं्. लेकिन करीब 2-3 साल बीतने के बावजूद उन पर फैसला नहीं आया. चार में से एक 16 साल से जेल में है, जबकि अन्य 11-14 वर्षाें की सजा काट चुके हैं.