पिंपरी, 6 मई (आ.प्र.) 1 से 4 मई तक के सप्ताह में ठाणे और उपनगर क्षेत्र के सिंधी समाज के लोगों ने ठाणे स्थित उपवन लेक के किनारे पर एक अनोखा ऐतिहासिक प्रदर्शनी आयोजित की गई. इसमें मुंबई, पुणे और आसपास के क्षेत्रों से आए सिंधी समाज के साथ-साथ अन्य समुदायों के लोगों के लिए 1947 से लेकर आज तक का सिंधी समाज का इतिहास चित्रों, म्यूरल्स, मूर्तियों और ध्वनि प्रणाली के माध्यम से बेहद उत्साह और उल्लास के साथ प्रस्तुत किया गया. इस अवसर पर कई प्रकार के छोटे- छोटे स्टॉल लगाए गए थे जिनमें बैंकों की जानकारी, माता ब्रह्मकुमारी द्वारा प्रबोधन, और सिंधी पारंपरिक खाद्य पदार्थों की झलक देखने को मिली. विशेष रूप से, प्रदर्शनी में मोहनजोदड़ो की एक सुंदर प्रतिकृति भी स्थापित की गई थी. इस प्रदर्शनी में म्यूरल्स के जरिए यह दर्शाया गया कि 1947 में भारत की आजादी के समय सिंध प्रांत में मुस्लिम समुदाय द्वारा सिंधी हिंदुओं पर धर्म परिवर्तन के लिए जबरदस्त अत्याचार और लूटमार शुरू की गई थी. उस समय के सम्पन्न सिंधी समाज के लोग अपनी जान बचाकर रेल की छतों पर, इंजन के ऊपर सवार होकर, अपने घर-जमीन बेचकर या वहीं छोड़कर भारत में आ बसे. इस संपूर्ण दृश्य को अत्यंत कलात्मक म्यूरल्स के जरिए प्रदर्शित किया गया था. प्रदर्शन के दौरान सिंधी भजन गायक भगवान झुलेलाल के भजन अत्यंत उत्साह के साथ प्रस्तुत कर रहे थे. इस आयोजन में सिंधी समाज के प्रसिद्ध संत छोटू साई (साई वसंत शाह दरबार, उल्हासनगर-5) सिंधी समाज को आशीर्वाद देने के लिए विशेष रूप से उपस्थित थे. इस अवसर पर श्रीचंद नागरानी, सुनील कुकरेजा, आत्म प्रकाश मताई, नारायण भागचंदानी, नारायण नाथानी, पितांबर ऐलानी, कृष्णा जेठवानी, पायल जेठवानी, मनोहर वाधवानी, किशोर मेघनानी, ममता तनवानी, गौरी रनजहानी, सुनीता शेरवानी, सारिका गौड़ा आदि पिंपरी के गणमान्य पदाधिकारी उपस्थित थे.