पिंपरी, 8 मई (आज का आनंद न्यूज नेटवर्क)
पर्यावरण संरक्षण के लिए आगामी समय में हरित इमारतों का निर्माण आवश्यक है. हरित इमारतें भूमि, सामग्री, ऊर्जा और पानी का कुशल उपयोग करती हैं. इसके अलावा, इनमें ऊर्जा दक्षता बढ़ाई जाती है और पानी का पुन: उपयोग किया जाता है, जिससे ये पर्यावरण के अनुकूल होती ह्ैं. वास्तुकार और संरचनात्मक इंजीनियरों को हरित इमारतों के निर्माण पर जोर देना चाहिए, यह विचार स्प्राउट कंसल्टेंसी की निदेशक नम्रता धामणकर ने व्यक्त किया. पिंपरी चिंचवड़ एजुकेशन ट्रस्ट (पीसीईटी) द्वारा संचालित रावेत स्थित पिंपरी चिंचवड़ कॉलेज ऑफ इंजीनियरिंग एंड रिसर्च (पीसीसीओईआर) और कॉन्फेडरेशन ऑफ इंडियन इंडस्ट्री, इंडियन ग्रीन बिल्डिंग काउंसिल के संयुक्त आयोजन में ‘इंडियन ग्रीन बिल्डिंग काउंसिल के उद्देश्य और हरित बिल्डिंग' विषय पर एक चर्चा सत्र आयोजित किया गया. इस सत्र में हरित इमारतों की संरचना, सतत पर्यावरण और दृष्टिकोण पर विशेषज्ञों ने मार्गदर्शन किया. इस अवसर पर पीसीसीओईआर के प्राचार्य डॉ. हरिश तिवारी, आर्किटेक्ट ऋतुराज कुलकर्णी (सहयोगी प्राध्यापक, एसबीपीसीओएडी), आर्किटेक्ट ऋजुता पाठक (समन्वयक, खॠइउ स्टूडेंट चैप्टर व सहयोगी प्राध्यापक, एसबीपीसीओएडी), और स्थापत्य अभियांत्रिकी विभाग प्रमुख डॉ. सुदर्शन बोबडे उपस्थित थे. डॉ. सुदर्शन बोबड़े ने स्वागत भाषण दिया, और प्रा. चेतन चव्हाण ने आभार व्यक्त किया. यह आयोजन पीसीईटी के अध्यक्ष ज्ञानेेशर लांडगे, उपाध्यक्ष पद्माताई भोसले, सचिव विठ्ठल कालभोर, कोषाध्यक्ष शांताराम गराडे, वेिशस्त और पीसीयू के कुलपति हर्षवर्धन पाटिल उद्योजक नरेंद्र लांडगे, अजिंक्य कालभोर, कार्यकारी निदेशक डॉ. गिरीश देसाई के मार्गदर्शन में आयोजित किया गया था.