पुणे, 14 जून (आज का आनंद न्यूज नेटवर्क)
महिलाओं की भूमिका अब सिर्फ घर की चारदीवारी तक सीमित नहीं रही. शिक्षा, रोजगार और सामाजिक नेतृत्व के क्षेत्रों में आज की नारी आत्मवेिशास और आत्मनिर्भरता के साथ आगे बढ़ रही है. लेकिन इस बदलाव के साथ चुनौतियाँ भी हैं. कामकाजी महिलाओं को दोहरी जिम्मेदारियाँ निभानी पड़ती हैं, जिनमें घर और पेशेवर जीवन दोनों शामिल हैं. इस विशेष बातचीत में महिलाओं और समाज के सक्रिय नागरिकों ने दै. आज का आनंद के लिए प्रो. रेणु अग्रवाल से अपने विचार साझा किए हैं. कैसे एक स्त्री नौकरी, परिवार, रिश्ते और सामाजिक अपेक्षाओं के बीच संतुलन बनाते हुए प्रेरणास्रोत बन रही है. यह सिर्फ महिलाओं की नहीं, एक जागरूक समाज की आवाज है जो समानता, सम्मान और सहयोग की दिशा में बढ़ रहा है. प्रस्तुत हैं उनकी बातचीत के प्रमुख अंश-
हर महिला को सम्मान और सुरक्षा मिलनी चाहिए स्वतंत्रता के बाद महिलाओं की सामाजिक भूमिका में बड़ा परिवर्तन आया है. विशेष रूप से कामकाजी महिलाओं की संख्या में वृद्धि एक सामाजिक क्रांति का संकेत है. जब स्त्री-पुरुष मिलकर आर्थिक जिम्मेदारियां निभाते हैं, तो परिवार की स्थिति मजबूत होती है और राष्ट्र भी प्रगति करता है. लेकिन कामकाजी महिलाओं को कार्यस्थल और समाज में कई चुनौतियों का सामना करना पड़ता है. वे इन बाधाओं को पार करती हुई लगातार आगे बढ़ रही हैं. यह संघर्ष और जुझारूपन समाज के लिए प्रेरणादायक है. हमें समझना होगा कि यह केवल महिलाओं की समस्या नहीं, पूरे समाज की जिम्मेदारी है. जब तक हम इनके समाधान हेतु ठोस कदम नहीं उठाएंगे, तब तक एक सशक्त समाज की नींव अधूरी ही रहेगी. सच्ची तरक्की तभी संभव है जब हर महिला को समान अवसर, सुरक्षा और सम्मान मिले. यही संतुलित राष्ट्र निर्माण की दिशा है.
- उमा अग्रवाल, एम्पायर स्टेट, चिंचवड़
समाज की नींव मजबूत करने महिलाओं को समान अवसर मिले
जब समाज में परिवार की नींव रखी गई, तब पुरुषों ने बाहरी जिम्मेदारियां और स्त्रियों ने गृहस्थी संभाली. यह उस समय की जशरत थी. लेकिन आज परिस्थितियां बदल चुकी हैं. आज की स्त्री आत्मनिर्भरता और समानता के साथ जीवन के हर क्षेत्र में आगे बढ़ रही है. यदि वह अपनी पारिवारिक जिम्मेदारियों को निभा रही है, तो उसे कार्यक्षेत्र में भी सहयोग और सम्मान मिलना चाहिए. आज की कामकाजी महिला घर और बाहर की दोहरी जिम्मेदारी निभा रही है. इसे केवल व्यक्तिगत संघर्ष न मानकर समाज को इसे समझना होगा और सहयोग देना होगा. एक सशक्त समाज वही है, जहां स्त्री और पुरुष दोनों को समान अवसर और सम्मान मिलते हैं. यही सच्चे विकास का आधार है.
- शारदा (शुभा) कनोरिया, पुणे
पिता व बेटी का असाधारण रिश्ता होता है
महिलाओं को काम करने का अधिकार मिलना चाहिए यदि किसी महिला में योग्यता और इच्छा है, तो उसे काम करने का पूर्ण अधिकार मिलना चाहिए. यह केवल उसकी व्यक्तिगत आकांक्षा नहीं, बल्कि सामाजिक प्रगति की दिशा में एक कदम है. ऐसे में परिवार और समाज को उसका सहयोग करना चाहिए. कामकाजी महिलाओं की उपस्थिति से घर की दिनचर्या में परिवर्तन आता है, लेकिन इसके लाभ भी अनेक हैं. इससे आर्थिक स्थिरता आती है और बच्चों का भविष्य सुरक्षित होता है. सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि मातृत्व केवल स्त्री की जिम्मेदारी नहीं है. पुरुषों को यह समझना होगा कि जब वे जिम्मेदारी और सम्मान साझा करते हैं, तो उनका मान और बढ़ता है. समाज तभी सशक्त बनेगा जब महिलाएं आत्मनिर्भर होंगी और पुरुष उनका साथ देंगे.
- पूजा अग्रवाल, बेंगलुरु
महिलाओं को शादी से पहले और बाद में भी
नौकरी करने का अवसर मिलना चाहिए मेरा मानना है कि महिलाओं को विवाह से पहले और बाद में भी नौकरी करने का पूरा अधिकार होना चाहिए. यह न केवल आर्थिक स्वतंत्रता बल्कि आत्मसम्मान और पहचान का प्रतीक है. करियर एक महिला की पहचान है और शादी एक साझेदारी, जहां सहयोग और समझ जरूरी है. यदि परिवार और जीवनसाथी का सहयोग हो, तो महिलाएं विवाह, मातृत्व और करियर तीनों भूमिकाएं सफलतापूर्वक निभा सकती हैं. हर महिला की परिस्थिति अलग होती है. बच्चे होने के बाद भी उसका निर्णय उसकी प्राथमिकताओं पर निर्भर होना चाहिए. आज की पीढ़ी जागरूक है, और पुरुष वर्ग भी महिलाओं के करियर को सम्मान दे रहा है. यह एक सकारात्मक बदलाव है, जो समाज को नई दिशा देगा.
- सत्यभामा बंसल, शिवाजीनगर, पुणे
नौकरी और संस्कार दोनों निभा सकती है नारी आज की महिलाएं शिक्षित, आत्मनिर्भर और आत्मवेिशासी हैं.मेरा मानना है कि पढ़ी-लिखी लड़कियों को नौकरी अवश्य करनी चाहिए. यह केवल आर्थिक जशरत नहीं, बल्कि आत्मसम्मान का प्रतीक है.परंतु इसके साथ-साथ पारिवारिक मूल्यों और संस्कारों को भी नहीं भूलना चाहिए. कई बार देखने में आता है कि जब लड़की नौकरी करती है और लड़का व्यवसाय में होता है, तो विवाह के लिए इंकार कर देती है. रिश्ते केवल पेशे पर नहीं, समझ और मूल्यों पर टिके होते हैं. आत्मनिर्भरता जशरी है, पर वह रिश्तों में अड़चन न बने, यह समझदारी दोनों पक्षों में होनी चाहिए. महिला को नौकरी जशर करनी चाहिए, पर संतुलन बनाए रखते हुए. तभी वह समाज और परिवार दोनों के लिए प्रेरणा बन सकती है.
- अंजू आनंद गुप्ता, एनआईबीएम रोड, पुणे
घर और बाहर दोनों जिम्मेदारियां संभाल सकती नारी
आज की नारी शिक्षित, आत्मनिर्भर और हर क्षेत्र में पुरुषों के साथ खड़ी है. मेरा मानना है कि महिलाओं को जशर नौकरी करनी चाहिए. पढ़ाई में लड़कियां आज लड़कों से आगे हैं. लेकिन इसके साथ यह भी जशरी है कि वे मां, बेटी और बहू की पारिवारिक भूमिका को भी निभाएं. आज की पीढ़ी की महिलाएं विवाह और मातृत्व को टालती हैं, जो उनका व्यक्तिगत निर्णय है. लेकिन परिवार की जिम्मेदारियां निभाकर ही समाज में संतुलन कायम किया जा सकता है. नौकरी से महिलाओं को बाहरी अनुभव मिलता है, जिससे वे समझदारी से निर्णय ले पाती हैं और परिवार को दिशा दे सकती हैं. यदि नारी चाहे तो वह घर और बाहर दोनों सफलता से संभाल सकती है. संतुलन और समझदारी के साथ वह आत्मनिर्भर और परिवार की रीढ़ बन सकती है.
- रीना मित्तल, प्राधिकरण