पुणे, 17 जून (ज्ञानेश्वर बिजले द्वारा)
पुणे मनपा की सीमा में शामिल किए गए 32 गांवों की बढ़ती जनसंख्या का असर अब प्रत्यक्ष रूप से नगरसेवकों की सीटों पर दिखाई देगा. 2011 की जनगणना के अनुसार इन नए गांवों की कुल जनसंख्या 3 लाख 49 हजार 216 है. इसी को आधार मानकर किए जा रहे नए प्रभाग पुनर्रचना में पुराने पुणे शहर के 13 नगरसेवकों की सीटें खत्म होंगी इसके चलते कुछ प्रभागों में नगरसेवकों को आमने-सामने की टक्कर देनी पड़ेगी तो कई को अपनी ही पार्टी में से उम्मीदवारी के लिए संघर्ष करना होगा. पुणे मनपा की कुल जनसंख्या 2011 की जनगणना के अनुसार 34 लाख 81 हजार 359 है. राज्य सरकार के नियमानुसार 30 लाख तक की जनसंख्या पर 161 नगरसेवक, और उसके बाद प्रत्येक एक लाख की वृद्धि पर एक अतिरिक्त नगरसेवक का प्रावधान है. ऐसे में 2017 में जब नगरसेवकों की संख्या 162 थी, अब 3.5 लाख की जनसंख्या वृद्धि के बाद 2025 में यह संख्या केवल तीन बढ़कर 165 हो रही है. इसी वजह से नए क्षेत्रों में चार प्रभाग बनाए जाएंगे, जिसमें 16 नगरसेवक चुने जाएंगे और इसके चलते पुराने शहर क्षेत्र की 13 सीटें स्वतः ही खत्म हो जाएंगी.
प्रत्येक प्रभाग के लिए औसत जनसंख्या 84 हजार 396 मानी जा रही है, जबकि 2017 में यह संख्या 77 हजार 336 थी यानी प्रत्येक प्रभाग की जनसंख्या अब औसतन 7 हजार तक बढ़ रही है, जिससे सभी प्रभागों का भौगोलिक क्षेत्र भी बढ़ेगा दायरे में वृद्धि के साथ ही नए प्रभागों की रचना होगी और यह प्रक्रिया पूरी तरह जनसंख्या और भौगोलिक समीकरणों पर आधारित होगी सरकार द्वारा निर्धारित मानक के अनुसार एक प्रभाग की जनसंख्या में 10 प्रतिशत का अंतर स्वीकार्य होगा. मनपा की सीमा में जो 32 गांव शामिल हुए हैं, वे शहर के चारों दिशाओं में फैले हैं. इनमें लोहगांव, वाघोली, मुंढवा, केशवनगर, धायरी, खड़कवासला, उत्तमनगर, शिवणे, कोंढवे धावडे जैसे गांवों की जनसंख्या काफी अधिक है.
ऐसे में इन गांवों के समीप स्थित पुराने प्रभागों का पुनर्संचालन आवश्यक हो गया है खासतौर पर कोथरूड, सिंहगड रोड, हड़पसर और कात्रज इलाके प्रभावित होंगे. 2017 में जब चार नगरसेवकों का एक प्रभाग तय किया गया था, उस समय राज्य में भाजपा-शिवसेना की सत्ता थी तब की प्रभाग रचना को भाजपा के लिए अनुकूल बताया गया था और भाजपा ने छह विधानसभा क्षेत्रों में बढ़त भी बनाई थी लेकिन अब नई परिस्थिति में पुराने भाजपा गढ़ों को बचाने और नए उपनगरों में प्रभाग बढ़ाने की रणनीति पर काम हो रहा है. दो हफ्ते में प्रभाग रचना होगी नई प्रभाग रचना की प्रक्रिया अगले दो सप्ताह में पूरी कर ली जाएगी 19 से 23 जून के बीच स्थल निरीक्षण किया जाएगा, 30 जून तक गूगल मैप पर प्रारूप तैयार होगा और 10 जुलाई से पहले अंतिम स्थल निरीक्षण के बाद प्रभाग रचना का प्रस्ताव राज्य निर्वाचन आयोग को सौंपा जाएगाइस पूरी प्रक्रिया के अंतर्गत शहर के राजनीतिक नक्शे में बड़े बदलाव देखने को मिलेंगे और आने वाले नगरसेवक चुनावों में इसकी सीधी झलक दिखाई देगी.
ग्रामीण क्षेत्र को मिलेगा प्रतिनिधित्व, शहरी क्षेत्र को नुकसान
नियम के अनुसार 30 लाख की जनसंख्या तक 161 नगरसेवक, उसके बाद हर एक लाख पर 1 अतिरिक्त नगरसेवक जोड़ा जाएगा इसी आधार पर 2017 में 162 नगरसेवक थे. अब 3.5 लाख की बढ़ी जनसंख्या के कारण 2025 में यह संख्या बढ़कर 165 हो जाएगी. हालांकि, केवल 3 नई सीटें जुड़ने से 13 नगरसेवकों की सीटें ग्रामीण क्षेत्र में स्थानांतरित होंगी यानी शहरी क्षेत्र के तीन मौजूदा प्रभाग खत्म कर उन्हें ग्रामीण क्षेत्रों में शामिल किया जाएगा.
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पिछली बार बीजेपी के लिए की गई थी लाभदायक रचना
2017 में जब प्रभाग रचना हुई थी, उस समय राज्य में इगझ-शिवसेना की सरकार थी, उसी समय प्रथम बार चार नगरसेवकों का प्रभाग बनाकर नई रचना तैयार की गई थी. राजनीतिक हलकों में यह चर्चा थी कि यह रचना बीजेपी के लिए अनुकूल बनाई गई थी. उस समय बीजेपी ने 6 विधानसभा क्षेत्रों में बढ़त ली थी, जबकि हडपसर और खडकवासला में राष्ट्रवादी कांग्रेस, और पुणे कैंट में कांग्रेस मजबूत थी.
राजनैतिक हस्तक्षेप नहीं ः मनपा आयुक्त
इस राजनीतिक पृष्ठभूमि के बावजूद मनपा आयुक्त नवल किशोर राम ने स्पष्ट किया है कि प्रभाग रचना केवल जनगणना, जनसंख्या संतुलन और भौगोलिक आधार पर ही की जाएगी उन्होंने कहा कि किसी भी राजनीतिक दबाव या हस्तक्षेप को स्वीकार नहीं किया जाएगा.