किसी काे डांटना आत्महत्या के लिए उकसाना नहीं

02 Jun 2025 22:36:31
 
 

SC 
 
सुप्रीम काेर्ट ने कहा कि किसी काे डांटना उसे सुसाइड के लिए उकसाना नहीं माना जा सकता. इसके साथ ही काेर्ट ने मद्रास हाईकाेर्ट के आदेश काे खारिज कर दिया. जिसमें हाॅस्टल वार्डन काे आईपीसी की धारी 306 के तहत स्टूडेंट काे सुसाइड के लिए उकसाने का दाेषी माना था.जस्टिस अहसानुद्दीन अमानुल्लाह और जस्टिस प्रशांत कुमार मिश्रा की बेंच ने कहा- काेई यह नहीं साेच भी नहीं सकता कि डांटने से ऐसी घटना हाे सकती है. दरअसल, वार्डन ने एक स्टूडेंट की शिकायत पर एक अन्य स्टूडेंट काे डांट लगाई थी.इसके बाद स्टूडेंट ने अपने कमरे में फांसी लगा ली थी. वार्डन का तर्क था कि उसने पैरेंट के ताैर पर स्टूडेंट काे डांटा था, जिससे वाे आगे से गलती न करे. वार्डन ने कहा था कि उसके और सुसाइड करने वाले स्टूडेंट के बीच काेई निजी संबंध नहीं था.
वार्डन का तर्क था कि उसने पैरेंट के ताैर पर स्टूडेंट काे डांटा था, जिससे वाे आगे से गलती न करे.
 
वार्डनने कहा था कि उसके और सुसाइड करने वाले स्टूडेंट के बीच काेई निजी संबंध नहीं था. दिसंबर 2024 में सुप्रीम काेर्ट ने कहा था कि व्यक्ति पर किसी की आत्महत्या के लिए उकसाने का दाेष तभी लगाया जा सकता है, जब इसका पुख्ता सबूत हाे.सर्फ प्रताड़ना का आराेप इसके लिए काफी नहीं है.गाैरतलब है कि, वर्ष 2021 में भी शीर्ष अदालत ने ऐसे ही एक मामले में फैसला सुनाते हुए कहा था कि बार- बार अनुशासनहीनता पर विद्यार्थी काे फटकार लगाना, उसकी हरकत काे अभिभावकाें की नजर में लाना, एक शिक्षक की जिम्मेदारी है. वह ऐसा अपने विद्यार्थी के उज्ज्वल भविष्य के लिए करता है. अगर इससे तंग आकर काेई छात्र आत्महत्या कर ले ताे इसमें शिक्षक काे उसे उकसाने के लिए जिम्मेदार नहीं माना जा सकता.
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