नवी पेठ, 25 जून (आज का आनंद न्यूज नेटवर्क)हर व्यापार में उतार-चढ़ाव आते रहते हैं. ऐसे समय में हमें बिना थके उसका डटकर सामना करना चाहिए. ग्राहकों के बिना व्यापार नहीं चल सकता. इसलिए ग्राहकों को आकर्षित करने के लिए उन्हें सबसे पहले व्यापारियों पर वेिशास करना चाहिए. राजस्थान के राज्यपाल हरिभाऊ बागड़े ने कहा कि कोई भी व्यापार वेिशास के बिना सफल नहीं हो सकता. वे स्टेशनरी कटलरी एवं जनरल मर्चेंट एसोसिएशन द्वारा आयोजित व्यापारी पुरस्कार वितरण समारोह में बोल रहे थे. यह कार्यक्रम सोमवार (23 जून) को व्यापारी एकता दिवस के उपलक्ष्य में आयोजित किया गया. इसमें उल्लेखनीय कार्य करने वाले व्यापारियों को पुरस्कार प्रदान किए गए. विधायक हेमन्त रासने, एसोसिएशन के अध्यक्ष सचिन जोशी, उपाध्यक्ष संजय राठी, सचिव किशोर पिरगल, कोषाध्यक्ष मोहन कुडचे, साथ ही पदाधिकारी सूर्यकांत पाठक, अरविंद पटवर्धन, सुरेश नेउरगांवकर, मदनसिंह राजपूत, नितिन पंडित, मोहन सखारिया, किशोर चांडक, अनिल प्रभुणे, धनंजय रामलिंगे, राजकुमार गोयल, सुनील शिगवी, मनीष परदेशी, राजेश गांधी समेत मान्यवर मौजूद रहे. इस वर्ष व्यापार भूषण पुरस्कार मार्केट यार्ड के राजेंद्र कुमार मोहनलाल और कंपनी के राजेंद्र बांठिया को प्रदान किया गया. वहीं उत्कृष्ट दुकान का पुरस्कार पुणे के सतारा रोड स्थित होटल तिरंगा के चंद्रकांत आदमाने को दिया गया. उत्कृष्ट विक्रेता का पुरस्कार लक्ष्मी रोड स्थित जनता खादी भंडार के श्रीनिवास शाम जन्नू को दिया गया. फिनिक्स पुरस्कार तुलसीबाग स्थित अमृता कलेक्शन के किरण चौहान को दिया गया. उत्कृष्ट महिला व्यापारी का पुरस्कार लक्ष्मी रोड स्थित त्र्यंबक मोरेेशर एंड कंपनी की सुनीता गोंधलेकर को दिया गया. इसके अलावा स्वर्गीय डॉ. धनंजय और साधनाताई गोरे स्मृति पुरस्कार नारायण पेठ स्थित चाय दरबार की ऐेशर्या शेलार और कंचन जांभाले को प्रदान किया गया. विधायक हेमंत रासने ने कहा कि यह संस्था इस नैतिक भावना के साथ आगे बढ़ रही है कि हमारा पैसा समाज के विकास के लिए इस्तेमाल होना चाहिए. अगर अन्य संस्थाएं भी इसी तरह सामाजिक भावनाओं को बनाए रखते हुए काम करें तो समाज निश्चित रूप से आगे बढ़ सकता है. सूर्यकांत पाठक ने कहा कि ग्रामीण क्षेत्र के गरीब व्यक्ति से राजस्थान के राजभवन तक हरिभाऊ बागड़े का सफर युवाओं के लिए प्रेरणादायी होगा. राजनीतिक क्षेत्र में सफल होने के बावजूद उन्होंने सादा जीवन उच्च विचार के अपने मूल सिद्धांतों को नहीं छोड़ा है.