लाेगाें की रक्षा करना ही अच्छे नेता की जिम्मेदारी है

28 Jun 2025 16:19:52
 
 
 
बात ताे चुभेगी
 
 
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युद्ध में डूबी दुनिया काे ्नया याद करना चाहिए? ्नलाउड लेवी स्ट्राॅस की चेतावनी कि ‘दुनिया इन्सानाें के बगैर शुरू हुई थी और इन्सानाें के बगैर ही खत्म हाेगी.’ आखिर क्यों नहीं? परमाणु बम और मिसाइलाें की रेंज बताती इस दुनिया में काेई ऐसा नेतृत्व है. जिसे यकीन हाे कि इस दुनिया काे बचाना ही एक नेतृत्व के लिए सब कुछ हाेता है. और काेई नेतृत्व सिर्फ नाेबेल शांति पुरस्कार के लिए ही युद्ध विराम काे अपने हिसाब से एक टूल न बना ले, बल्कि शांति का भी नेतृत्व करता नजर आए. ्नया विश्व काे एक ग्रुप ऑफ गुड लीडर्स जैसी संस्था की आवश्यकता आ पड़ी है, जाे दुनिया कााे शांति और सद्भाव का पाठ पढ़ा सके? आतंकवाद और घृणा से घिरते एवं फिर हिंसक हाेते इस समाज काे काेई बर्बाद हाेने से बचाना क्यों नहीं चाहता? क्यों आखिर युद्ध ही सभी मसलाें का हल है?
 
और अगर है, ताे फिर यह मसले हल क्यों नहीं हाेते? इन सबके बीच शांति ्नया अप्रचलित मूल्य बन चुकी है? ऐसा लगता है, जैसे धर्म और नस्ल में दिनाें-दिन बंटती जा रही इस दुनिया काे सिर्फ पैसे और व्यापार से ही युद्ध से दूर किया जा सकता है. शांति के उद्बाेधन और सामाजिक आचरण से नहीं.्नया शांति अपने-आप में किसी नेतृत्व का ‘सेंटर ऑफ ग्रेविटी’ नहीं हाे सकती? सर्दियाें से पहले शरद ऋतु आती है और आते हैं वह अच्छे लाेग, जाे लाेगाें के जीवन में खुशियाें के रंग भरते हैं. और उन अच्छे लाेगाें में से काेई बहुत अच्छा व्य्नित उनका लीडर बनता है, जाे यह सुनिश्चित करता है कि न ताे समाज में एकजुटता के पत्ते भरे हाेंगे और न ही आम आदमी की मुस्कान. लेकिन मिसाइलाें के धमाकाें में वह लीडर कहां है? यह दुनिया चंद्रमा के बाद अब मंगल ग्रह और अंतरिक्ष में मनुष्याें की विशाल छलांग की कहानी गढ़ रही है.
 
लेकिन पृथ्वी पर विकास और जिजीविषा की छलांग सिर्फ युद्ध के संदेश लिए ड्राेन और मिसाइलाें से क्यों हाे रही है? ्नया अब भी हमारी धरती काे उन भूले-बिसरे नेताओं के पर्दाचह्नाें की जरूरत है, जिन्हें दुनिया ने पिछल कुछ दशकाें में देखा है? मुझे ताे सबसे ज्यादा महात्मा गांधी और नेल्सन मंडेला याद आ रहे हैं. इधर युद्ध, मिसाइल, ड्राेन हर जगह मंडरा रहे हैं, ताे ग्लाेबल वार्मिंग, जल प्रदूषण, वायु प्रदूषण, आतंकवाद, निरक्षरता, महंगाई, भुखमरी का संकट भी बढ़ता जा रहा है.फिर यह दुनिया बचेगी कैसे? काैन हाेगा वह लीडर, जाे शांति का नायक बनेगा? और ्नया शांति के नेतृत्व के लिए भी आर्थिक और सामरिक श्नित का विशाल जखीरा रखना एक ‘जरूरी याेग्यता’ बन जाएगी? ्नया महान सम्राट अशाेक की कहानी इतिहास में हिंसा से अहिंसा के हृदय परिवर्तन की आखिरी कहानी बनकर रह जाएगी? आज हर दूसरा व्य्नित डिजिटल वर्ल्ड में इन्फ्लुएंसर बना घूम रहा है.
 
ताे फिर वह इन्पलुएंस शांति और सद्भाव के लिए क्यों नहीं हाेता? अगर सब कुछ एक लीडर के हाथ में हाेता है, ताे वह अच्छा नेता कैसा हाेता है? अरस्तू इसका उत्तर देते हुए कहते हैं कि एक अच्छा नेता काेई और नहीं, बल्कि एक अनुयायी हाेता है और वह अनुसरण करता है लाेगाें की जरूरताें और इच्छाओं का, सभी के कल्याण का. आधुनिक दुनिया में अनुसरण शब्द सिर्फ मेटा और ब्लू टिक के इर्द-गिर्द ही दिखाई देता है.अंत में अरस्तू ने निष्कर्ष निकाला कि एक अच्छा अनुयायी ही एक अच्छा नेता बनने के याेग्य हाेता है.वर्तमान दुनिया में जहां हर काेई अपने लिए जगह बनाने के लिए संघर्ष कर रहा है. ्नया हम ऐसे नेता पा सकते हैं, जाे आंसुओं, पराजयाें, संघर्षाें, गरीबी, भय, अशिक्षा संघर्ष, भूख, और युद्ध के परिणाम काे समझते हुए शांति का अनुसरण करना पसंद करें? भारत ने ताे अभी हाल के युद्ध में साहस और धैर्य, दाेनाें का अनुसरण किया.
 
भारतीय सेना और सरकार ने पाकिस्तान काे मुंहताेड़ जवाब भी दिया और सिर्फ ठिकानाें पर प्रहार किया. भारत ने हमेशा शांति का अनुसरण किया और अगर युद्ध के लिए उकसाया भी गया, ताे उसने भारतीय दर्शन का मूल्य नहीं खाे गया. युद्ध सिर्फ उन्हीं के साथ हुआ, जाे सिर्फ युद्ध की भाषा समझते हैं.प्रारंभिक यूनानी दार्शनिक हमेशा दाे सवालाें के जवाब देने में रुचि रखते थे.दुनिया ्नया है और एक अच्छा व्य्नित या नेता ्नया है? महान सुकारात का मानना कि अच्छाई सत्य का अंतिम रूप है और न्याय या साहस जैसे अन्य सभी मूल्य तब प्रासंगिक हैं, जब वह अच्छाई या भलाई से संबंधित हाें. अंत में वह निष्कर्ष निकालते हैं कि केवल वे ही राज्य का नेतृत्व करने के हकदार हैं. जाे आम लाेगाें की भलाई के लिए कार्य करने की नैतिक श्नित रखते हैं. यानी एक अच्छा नेता वह हाेता है.जाे मूल्याें के साथ चलता है और युद्ध के बजाय शांति काे चुनता है.
 
आजादी के समय सारे नेता आजादी के जश्न और उस श्नित काे संजाेने में डूबे थे, उधर वह अहिंसा और सत्य का नायक नाेआखाली की सड़काें पर भूख हड़ताल पर बैठा था. पहली बारर मानवता के आदर्श काे उन दंगाें में उसने बुरी तरह लहूलुहान देखा था. गांधी काे कुर्सी की लालसा नहीं थी और न ही चुनाव की चिंता. वह ताे सिर्फ बंगाल, पंजाब और दिल्ली की गलियाें में शांति और सद्भाव ढूंढ रहे थे.जरूरी है कि विश्व के अच्छे नेता हर उस स्थान पर जाएं, जहां बम और मिसाइलाें से आम जनता, मासूम बच्चाें, औरताें, युवाओं और वृद्धाें की जानें गईं. वे उनके पास भी जाएं, जिन्हें युद्ध ने गरीबी और भुखमरी के बीच धकेल दिया.इस विश्व काे ऐसे नेतृत्व की जरूरत है, जाे बता सके कि देश की रक्षा करना देशभ्नित ताे हाेती ही है, देशवासियाें की रक्षा करना भी अच्छे नेतृत्व की जिम्मेदारी हाेती है. भारत उस बुद्ध की शांति काे बरसाें से ढूंढ़ता रहा. युद्ध अंतिम विकल्प हाेता है किसी नेतृत्व का और अच्छा नेता देश काे युद्ध में धकेलने के पहले कई बार साेचता है. भारत ने हमेशा दया और शांति काे ही चुना है. - नंदितेश निलय
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