पुणे, 8 जून (आज का आनंद न्यूज नेटवर्क) आत्मनिर्भर भारत की परिकल्पना को साकार करने के लिए डिफेंस टेक्नोलॉजी की अत्यंत महत्वपूर्ण भूमिका है. जिस प्रकार ‘मेक इन इंडिया' अभियान राष्ट्र निर्माण के लिए आवश्यक है, उसी प्रकार आधुनिक युद्ध क्षमताओं और तकनीकी आत्मनिर्भरता के लिए स्वदेशी रक्षा अनुसंधान और विकास अनिवार्य है. यह विचार रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (डीआरडीओ) के अध्यक्ष के तकनीकी सलाहकार मनीष भारद्वाज ने व्यक्त किए. वे सिंबायोसिस स्किल्स एंड प्रोफेशनल यूनिवर्सिटी (एसएसपीयू) में शुरू किए गए बी.टेक. इन डिफेंस टेक्नोलॉजी कार्यक्रम के उद्घाटन अवसर पर बोल रहे थे. जहां वे मुख्य अतिथि के रूप में आमंत्रित थे. उन्होंने आगे कहा कि डीआरडीओ द्वारा विकसित मिसाइलें जैसे ‘आकाश', ‘ब्रह्मोस', साथ ही रडार प्रणाली और ड्रोन टेक्नोलॉजी आज भारत की रक्षा शक्ति और तकनीकी प्रगति के प्रतीक बन चुके हैं. यह केवल वैज्ञानिक उपलब्धियां नहीं, बल्कि सामरिक स्वावलंबन का भी संकेत हैं. छात्रों को सिर्फ सफल करियर बनाने तक सीमित न रहते हुए राष्ट्र निर्माण में भी सक्रिय भागीदारी करनी चाहिए, यही सच्ची देश सेवा है. सिंबायोसिस स्किल्स एंड प्रोफेशनल यूनिवर्सिटी, पुणे की ओर से आगामी शैक्षणिक वर्ष से आरंभ किए जा रहे ‘बी.टेक इन डिफेंस टेक्नोलॉजी' पाठ्यक्रम का उद्घाटन संपन्न हुआ. कार्यक्रम की अध्यक्षता सिंबायोसिस स्किल्स एंड प्रोफेशनल यूनिवर्सिटी की प्रो-वाइस चांसलर डॉ. स्वाति मुजुमदार ने की. साथ ही, इस कार्यक्रम में टाटा टेक्नोलॉजीज के ग्लोबल हेड और वाइस प्रेसिडेंट सुशील कुमार, गोदरेज एयरोस्पेस के पूर्व बिजनेस हेड और वाइस प्रेसिडेंट एस.एम. वैद्य, डीमा मैन्युफैक्चरिंग एसोसिएशन के निदेशक शिरीष देशमुख, डिफेंस कमेटी एमसीसीआईए के प्रतिनिधि, एसआरजीएफ के एमडी वरुण खंदारे तथा डिफेंस कमेटी एमसीसीआईए के हर्ष गुणे माननीय अतिथि के रूप में उपस्थित थे. इस अवसर पर एस.एम. वैद्य, शिरीष देशमुख, वरुण खंदारे, सुशील कुमार और हर्ष गुणे ने भी अपने विचार व्यक्त किए. इस कार्यक्रम में लेफ्टिनेंट जनरल वी.जी. खंदारे और एयर मार्शल भूषण गोखले भी ऑनलाइन माध्यम से इस क्षेत्र में जुड़े. इस कार्यक्रम का सूत्र संचालन डॉ. स्मिता शुक्ला ने किया, जबकि आभार व्यक्त मेजर जनरल विनय हांडा ने किया.
वैेिशक रक्षा उद्योग 2.5 ट्रिलियन डॉलर का : जनरल हांडा
मेजर जनरल विनय हांडा ने इस पाठ्यक्रम और भारत में सैन्य क्षेत्र की उभरती संभावनाओं पर बोलते हुए कहा कि इस क्षेत्र में निजी और सरकारी कंपनियों का सक्रिय सहयोग है. भविष्य में इस क्षेत्र को अत्यधिक महत्व मिलने वाला है. रक्षा क्षेत्र में अनुसंधान, निर्यात, कृत्रिम बुद्धिमत्ता (एआई) और एयरोस्पेस टेक्नोलॉजी की भूमिका महत्वपूर्ण होती जा रही है. यह सीधा-सीधा देश की सुरक्षा से जुड़ा हुआ विषय है और इस क्षेत्र में 25% की वार्षिक वृद्धि देखी जा रही है. वैेिशक रक्षा उद्योग लगभग 2.5 ट्रिलियन डॉलर का है, जिसमें करीब 1 मिलियन (10 लाख) नौकरियां उपलब्ध हैं.
सुरक्षित, सशक्त और आत्मनिर्भर भारत के निर्माण के उद्देश्य से पाठ्यक्रम शुरु : डॉ. स्वाति मुजुमदार
इस अवसर पर सिंबायोसिस स्किल्स एंड प्रोफेशनल यूनिवर्सिटी की प्रोवाइस चांसलर डॉ. स्वाति मुजुमदार ने कहा कि देश आत्मनिर्भर भारत और मेक इन इंडिया की संकल्पना पर तेजी से आगे बढ़ रहा है. इस शैक्षणिक वर्ष में शुरू किया गया यह नया पाठ्यक्रम विद्यार्थियों के करियर को नई दिशा प्रदान करेगा. यह देश की पहली स्किल यूनिवर्सिटी है, जहां पिछले 8 सालों से उद्योगों की आवश्यकताओं के अनुसार विद्यार्थियों को कौशल आधारित प्रशिक्षण दिया जा रहा है.