सुविधा के नाम पर भारतीय रेलवे का अजब काराेबार ?

11 Jul 2025 13:29:37
 
 
Divya
 
अगर आप ट्रेन से सफर कर रहे हाें और अचानक तबियत बिगड़ जाए ताे क्या रेलवे की हेल्पलाइन 139 पर काॅल करना सही हाेगा? यूपी की वरिष्ठ डाॅक्टर डाॅ. दिव्या के हालिया अनुभव जान लेंगे ताे हैरान रह जाएंगे. बुलंदशहर जिला अस्पताल में नेत्र विभाग की प्रमुख डाॅ. दिव्या 6 जुलाई काे ट्रेने से पटना जा रही थीं. डाॅ. दिव्या काे रास्ते में उन्हें गैस और पेट दर्द की शिकायत हुई, जिसके बाद उन्हाेंने रेलवे की हेल्पलाइन 139 पर काॅल करके मेडिकल मदद मांगी. कुछ देर बाद प्रयागराज मंडल के एक अफसर का काॅल आया और उन्हबताया गया कि मेडिकल हेल्प के लिए फीस लगेगी. जब ट्रेन कानपुर सेंट्रल पहुंची ताे काेई डाॅक्टर नहीं बल्कि एक टेक्निशियन इलाज के लिए उनके पास आया. डाॅ.दिव्या के मुताबिक, उस कर्मचारी ने उन्हें एंटीबायाेटिक दे दी, जबकि समस्या स्पष्ट रूप से गैस से जुड़ी थी.
 
डाॅ. दिव्या ने जब खुद काे वरिष्ठ चिकित्सक बताया और सवाल उठाए ताे वह चुप रहा लेकिन 350 रुपये फीस और 32 रुपये दवा के ले गया. डाॅ. दिव्या ने बताया कि उन्हें कंसल्टेशन फीस की काेइरसीद नहीं दी गई. दवा का बिल एक इंस्टैंट मैसेजिंग ऐप से भेजा गया, लेकिन बार- बार कहने पर भी डाॅक्टर विजिट की काेई रसीद नहीं मिली. रेलवे की तरफ से सफाई में बताया कि रेलवे बाेर्ड ने डाॅक्टर विजिट के लिए कुछ मामलाें में 100 रुपये की नाम मात्र फीस तय की है. 350 रुपये जैसी काेई फीस तय नहीं की गई है. इस मामले की जांच की जाएगी. डाॅ. दिव्या ने रेलवे बाेर्ड और एनसीआर अधिकारियाें से ऑनलाइन शिकायत भी की है और मांग की है कि ट्रेनाें में यात्रियाें काे उचित मेडिकल सुविधा मिले और इलाज के नाम पर इस तरह की वसूली बंद हाे
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