बिहार चुनाव से ठीक पहले वाेटर लिस्ट में संशाेधन क्यों ?

11 Jul 2025 14:10:48
 

SC 
 
बिहार चुनाव से ठीक पहले वाेटर लिस्ट में संशाेधन क्यों? यह टिप्पणी सुप्रीम काेर्ट ने चुनाव आयाेग से किया. सुप्रीम काेर्ट द्वारा चुनाव आयाेग के कार्याें पर राेक से इंकार किया. अब अगली सुनवाई 28 जुलाई काे हाेगी. इसके अलावा काेर्ट ने कहा-बिहार में वाेटर लिस्ट में सुधार का काम जारी रहेगा.काेर्ट ने कहा-आयाेग की प्रक्रिया से समस्या नहीं लेकिन गलत है. लाेगाें में भ्रम पैदा हाेता है. रिवीजन कदाैरान आधार, वाेटरकार्ड, राशनकार्ड भी नागरिक हाेने का आधार क्यों नहीं मानते हैं. इसमें आखिर आपकाे आपत्ति क्यों है? विस्तार से प्राप्त खबराें के अनुसार विशेष गहन पुनरीक्षण यानी वाेटर लिस्ट रिवीजन पर अदालत में करीब 3 घंटे सुनवाई हुई.याचिकाकर्ताओं का आराेप है कि वाेटर लिस्ट रिवीजन नियमाें काे दरकिनार कर किया जा रहा है.
 
वाेटर की नागरिकता जांची जा रही है. ये कानून के खिलाफ है. इस दाैरान सुप्रीम काेर्ट ने चुनाव आयाेग से पूछा कि बिहार में मतदाता सूची के विशेष गहन पुनरीक्षण यानी वाेटर लिस्ट रिवीजन में नागरिकता के मुद्दे में क्याें पड़ रहे हैं? अगर आप वाेटर लिस्ट में किसी शख्स का नाम सिर्फ देश की नागरिकता साबित हाेने के आधार पर शामिल करेंगे ताे फिर ये बड़ी कसाैटी हाेगी.यह गृह मंत्रालय का काम है. आप उसमें मत जाइए.डखठ के खिलाफ राजद सांसद मनाेज झा, टीएमसी सांसद महुआ माेइत्रा समेत 11 लाेगाें ने याचिकाएं दाखिल की गई हैं. सुप्रीम काेर्ट में जस्टिस सुधांशु धूलिया और जस्टिस जाॅयमाल्या बागची की बेंच सुनवाई कर रही थी. याचिकाकर्ता की ओर से वकील गाेपाल शंकर नारायण, कपिल सिब्बल और अभिषेक मनु सिंघवी दलील दिए. चुनाव आयाेग की पैरवी पूर्व अटाॅर्नी जनरल केके वेणुगाेपाल, राकेश द्विवेदी और मनिंदर सिंह कर रहे हैं.
 
हालांकि, काेर्ट ने याचिकाकर्ताओं की इस दलील काे खारिज कर दिया कि चुनाव आयाेग के पास इस तरह का संशाेधन करने का अधिकार नहीं है.बेंच ने कहा कि मतदाता सूची में संशाेधन करना चुनाव आयाेग की संवैधानिक जिम्मेदारी है और इस बात पर जाेर दिया कि बिहार में पिछली बार ऐसा साल 2003 में किया गया था. सुनवाई के दाैरान, चुनाव आयाेग ने एसआईआर का बचाव करते हुए कहा कि पात्र मतदाताओं काे जाेड़कर और अपात्र मतदाताओं काे हटाकर मतदाता सूची की सटीक बनाए रखना आवश्यक है. आयाेग ने दलील दी कि आधार नागरिकता का वैध प्रमाण नहीं है और कहा कि संविधान के अनुच्छेद 326 के अनुसार केवल भारतीय नागरिक ही मतदान के हकदार हैं. चुनाव आयाेग की ओर से पेश वरिष्ठ वकील द्विवेदी ने सवाल किया, अगर चुनाव आयाेग के पास मतदाता सूची में संशाेधन करने का अधिकार नहीं है, ताे फिर किसके पास है?
 
Powered By Sangraha 9.0