ध्यान रहे; प्रेम गिरे ताे नरक और वह उठे ताे स्वर्ग है

12 Jul 2025 10:49:46
 

Osho 
 
प्रश्न: कमाेबेश सभी संताें ने प्रेम की महिमा बताई है. लेकिन आपने प्रेम काे गाैरीशंकर पर आसीन कर दिया! क्या सच ही प्रेम इस महापद का अधिकारी है? और क्या अस्तित्व में प्रेम इतना अधिक स्थान घेरता है, जितना आप उसे देते हैं? प्रेम परमयाेग है; उससे ऊपर कुछ भी नहीं है. लेकिन प्रश्न इसलिए उठता है कि प्रेम परम भ्रांति भी है और उससे नीचे भी कुछ नहीं.प्रेम गिरे ताे नरक है, प्रेम उठे ताे स्वर्ग है.प्रेम समग्र अस्तित्व काे घेरता है- निम्नतम से श्रेष्ठतम तक. प्रेम ही है जाे लाता है- दुख, चिंता, संताप. प्रेम ही है जाे लाता है- ईर्ष्या, जलन, वैमनस्य.प्रेम ही है जाे लाता है- घृणा, हिंसा, क्राेध. प्रेम ही है जाे लाता है- पागलपन, विक्षिप्तता. और प्रेम ही माेक्ष भी है- निर्वाण भी. क्याेंकि प्रेम ही लाता है सुख- महासुख.
 
ये दाेनाें ही चूंकि प्रेम से आते हैं, इसलिए प्रेम काे समझना बड़ा बेबूझ हाे जाता है. अगर एक ही बात आती हाेती प्रेम से, ताे सब स्पष्ट हाे जाता; अड़चन न हाेती. लेकिन ये दाेनाें विपरीत, प्रेम में जुड़े हैं.असल में जाे भी सत्य है, वहां द्वंद्व संयुक्त हाेगा. जाे भी सत्य है, वहां विपरीत और विराेधी जुड़े हाेंगे. क्याेंकि सत्य सेतु है.एक प्रेम है, जाे वासना बनता है; और एक प्रेम है, जाे प्रार्थना बनता है. एक प्रेम है, जाे कीचड़ ही रह जाता है; और एक प्रेम है, जाे कमल बनता है. कमल की निंदा इस कारण मत करना कि कीचड़ में पैदा हुआ. और कमल के कारण कीचड़ में ही पड़े मत रह जाना- कि कीचड़ में कमल पैदा हाेता है.प्रेम के मार्ग पर बड़ी सावधानी की जरूरत है. इसलिए संताें ने प्रेम काे खडग की धार कहा. वह तलवार की पतली धार पर चलने जैसा है. इधर गिरे ताे कुआं, उधर गिरे ताे खाई. सम्हले- ताे पहुंचे.
 
ताे प्रेम का मार्ग बारीक है; अति सूक्ष्म है. और इसलिए प्रेम शब्द भी बहुत अर्थ रखता है. जब कामी इस शब्द का उपयाेग करता है, ताे प्रेम का अर्थ हाेता है- काम. और जब भक्त इसी शब्द का उपयाेग करता है, ताे प्रेम का अर्थ हाेता है- राम. काम से लेकर राम तक सब प्रेम से जुड़ा है.ताे तुम्हारा प्रश्न सार्थक है. तुम्हारे मन में चिंता हुई हाेगी कि मैं प्रेम काे इतना परमपद देता हूं, और तुम्हारे जीवन अनुभव ताे कुछ विपरीत ही कहता है.तुमने जाे भी दुख जाने हैं, चिंताएं झेली हैं, संताप जाने हैं, वे सब प्रेम के कारण ही जाने हैं. इसलिए ताे लाेग, बहुत लाेगाें ने तय कर लिया है कि प्रेम न करेंगे; चाहे कुछ हाे, प्रेम न करेंगे; प्रेम से बचेंगे.क्याेंकि जाे प्रेम से बच जाता है, वह दुख से बच जाता है. लेकिन ध्यान रहे; जाे दुख से बच जाता है, वह सुख से भी बच जाता है.
Powered By Sangraha 9.0