टैक्स के कारण परमिट रूम बार मालिकों का व्यवसाय संकट में

13 Jul 2025 12:27:09

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 नवी पेठ, 12 जुलाई (आज का आनंद न्यूज नेटवर्क)
  
महाराष्ट्र में शराब पर वैट 5% से दोगुना करके 10% कर दिया गया है. 2025-2026 के लिए लाइसेंस शुल्क में 15% की वृद्धि की गई है. देसी-विदेशी शराब (आईएमएफएल) पर उत्पाद शुल्क में 60% की वृद्धि की गई है. राज्य आबकारी विभाग की हालिया राजकोषीय नीतियों का हम पर विनाशकारी प्रभाव पड़ा है. हमारा व्यवसाय बर्बाद होने के कगार पर है. इससे अंततः सरकारी राजस्व का नुकसान होगा. साथ ही, बेरोजगारी बढ़ने का खतरा है, ऐसे शब्दों में पुणे रेस्टोरेंट एंड होटेलियर्स एसोसिएशन (पीआरएएचए) ने अपना पक्ष रखा है. एसोसिएशन ने शनिवार (12 जुलाई) को पत्रकार भवन में एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में यह भी घोषणा की कि महाराष्ट्र में लाइसेंस क्षेत्र के अंतर्गत आने वाले बार और लाउंज बार सोमवार (14 जुलाई) को एक दिन के लिए बंद रहेंगे. इस प्रेस कॉन्फ्रेंस में एसोसिएशन के अध्यक्ष गणेश शेट्टी, उपाध्यक्ष वेिशनाथ पुजारी और जवाहर चोरगे, कोषाध्यक्ष मोहन शेट्टी और सचिव राजेश शेट्टी मौजूद थे. इन पदाधिकारीयों ने मुख्य रूप से तीन मांगें रखी हैं: शराब पर वैट समाप्त किया जाए. घोषित 60% उत्पाद शुल्क वृद्धि को सहनीय स्तर पर लाया जाए.
 
और सरकार को तुरंत हमारे उद्योग जगत से संवाद करना चाहिए और आपसी सहमति बनाने का रास्ता निकालना चाहिए. गणेश शेट्टी ने कहा कि इस कर वृद्धि से महाराष्ट्र में कानूनी लाइसेंस क्षेत्र के अंतर्गत आने वाले 19 हजार और पुणे में लगभग 4,200 बार और लाउंज बार प्रभावित होंगे. यदि कर वृद्धि के कारण शराब की कीमतें बढ़ती हैं, तो उपभोक्ता और पुनर्विक्रेता पड़ोसी राज्यों से अवैध रूप से शराब ला सकते हैं. यदि ऐसा होता है, तो कर चोरी बढ़ जाएगी. यानी, अंततः राजस्व बढ़ाने की सरकार की मंशा सफल नहीं होगी. पुणे में लगभग 2 लाख कर्मचारी और 15 हजार रिटेल विक्रेता हैं. लगभग 4.5 लाख प्रत्यक्ष रोजगार और 18 लाख अप्रत्यक्ष आजीविकाएं प्रभावित हो सकती हैं. लगभग 48 हजार अतिरिक्त विक्रेता अंततः प्रभावित होंगे. प्रेस कॉन्फ्रेंस में पदाधिकारियों ने यह रुख़ अपनाया कि वैट के कारण, वैध व्यवसाय करने वाले बार, वाईन / बीयर की दुकानों से प्रतिस्पर्धा नहीं कर सकेंगे. केवल हमारे यहां वैट लगता है, दुकानों में नहीं. इसलिए, कीमतों में बड़ा अंतर है. ग्राहक लाउंज बार में आने के बजाय सस्ते या अवैध विकल्पों की ओर रुख करेंगे. डर है कि सड़कों पर, इमारतों की छतों पर या शराब की दुकानों में शराब का सेवन किया जा सकता है. साथ ही विपरीत, अवैध शराब के कारोबार का सार्वजनिक व्यवस्था और सुरक्षा पर सीधा प्रभाव पड़ेगा. एसोसिएशन का कहना है कि इससे उद्योग के बंद होने का ख़तरा है. हालांकि, अगर उद्योग को बंद नहीं होने देने की सूरत में कुछ लोगों के अवैध रास्ते अपनाने का ख़तरा हो सकता है. फिलहाल टैक्स वृद्धि से हमारा व्यवसाय बहुत मुश्किल में है.
 
ग्राहकों की संख्या में 35 प्रतिशत की कमी की आशंका
 
वैट और उत्पाद शुल्क ने शराब की दुकानों में शराब की कीमतों और लाउंज बार में उपलब्ध शराब की कीमतों के बीच एक बड़ा अंतर पैदा कर दिया है. इस वजह से, स्वाभाविक रूप से, बार में कम ग्राहक आएंगे. दुकान चलाने का खर्चा बार चलाने की तुलना में काफि कम होता है. टैक्स बढाए जाने से बार में ग्राहकों की संख्या में लगभग 30 से 35 प्रतिशत की कमी आने का डर है. अगर ऐसा हुआ, तो आय कम हो जाएगी. अगर बार की आय कम होती है, तो खर्चे कम करने होंगे. इसके विकल्प के रूप में, कर्मचारियों की संख्या में भी उतनी ही कमी करनी पड़ सकती है. यह कटौती सिर्फ बार में ही नहीं, बल्कि आपूर्तिकर्ताओं, विक्रेताओं जैसी सभी श्रृंखलाओं में भी हो सकती है. यानी बेरोजगारी का संकट उन लोगों पर पड़ेगा. कुल मिलाकर सरकार को इन सभी बातों को ध्यान में रखकर निर्णय करने की हम अपेक्षा करते हैं. - गणेश शेट्टी, अध्यक्ष, पुणे रेस्टॉरंट एंड होटेलियर्स एसोसिएशन
 
पर्यटन पर विपरीत असर पडेगा
केंद्र सरकार का सपना पुणे और मुंबई को प्रमुख पर्यटन स्थल बनाने का है. हालांकि, अगर इस तरह से कर बढ़ाया गया, तो यह सपना खतरे में पड़ सकता है. क्योंकि, पर्यटक पड़ोसी राज्यों का रुख करेंगे जहां सस्ते विकल्प उपलब्ध हैं. इससे राज्य के राजस्व में कमी आ सकती है.
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