संविधान निर्माताओं का गणतंत्र काे सीमित करने का इरादा नहीं था

14 Jul 2025 13:59:03
 
 

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राजनीति में शब्द कभी-कभी अपना अर्थ खाे देते हैं.हां, यह जरूर है कि उनमें श्नितहीन लाेगाें काे ऐसी दुनिया में पहुंचाने की ताकत जरूर हाेती है, जहां वास्तविकता विचारधारा से ढंक जाती है. जब इन्हीं शब्दाें का प्रयाेग क्रांतियाें के विजेताओं और तख्तापलट के षड्यंत्रकारियाें द्वारा किया जाता है, तब वे इनके जरिये आदर्शवाद की एक नई शब्दावली गढ़ने का प्रयास करते हैं.
भाषा द्वारा राजनीतिक छल के जाे शब्द इतिहास में प्रचलित हैं, उनमें सबसे लाेकप्रिय हैं- लाेकतांत्रिक, समाजवादी, जनता का इस्लामी, धर्मनिरपेक्ष इत्यादि.मसलन, आप जानते ही हैं कि द डेमाेक्रेटिक पीपुल्स रिपब्लिक ऑफ काेरिया कितना बड़ा मजाक है. इसके संस्थापक, महान नेता किम इल सुंग के समय से लेकर समाजवाद की शाश्वत सत्ता के वर्तमान कर्णधार, प्रतिभाशाली काॅमरेड किम जाेंग उन तक, उत्तर काेरिया ने अपनी अन्य आधिकारिक बुराइयाें के अलावा, सर्वाे च्च नेता के देवत्व के मामले में भी उच्चतम भाषाई मानदंड स्थापित किए हैं.
 
इन्हें एक ऐसी सत्ता माना गया है, जिसे उदात्त विशेषणाें द्वारा पाैराणिक दायरे में ऊपर उठाया गया है. हर्मिट किंगडम (उत्तर काेरिया) यानी शेष दुनिया से कटे हुए एक देश में डेमाेक्रेटिक का मतलब अनुपस्थिति और पीपुल्स का मतलब अपमान हाेता है. जाॅर्ज ऑरवेल की कालजयी पुस्तक 1984 के प्रकाशित हाेने से नाै महीने पहले किम के साम्राज्य में यह पीपुल्स डेमाेक्रेटिक रिपब्लिक बन गया.पीपुल्स रिपब्लिक ऑफ चाइना का उदाहरण भी देख सकते हैं. समाजवाद जीवित नेताओं काे महान कर्णधार से लेकर सर्वाेच्च नेता और कद्दावर राजनीतिक छवि जैसे अलंकृत शब्दाें से ममी बना देता है. पीपुल्स रिपब्लिक में क्रांति ने अपने उत्कर्ष काल में शब्दकाेश पर धावा बाेलकर माओवाद काे गरजने वाले मुहावराें में कैद कर लिया-महान छलांग लगाकर आगे बढ़ाे, साै फूल खिलने दाे, मुख्यालय पर बमबारी कराे....
 
पीपुल्स रिपब्लिक, भले ही लाेगाें काे देंग शिआयाेपिंग के सिद्धांत के साथ समृद्ध हाेने का गाैरवपूर्ण उपदेश देता है,फिर भी वह तथाकथित पांचवें आधुनिकीकरण: लाेकतंत्र काे लागू करने के प्रति बहुत अधिक अनिश्चित है. माओ के बच्चे भले ही मा्नर्स काे मैकडाेनल्ड्स तक ले आए हाें, लेकिन पीपुल्स रिपब्लिकन काे एक ऐसे भविष्य का डर है, जहां लाेग अपनी अंतरात्मा की आवाज काे उजागर करेंगे.अब जरा इस्लामी गणराज्याें की ओर आइए और देखिए कि किस प्रकार पुस्तक की महिमा से प्रेरित क्रांतिकारियाें ने विध्वंस और दमन का धर्मतंत्र चलाया. इस्लामी गणतंत्र ईरान में, वंकर बस्टराें द्वारा बुरी तरह क्षतिग्रस्त हाे चुकी क्रांति ने साेचा कि केवल यूरेनियम का गुप्त संवर्धन ही इसके जीवन काे बढ़ा सकता है. इसके प्रत्यक्ष और छद्म युद्ध दुश्मन काे खत्म नहीं कर सके; उन्हाेंने केवल इजरायल की उन पड़ाेसियाें के बीच जीवित रहने की इच्छा काे मजबूत किया, जाे इसके अस्तित्व पर ही विवाद करते हैं. इसके बावजूद, इस्लामी गणराज्य नागरिक समाज का इस्लामीकरण नहीं कर सका. ऐसा लगता है कि ऊपर वाली सत्ता ने अंतत: क्रांति काे त्याग दिया है.
 
दूसरा इस्लामी गणराज्य भले ही धर्मतंत्र न हाे, लेकिन वहां भी इस्लाम एक कमजाेर लाेकतांत्रिक आवरण वाले सैन्य शासन की स्वैच्छिक सेवा में है. पाकिस्तान भी दुश्मनाें से रक्षा के बहाने ही अपने सीमा-पार आतंक काे आगे बढ़ाता है. दूसरे इस्लामिक गणराज्याें की तरह, पाकिस्तान ने भी अपने लाेकतांत्रिक पड़ाेसी (भारत) के साथ घातक प्रतिशाेध काे उकसाया. ऐसा लगता है कि इस्लामी गणराज्य आतंक के व्यापार के प्रति ज्यादा इच्छुक है. इसे विडंबना ही कहेंगे कि पाकिस्तान आतंकवाद के खिलाफ युद्ध पर वैश्विक साैदे भी करता है.हाल ही में संपूर्ण प्रभुत्व संपन्न समाजवादी धर्मनिरपेक्ष लाेकतांत्रिक गणराज्य भारत ने एक ऐसी घटना की 50वीं वर्षगांठ पर चर्चा शुरू की, जिसने संस्थापकाें द्वारा कल्पित विशेषणाें काे अस्वीकार कर दिया था. जब काेई नेता गणतंत्र की संप्रभुता और लाेकतंत्र से खतरा महसूस करता है, ताे विडंबना का काेई स्थान नहीं हाेता. आपातकाल भारत के सबसे लाेकप्रिय और कृपालु नेताओं में से एक द्वारा संविधान से इतर विध्वंस था.
 
व्यामाेह और वंशवादी विशेषाधिकार की दाेहरी श्नितयाें से प्रेरित उनके अधिनायकवादी प्रलाेभन में, संकटग्रस्त भारत माता की भूमिका निभाते हुए इंदिरा ने भारत काे वह देने से मना कर दिया, जिसका वादा संविधान ने अपनी सुंदर प्रस्तावना में किया था. और उन्हाेंने संविधान में वैचारिक रूप से महत्वपूर्ण दाे शब्दाें काे शामिल कर गणतंत्र के चरित्र में एक आधारभूत बदलाव लाया- समाजवादी और धर्मनिरपेक्ष.यह नामकरण की तानाशाही द्वारा स्वतंत्रता का गला घाेंटने का एक और उदाहरण था, जब भारत के लाेकतंत्र के सबसे काले क्षण में, भारतीय संविधान में साेवियत संघ से उधार लेकर एक शब्द जाेड़ दिया गया. संविधान निर्माताओं का कभी भी गणतंत्र काे वैचारिक रूप से सीमित करने का इरादा नहीं था. नेहरू-गांधी के समय की राष्ट्र-निर्माण परियाेजना ने साेवियत कारखाने से प्रगति के अपने औजार उधार लिए थे- समाजवादी हाेना एक राष्ट्रीय तात्कालिकता थी. और धर्मनिरपेक्ष हाेना नेहरूवादी नए मनुष्य के निर्माण के लिए एक आवश्यक शर्त थी, जाे राष्ट्र और धर्म के आह्वान का प्रतिराेधी था. -एस. प्रसन्नराजन
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