भराेसे की कमी, गुपचुप काॅल रिकाॅर्डिंग काे सबूत माना जाएगा. यह फैसला सुनाते हुए सुप्रीम काेर्ट ने कहा. पीठ ने कहा-ये निजता का उल्लंघन नहीं है, क्यों कि रिश्ता जासूसी तक जा पहुंचा ताे पहले ही टूट चुका है.सुप्रीम काेर्ट ने साेमवार काे कहा कि पत्नी की जानकारी के बिना रिकाॅर्ड काॅल काे वैवाहिक विवादाें में सबूत के रूप में इस्तेमाल किया जा सकता है. काेर्ट ने पंजाब-हरियाणा हाईकाेर्ट के उस फैसले काे खारिज कर दिया, जिसमें कहा गया था कि ऐसा करना पत्नी के निजता के अधिकार का उल्लंघन है और इसे सबूत के रूप में नहीं माना जा सकता.
काेर्ट ने कहा कि शादीशुदा जीवन में गाेपनीयता का अधिकार पूरा नहीं हाे सकता. इंडियन एविडेंस की धारा 122 के तहत पति-पत्नी के बीच बातचीत काे काेर्ट में उजागर नहीं किया जसकता, लेकिन तलाक जैसे मामलाें में इसे अपवाद मानते हैं. जस्टिस बीवी नागरत्ना और जस्टिस सतीश चंद्र शर्मा की बेंच ने कहा, हम नहीं मानते कि इस मामले में निजता के अधिकार का काेई उल्लंघन हुआ है. धारा 122 सिर्फ पति-पत्नी के बीच संवाद की गाेपनीयता काे मान्यता देती है, लेकिन यह निजता के संवैधानिक अधिकार (अनुच्छेद 21) से जुड़ा नहीं है. यह केस बठिंडा की एक फैमिली काेर्ट से शुरू हुआ था, जहां पति ने पत्नी से बातचीत की रिकाॅर्डिंग के आधार पर तलाक की अर्जी दी थी. काेर्ट ने काॅल रिकाॅर्डिंग काे सबूत के ताैर पर मान लिया. पत्नी ने इस फैसले काे पंजाब-हरियाणा हाईकाेर्ट में चुनाैती दी.