रिश्ता भले टूटे, नहीं छूटेगा सहारा : भारतीय कानून की खास व्यवस्था

20 Jul 2025 16:38:17
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भारतीय समाज में परिवार एक महत्वपूर्ण इकाई है, जहां परस्पर सहयोग और देखभाल का भाव स्वाभाविक होता है. लेकिन जीवन की परिस्थितियां हमेशा समान नहीं रहतीं. कई बार रिश्ते टूटते हैं या किसी व्यक्ति की आर्थिक स्थिति कमजोर हो जाती है, ऐसे में भारतीय कानून जरूरतमंद व्यक्तियों को भरण-पोषण का अधिकार देता है. यह सिर्फ एक आर्थिक सहायता नहीं, बल्कि सामाजिक सुरक्षा का हिस्सा है जिससे यह सुनिश्चित होता है कि कोई भी व्यक्ति उपेक्षित या बेसहारा न हो. दंड प्रक्रिया संहिता (बीएनपी), 1973 की धारा 125 इसके लिए विशेष प्रावधान करती है. इस बारे में एड. बालचंद्र धापटे द्वारा विशेष जानकारी प्रदान की गई. प्रस्तुत है उनकी बातचीत के प्रमुख अंश-
 
प्रश्न: भारतीय कानून में भरण-पोषण का क्या अर्थ है?
उत्तर: -
भरण-पोषण का अर्थ है उस व्यक्ति को नियमित आर्थिक सहायता देना जो अपनी जीविका स्वयं नहीं चला सकता. यह सहायता खासतौर पर उन लोगों के लिए है जो कमजोर या आश्रित हैं.

प्रश्न-कौन-कौन लोग भरण-पोषण पाने के लिए पात्र होते हैं?
उत्तर:-
दंड प्रक्रिया संहिता, 1973 की धारा 125 के अनुसार, भरण-पोषण के पात्र हैं: पत्नी, जिसे पति ने छोड़ दिया हो या तलाक दिया हो और जिसके पास आय का स्रोत न हो. 18 वर्ष से कम उम्र के बच्चे या मानसिक/शारीरिक रूप से अक्षम बच्चे. ऐसे माता-पिता जो स्वयं की देखभाल नहीं कर सकते.

प्रश्न- भरण-पोषण के लिए आवेदन कहाँ और कैसे किया जाता है?
 उत्तर-
फर्स्ट क्लास जुडिशियल मजिस्ट्रेट की अदालत में आवेदन किया जाता है. आवेदन वहाँ भी हो सकता है जहाँ पत्नी या माता-पिता रहते हैं या जहाँ प्रतिवादी (पति/बेटा) रहता है.

प्रश्न: आवेदन के साथ कौन से दपतावेज जरूरी होते हैं?
उत्तर-
आधारकार्ड विवाह प्रमाणपत्र या उसका साक्ष्य आवेदक की आय न होने का प्रमाण बच्चों के जन्म प्रमाणपत्र या स्कूल सर्टिफिकेट यदि विधवा है तो मृत्यु प्रमाणपत्र प्रतिवादी की नौकरी की जानकारी (यदि सरकारी नौकरी में हो) शपथ-पत्र.

प्रश्न: भरण-पोषण की राशि का निर्धारण कोर्ट कैसे करता है?
उत्तर-
कोर्ट प्रतिवादी की मासिक आय, आवेदक की आवश्यकताओं, सामाजिक स्थिति, बच्चों की पढ़ाई-स्वास्थ्य आदि को देखते हुए तय करता है. कोई निश्चित राशि नहीं है, लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने 25% तक की सीमा का सुझाव दिया है (रजनेश वर्से स नेहा 2020 केस में).

 प्रश्न: अगर भरण-पोषण की राशि नहीं दी जाए तो क्या कार्रवाई होती है?
उत्तर- 
रिकवरी वारंट जारी हो सकता है समन या गिरफ्तारी का आदेश अधिकतम एक महीने की जेल प्रति बकाया माह संपत्ति की कुर्की का आदेश इसके लिए अलग से एक्जीक्यूशन पिटिशन दाखिल की जाती है.

प्रश्न: क्या भरण-पोषण की राशि में बाद में बदलाव हो सकता है?
उत्तर-
जी हां, की धारा 127 के तहत राशि बढ़ाई-घटाई या पूरी तरह से समाप्त की जा सकती है. परिस्थिति बदलने पर कोर्ट पुनः निर्णय लेता है.

प्रश्न: किन परिस्थितियों में भरण-पोषण बंद किया जा सकता है?
उत्तर-
पत्नी ने दूसरा विवाह कर लिया हो. पत्नी के अनैतिक संबंध साबित हो जाएं. पत्नी खुद सक्षम होकर कमाने लगी हो. बेटा 18 साल का हो गया हो (यदि विकलांग नहीं है). माता-पिता सक्षम हों या गलत जानकारी दी हो.  
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