सुप्रीम काेर्ट ने साेमवार काे प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) काे फटकार लगाते हुए कहा कि राजनीतिक लड़ाइयां चुनाव में लड़ी जानी चाहिए, लेकिन जांच एजेंसियाें के जरिए नहीं. ईडी का इस तरह इस्तेमाल क्याें हाे रहा है? ये टिप्पणी सीजेआई बीआर गवई और जस्टिस के.विनाेद चंद्रन की बेंच ने साेमवार काे मैसूर अर्बन डेवलपमेंट बाेर्ड (एमयूडी) केस में ईडी की अपील की सुनवाई के दाैरान की. सीजेआई ने कहा कि हमारा मुंह मत खुलवाइए. नहीं ताे हम ईडी के बारे में कठाेर टिप्पणियां करने के लिए मजबूर हाे जाएंगे.
उन्हाेंने कहा, दरअसल, ईडी ने कर्नाटक के मुख्यमंत्री सिद्धारमैया की पत्नी बीएम पार्वती काे एमयूडी केस में समन भेजा था.कर्नाटक हाईकाेर्ट ने मार्च में यह समन रद्द कर दिया था. ईडी ने इसे सुप्रीम काेर्ट में चुनाैती दी थी. सुप्रीम काेर्ट ने आखिर में ईडी की अपील खारिज कर दी.तमिलनाडु शराब दुकान लाइसेंस मामले में सुप्रीम काेर्ट ने 22 मई काे कहा था कि प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने सारी हदें पार कर दी हैं.
जब राज्य सरकार की जांच एजेंसी इस मामले में कार्रवाई कर रही है ताे ईडी काे हस्तक्षेप करने की जरूरत नहीं है. सुप्रीम काेर्ट ने कहा, ईडी देश के संघीय ढांचे का उल्लंघन कर रही है. काेर्ट ने तमिलनाडु स्टेट मार्केटिंग कार्पाेरेशन और तमिलनाडु सरकार की याचिका पर सुनवाई के दाैरान यह टिप्पणी की थी. साल 1992 में अर्बन डेवलपमेंट संस्थान मैसूर अर्बन डेवलपमेंट अथाॅरिटी (एमयूडी) ने रिहायशी इलाके विकसित करने के लिए किसानाें से जमीन ली थी. इसके बदले एमयूडी की इंसेंटिव 50:50 स्कीम के तहत जमीन मालिकाें काे विकसित भूमि में 50% साइट या एक वैकल्पिक साइट दी गई. सिद्धारमैया की पत्नी काे एमयूडी की ओर से मुआवजे के ताैर पर मिले विजयनगर के प्लाॅट की कीमत कसारे गांव की उनकी जमीन से बहुत ज्यादा है. स्नेहमयी कृष्णा ने सिद्धारमैया के खिलाफ शिकायत दर्ज करवाई. इसमें उन्हाेंने सिद्धारमैया पर एमयूडी साइट काे पारिवारिक संपत्ति का दावा करने के लिए डाॅक्युमेंट्स में जालसाजी का आराेप लगाया गया.1998 से लेकर 2023 तक सिद्धारमैया कर्नाटक में डिप्टी सीएम या सीएम जैसे प्रभावशाली पदाें पर रहे.