अब यह बड़ा मजा है, 1947 के पहले लाहाैर पुण्य भूमि थी, कराची भी, ढाका भी. अब पुण्यभूमि नहीं रही, क्याेंकि नक्शे पर पाकिस्तान अलग हाे गया. पुण्यभूमि कहां है? यह सारी पृथ्वी या ताे पुण्यभूमि है या िफर काेई भूमि पुण्यभूमि नहीं है. मगर झूठ...! जर्मनाें काे समझाया जा रहा है कि तुम्हीं श्रेष्ठ जाति हाे, जगत पर राज्य करने काे तुम्हीं पैदा हुए हाे. जर्मन जैसी बुद्धिमान जाति काे भी अडाेल्फ हिटलर जैसा जड़बुद्धि आदमी, बिलकुल सामान्य प्रतिभा का आदमी, जिसकी काेई याेग्यता नहीं है, वह भी मूढ़ बना सका-मूढ़ बना सका एक बहुत विचारशील जाति काे! क्याें? क्याेंकि उसने ऐसा झूठ बाेला जाे सबके मन भाया.उसने ऐसा झूठ बाेला जिसकाे काेई इनकार न कर पाया. उसने कहा कि तुम आर्य हाे-शुद्ध आर्य! तुम ही पैदा हुए हाे दुनिया पर राज्य करने काे.
काैन इनकार करे! अग काेई तुमसे यह कहे कि तुम शुद्ध आर्य हाे, बस तुम्हीं हाे शुद्ध, बाकी सारा जगत अशुद्ध हाे चुका है, एक तुम पर ही आशा है जगत कीचाहे तुम्हें यह बात शुरू-शुरू में एकदम झूठ भी लगे कि तुम और शुद्ध आर्य, कि तुम्हीं पैदा हुए हाे जगत पर राज्य करने काे ; मगर िफर भी मन मान लेने काे राजी हाेगा. मन कहेगा कि बात सच्ची हाेगी, नहीं ताे काेई कहेगा ऐसा. और जब पूरी जाति काे यह बात कही जाती है ताे यह जहर बड़े जाेर से ैलता है.और जब भीड़ मानने लगती है ताे भीड़ ही नहीं मानने लगती, समझदार से समझदार लाेग मानने लगते हैं. जर्मनी का सबसे बड़ा विचारक मार्टिन हाइडेगर, जाे इस सदी के बड़े से बड़े विचारकाें में एक है, उसने भी अडाेल्फ हिटलर काे स्वीकार कर लिया.क्याेंकि चाहे कितने ही तुम बड़े विचारक क्याें न हाे, तुम्हारे भीतर वही झूठ बैठे हुए हैं जाे सबके भीतर बैठे हुए हैं.
और तुम्हारे अहंकार काे काेई फ ुसलाता है और ुग्गे की तरह ुलता है ताे एकदम राजी हाे जाते हैं. जर्मन जाति राजी हाे गई कि दुनिया पर राज्य करने काे पैदा हुए हैं, राज्य करके रहेंगे. यह ईश्वर ने हमारे ऊपर विशेष जुम्मेवारी दी है, उत्तर-दायित्व है हमारा. यहूदी सदा से मानते रहे कि वे ही ईश्वर के चुने हुए लाेग हैं. इस झूठी बात के मानने के कारण सदियाें-सदियाें सताये गए हैं, मगर वे छाेड़ते नहीं; जितने सताये गये उतना ही उन्हाेंने इस बात काे जाेर से पकड़ लिया.क्याेंकि जितने सताये गए उतना उनकाे भराेसा आया कि जरूर हम ईश्वर के चुने गए हुए आदमी हैं. क्याेंकि कहा है पुराने उनके शास्त्राें में कि ईश्वर जिसे चुनता है उसे बहतु कठिनाइयाें से गुजर कर परीक्षा देनी पड़ती है; उसके लिए बड़ी चुनाैतियां आती हैं, अग्नि-परीक्षाएं आती हैं.एक बूढ़ा यहूदी ईश्वर की
प्रार्थना कर रहा था और कह रहा था: हे परमपिता, तेरी हम पर सदा से अनुकंपा है. वर्षाें से प्रार्थना करता था, एक दिन परमात्मा की आवाज आकाश से गूंजी कि तूने इतनी प्रार्थना की, अब कुछ मांग लें.
ताे उसने कहा: एक ही बात मांगनी है, हमें चुनें हुए काी समय हाे गया, अब आप किसी और काे चुन लाे.अब किसी और जाति काे चुन लाे.अब यहूदियाें का पिंड छाेड़ाे; क्याेंकि तुम ने हमें क्या चुना, आज तीन हजार सालाें से हम सताये जा रहे हैं, परीक्षा ही परीक्षा ही परीक्षा. उत्तीर्ण ताे हाेने का काेई उपाय दिखाई पड़ता नहीं.