जब वैवाहिक रिश्तों और प्यार में दरार पड़े, तो क्या कहता है न्याय?

06 Jul 2025 16:56:34
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विवाह जीवन का सबसे महत्वपूर्ण बंधन माना जाता है जहाँ प्रेम, वेिशास और समर्पण की नींव पर एक नया संसार बसता है. लेकिन जब इसी रिश्ते में अनबन, धोखा, हिंसा या अवेिशास की दरारें पड़ने लगती हैं, तब सवाल सिर्फ भावनाओं के नहीं, कानून के भी बन जाते हैं. क्या एक पत्नी झूठे 498 केस की धमकी देकर पति और उसके परिवार को प्रताड़ित कर सकती है? क्या नोटरी से मिला एक तलाक पत्रक सचमुच कानूनी होता है?अगर पति बिना कारण वर्षों तक गायब हो जाए तो पत्नी के पास क्या विकल्प हैं? और यदि एक महिला लिव-इन रिलेशनशिप में शोषण का शिकार हो जाए, तो क्या उसे भी वही संरक्षण मिलता है जो एक पत्नी को मिलता है? ऐसे तमाम संवेदनशील और उलझे हुए सवालों के उत्तर हर उस व्यक्ति के लिए जशरी हैं जो रिश्तों में न्याय, सम्मान और आत्मसम्मान की उम्मीद करता है.प्रस्तुत है. एड. बी.एस धापटे की इन तमाम मुद्दों पर कानूनी सलाह.  
 
एड. भालचंद्र धापटे मोबाइल-9850166213 ‌
 
प्रश्न: मैं सरकारी नौकरी में हूं. मेरी शादी को तीन वर्ष हुए हैं और एक बेटा है. मेरी पत्नी लगातार झगड़ा करती रहती है. उसके मामा भी सरकारी अधिकारी हैं. पत्नी बार-बार धमकी देती है कि वह मुझ पर और मेरे परिवार पर की धारा 498 के तहत झूठा मामला दर्ज कर देगी. ऐसी स्थिति में अगर उसने 498 दर्ज किया तो क्या मुझे निलंबित कर दिया जाएगा? क्या हमें गिरफ्तार किया जाएगा?

 उत्तर: भारतीय दंड संहिता की धारा 498 (अब भारतीय न्याय संहिता 2023 के अनुसार धारा 85) के अंतर्गत सीधे गिरफ्तारी संभव नहीं है. सर्वोच्च न्यायालय के निर्देशों के अनुसार, पुलिस को पहले जांच करके ही आगे की कार्रवाई करनी होती है. ऐसे मामले में आपको तुरंत सत्र न्यायालय या उच्च न्यायालय में अग्रिम जमानत के लिए आवेदन करना चाहिए. जमानत मिलने में 810 दिन लग सकते हैं. सरकारी सेवकों के विरुद्ध यदि आपराधिक मामला दर्ज होता है, तो उस अधिकारी को अनुशासनात्मक कार्रवाई के तहत अस्थायी रूप से निलंबित किया जा सकता है.

प्रश्न-मैं और मेरे पति दोनों दूसरी बार विवाह कर रहे हैं. कोरोना काल में पति ने मुझसे विवाह किया ऐसा कहा, लेकिन उस समय उसके तलाक के कागज नहीं थे. छह महीने बाद पता चला कि उसने पहली पत्नी से तलाक नहीं लिया था. बाद में मुझे नोटरीकृत कागज मिला और गांव के पांच लोगों के सामने वह दिया गया. क्या यह कानूनी तलाक है? और क्या मैं बालसंगोपन (बच्चे की देखभाल) के लिए दावा कर सकती हूं?

उत्तर:-नोटरीकृत पत्र द्वारा किया गया तलाक वैध नहीं माना जाता. भारत में कानूनी तलाक केवल पारिवारिक न्यायालय के आदेश द्वारा होता है. इसलिए आप अपने पति के खिलाफ की धारा 494 (पहले से विवाह होने के बावजूद पुनर्विवाह करना) और धारा 495 (विवाह के समय पूर्वविवाह छिपाना) के तहत मामला दर्ज कर सकती हैं. साथ ही, पति की पहली पत्नी की गवाही भी इस मामले में उपयोगी सिद्ध हो सकती है. बच्चे की देखभाल का दावा आप घरेलू हिंसा कानून की धारा 125 के तहत कर सकती हैं.

 प्रश्न-मेरी शादी पांच वर्ष पहले हुई थी और एक चार वर्षीय बेटा है. पति प्राइवेट नौकरी में थे. 28 नवंबर 2019 को वे काम से लौटकर घर नहीं आए. हमने पुलिस में शिकायत की थी. ससुरालवालों ने कोई प्रतिक्रिया नहीं दी. अब पता चला है कि वे कर्नाटक के एक गाँव में रह रहे हैं. ऐसी स्थिति में क्या मैं तलाक ले सकती हूँ?

उत्तर-विवाह के बाद पति-पत्नी का एक साथ रहना कानूनी बाध्यता होती है. यदि पति दो वर्षों से अधिक समय तक पत्नी से अलग रह रहा है और उसका कोई ठोस कारण सिद्ध नहीं किया जा सकता है, तो आप वैवाहिक संबंध विच्छेद ले सकती हैं. न्यायालय को यह प्रमाण देना आवश्यक होता है कि पति ने बिना किसी वैध कारण के पत्नी से अलग रहना चुना है.

प्रश्न: मेरा मित्र विवाहित था और उसका तलाक का मामला चल रहा था. उसने मुझे बताया था कि वह तलाक ले रहा है. उसके बाद हम 2.5 वर्षों तक एक साथ रहते थे. लेकिन उसी दौरान उसने मुझ पर शारीरिक अत्याचार किया. मैं क्या कर सकती हूँ?

 उत्तर-आप घरेलू हिंसा अधिनियम 2005 के अंतर्गत पुलिस में शिकायत दर्ज कर सकती हैं. इस कानून के अनुसार, यदि पुरुष और स्त्री विवाहित नहीं होते हुए भी पति-पत्नी की तरह एक साथ रहते हैं, तो स्त्री को संरक्षण, निवास और आर्थिक सहायता मांगने का अधिकार होता है. साथ ही, गुजारा भत्ता भी मांगा जा सकता है. विवाह का प्रमाण आवश्यक नहीं होता, लेकिन एक साथ रहने से संबंधित सबूत होना जशरी होता है.

  विवाह समस्याओं से जुड़े विभिन्न मुद्दों पर एड्. बी.एस.धापटे की महत्वपूर्ण कानूनी सलाह जब वैवाहिक रिश्तों और प्यार में दरार पड़े, तो क्या कहता है न्याय?
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