पुणे, 31 जुलाई (आज का आनंद न्यूज नेटवर्क) वेिश एक परिवार है यह वसुधैव कुटुम्बकम् की भारतीय अवधारणा केवल शिक्षा के माध्यम से ही साकार की जा सकती है. पद्मभूषण डॉ. शां. ब. मुजुमदार ने सिम्बायोसिस इंटरनेशनल यूनिवर्सिटी की स्थापना एक मानवीय दृष्टिकोण से की थी, जिसका उद्देश्य अंतरराष्ट्रीय विद्यार्थियों की सहायता करना था. आज यह पहल एक जीवंत, बहुविषयक शैक्षणिक संस्था के रूप में विकसित हो चुकी है,फफ ऐसे शब्दों में राज्यपाल सी. पी. राधाकृष्णन ने संस्थापक डॉ. मुजुमदार के कार्यों की प्रशंसा की. यह वक्तव्य राज्यपाल ने सिम्बायोसिस वेिशभवन में आयोजित एक विशेष सम्मान समारोह में दिया, जो सिम्बायोसिस इंटरनेशनल यूनिवर्सिटी के संस्थापक व कुलाधिपति पद्मभूषण डॉ. शां. ब. मुजुमदार के 90वें जन्मदिवस के अवसर पर बुधवार को आयोजित किया गया था. इस समारोह में खासदार श्रीमंत शाहू महाराज छत्रपति, संजीवनी मुजुमदार, सकाळ समूह के प्रबंध संचालक अभिजीत पवार, तथा राज्यपाल के सचिव डॉ. प्रशांत नारनवरे मंच पर उपस्थित थे. राज्यपाल राधाकृष्णन ने डॉ. मुजुमदार को जन्मदिन की हार्दिक बधाई देते हुए उन्हें शतायु होने की शुभकामनाएँ दीं और कहा, सिम्बायोसिस संस्था भारत और विदेशों के हजारों युवाओं को सक्षम बना रही है. डॉ. मुजुमदार का यह दृढ़ वेिशास रहा है कि शिक्षा केवल ज्ञान के उजाले तक सीमित नहीं रहनी चाहिए, बल्कि उससे मन में सहानुभूति, एकता और शांति की भावना भी पैदा होनी चाहिए. आज की दुनिया में यही शिक्षा सच्चा परिवर्तन ला सकती है. सम्मान स्वीकार करते हुए डॉ. मुजुमदार ने भावुक शब्दों में कहा कि, एक विदेशी विद्यार्थी के दुःख को देखकर मुझे जीवन का उद्देश्य समझ में आया. तभी यह विचार जन्मा कि भारतीय और विदेशी विद्यार्थियों के बीच मैत्री और सौहार्द्र का वातावरण निर्माण किया जाए, जिससे वैेिशक शांति का मार्ग प्रशस्त हो. इसी उद्देश्य से सिम्बायोसिस की स्थापना की गई. आज वेिश में चारों ओर अस्थिरता है, और यदि हमें एक युद्ध रहित दुनिया चाहिए, तो वसुधैव कुटुम्बकम् की भारतीय अवधारणा को ही अपनाना होगा. हमें इस बात पर गर्व होना चाहिए कि यह भावना हमारी संस्कृति की देन है. इस अवसर पर सिम्बायोसिस इंटरनॅशनल यूनिवर्सिटी की प्र-कुलपति डॉ. विद्या येरड़ेकर, सिम्बायोसिस स्किल्स एंड प्रोफेशनल यूनिवर्सिटी की प्र-कुलपति डॉ. स्वाती मुजुमदार, वेिशविद्यालय के विभिन्न विभागों के प्रमुख, प्राध्यापकगण, छात्र एवं अन्य गणमान्य व्यक्ति बड़ी संख्या में उपस्थित थे.