महंगाई और हमारी सोच : बढ़ते दाम या बढ़ते खर्च ?

10 Aug 2025 14:37:05
 
bdgbg
पुणे, 9 अगस्त (आज का आनंद न्यूज नेटवर्क)
महंगाई पर चर्चा करते समय अक्सर हम सिर्फ बाजार में बढ़ते दामों को दोष देते हैं, लेकिन असल तस्वीर इससे कहीं ज्यादा जटिल है. कुछ लोग मानते हैं कि महंगाई हमेशा से रही है और इसके साथ-साथ हमारी आमदनी भी बढ़ी है, इसलिए असर उतना नहीं पड़ता. वहीं, कई लोगों का कहना है कि असली समस्या हमारे बदलते लाइफस्टाइल और जरूरत से ज्यादा खर्च करने की आदत में है. किसी के लिए महंगाई सिर्फ एक आर्थिक चक्र है, तो किसी के लिए यह हमारी सोच और दिखावे का नतीजा. इस संबंध में दै.आज का आनंद के लिए प्रो. रेणु अग्रवाल ने समाज के लोगों से बातचीत की. प्रस्तुत हैं उनकी बातचीत के प्रमुख अंश-
 
आय ज्यादा और खर्च कम हो तो बचत संभव
 महंगाई हमेशा से रही है. बचपन में एक रुपए की आइसक्रीम भी महंगी लगती थी और आज अगर वही कीमत मिल जाए तो खुशी की बात होगी. जैसे-जैसे महंगाई बढ़ी है, वैसे-वैसे हमारी आमदनी भी बढ़ी है, इसलिए जीवन स्तर में कोई बड़ी गिरावट महसूस नहीं होती. अगर हमारी आय ज्यादा और खर्च कम हों तो बचत संभव है, लेकिन आजकल लोग बचत की बजाय ज्यादा खर्च करने की सोच रखते ह्‌ैं‍. पहले एक ही व्यक्ति घर चलाता था, अब हर सदस्य कमाना चाहता है, जिससे इन्कम भी बढ़ी है. नतीजतन, महंगाई का असर कम महसूस होता है.
 - पूजा अग्रवाल, धानोरी
 

bdgbg 
 
महंगाई से ज्यादा खर्च बढ़ रहा है
महंगाई से ज्यादा हमारे खर्च बढ़े हैं. पहले छुट्टियां नानी के घर या पासप डोस में मनाई जाती थीं, अब लोग गोवा, मनाली या विदेश जाते हैं. पहले लोग पैदल चलते थे, अब बिना गाड़ी के चलना मुश्किल लगता है. उनका कहना है कि लोग सिर्फ महंगाई देखते हैं, लेकिन अपनी बढ़ी हुई इन्कम को नजरअंदाज करते ह्‌ैं‍. वह मानते हैं कि अगर आय और खर्च दोनों का तालमेल रहे तो महंगाई का असर ज्यादा नहीं होता, लेकिन आमतौर पर लोग खर्च की रफ्तार इन्कम से तेज कर देते ह्‌ैं‍
- ओमप्रकाश केजरीवाल, पिंपरी
 
bdgbg
 
महंगाई को दोष देने की बजाय इन्कम पर ध्यान दें
महंगाई के साथ-साथ खर्च करने की क्षमता भी बढ़ गई है. पहले 100 रुपये में जितनी सब्जी आती थी, अब उसके लिए 1000 रुपये भी कम पड़ते हैं. इसका मतलब है कि हम ज्यादा खर्च करने के लिए तैयार हैं. हमें महंगाई ज्यादा नजर आती है, लेकिन हमारी आमदनी का बढ़ना हम भूल जाते ह्‌ैं‍. उनका सुझाव है कि महंगाई को दोष देने से बेहतर है अपनी इनकम पर ध्यान देना और उसे बढ़ाना, ताकि खर्च आराम से संभाला जा सके.
 - शीतल सुरेश अग्रवाल, औंध रोड, पुणे
 

bdgbg 
महंगाई कम करने सरकार को ठोस कदम उठाने चाहिए
महंगाई एक आर्थिक खेल है, जो दिन-ब-दिन बढ़ती ही रहेगी. रोजमर्रा की चीजें और पेट्रोल महंगे होना तय है. पहले संयुक्त परिवार में एक साथ रहने से खर्च कम होते थे, अब अलग-अलग रहने से खर्च बढ़ गए हैं जबकि इन्कम उतनी तेजी से नहीं बढ़ी. उनका मानना है कि अगर कमाई और खर्च बराबर हैं तो बचत नामुमकिन है. महंगाई कम करने के लिए सरकार को ठोस कदम उठाने की जरूरत है. महंगाई का असर हमारे जीवन पर लगभग नहीं है. हम 10 साल पहले जैसा जीवन जी रहे थे, आज भी वैसा ही जी रहे हैं. पांव उतना ही फैलाना चाहिए जितनी चादर हो. हमारे दोनों बच्चे भी कमाते हैं, लेकिन परिवार केवल जरूरत के मुताबिक ही खर्च करता है. वैसे जरूरत से ज्यादा खर्च करने पर करोड़ों की आय भी कम पड़ सकती है, जबकि सीमित आय में भी खुश रहा जा सकता है.
- रामविलास लखमीचंद अग्रवाल, चिंचवड़
 

bdgbg 
लोग दिखावे के लिए महंगी चीजें खरीदते हैं
महंगाई का बड़ा कारण दिखावा है. लोग सिर्फ दिखावे के लिए महंगी चीजें खरीदते हैं, शादी-ब्याह में बेहिसाब खर्च करते हैं, जिससे बाजार में हर चीज के दाम बढ़ जाते हैं. चाहे हॉल हो या कैटरिंग. सादगी अपनानी चाहिए और बेकार के शौक छोड़ देने चाहिए. उनके अनुसार, लोग इतनी कमाई तो कर ही लेते हैं कि जरूरी खर्च और जरूरतें पूरी हो जाएं, लेकिन जब खर्च शौक और दिखावे पर हो, तब पैसों की कमी महसूस होती है और महंगाई ज्यादा लगने लगती है.
- अजय कुमार गोयल, वाघोली, पुणे
 

bdgbg 
इन्कम-खर्च का संतुलन बनाए रखना जरूरी
महंगाई सिर्फ बाजार की वजह से नहीं, बल्कि हमारी सोच और खर्च की आदतों की वजह से भी ज्यादा महसूस होती है. अगर हम जरूरत के मुताबिक खर्च करें और इन्कम-खर्च का संतुलन बनाए रखें, तो महंगाई का असर काफी हद तक कम किया जा सकता है. दिखावा छोड़कर सादगी से जीवन जीना ही असली बचत का रास्ता है.
- संगीता टिबरेवाल, हैदराबाद
 

bdgbg 
 
 
Powered By Sangraha 9.0