किसी संपत्ति के स्वामित्व, विशेषकर विरासत के अधिकार, को स्वेच्छा से छोड़ने को रिलीज डीड कहा जाता है. यह प्रक्रिया कानूनी रूप से तभी मान्य होती है जब इसे पूरी तरह स्वेच्छा से, बिना किसी दबाव के और पंजीकृत (Registered) लिखित रूप में किया जाए लेकिन अगर यह त्याग धोखे, दबाव या गलत जानकारी के आधार पर कराया गया हो, तो कानून में इसे चुनौती दी जा सकती है. इस बारे में दै. आज का आनंद के पाठकों के लिए एड. बी.एस.धापटे से बातचीत के प्रमुख अंश-
प्रश्न: रिलीज डीड क्या है? और क्या यह कानूनन वैध है?
उत्तर: - रिलीज डीड का अर्थ है कि कोई व्यक्ति अपनी संपत्ति के अधिकार, खासकर विरासत के हिस्से का, पंजीकृत लिखित रूप में त्याग कर दे. उदाहरण: पिता की संपत्ति बांटते समय कोई बेटा अपना हिस्सा भाई के नाम लिखित रूप से छोड़ दे, तो इसे रिलीज डीड कहा जाएगा. यह त्याग स्वेच्छा से, बिना किसी दबाव के और पंजीकृत होना चाहिए. तभी यह कानूनी रूप से वैध माना जाएगा.
प्रश्न-अगर किसी ने धोखे से रिलीज डीड कराया हो, तो क्या उसे रद्द किया जा सकता है?
उत्तर:- हां, अगर रिलीज डीड धोखे, गलत जानकारी, दबाव या मानसिक प्रताड़ना के तहत कराया गया हो, तो उसे रद्द किया जा सकता है. भारतीय अनुबंध अधिनियम (Indian Contract Act, 1872) की धारा 15 (जबरदस्ती), 16 (अत्यधिक प्रभाव), 17 (धोखा) और 18 (भ्रामक सूचना) के तहत ऐसे दपतावेज कानूनी रूप से अमान्य होते हैं. पीड़ित व्यक्ति सिविल कोर्ट में दावा दाखिल कर दपतावेज को रद्द करा सकता है.
प्रश्न- क्या उम्र, शिक्षा या मानसिक स्थिति का भी इसमें महत्व है?
उत्तर:- हाँ, अगर रिलीज डीड करने वाला व्यक्ति बुजुर्ग है, कम शिक्षित है या कानूनी-आर्थिक जानकारी कम रखता है, तो कोर्ट उसकी निर्णय क्षमता को ध्यान से परखेगा.अगर यह साबित हो जाए कि उस व्यक्ति को परिणामों की पूरी जानकारी नहीं थी या उसकी बीमारी/कमजोरी का फायदा उठाया गया, तो दपतावेज को अवैध घोषित किया जा सकता है.
प्रश्न-अगर मां या बुजुर्ग ने दबाव में रिलीज डीड किया हो, तो क्या वह वापस हक मांग सकती है?
उत्तर:- हां, अगर मां या बुजुर्ग रिश्तेदार ने दबाव, धोखे या जबरदस्ती में अपना हिस्सा छोड़ा और बाद में यह पता चला कि यह गलत तरीके से हुआ है, तो वह व्यक्ति अपना हक वापस मांग सकता है. इसके लिए उसे कोर्ट में दपतावेज रद्द कराने का दावा करना होगा और जमीन के रिकॉर्ड (7/12 उतारा, फेरफार आदि) में फिर से नाम दर्ज कराने के लिए आवेदन करना होगा. इस प्रक्रिया में धोखे के सबूत, मेडिकल दपतावेज, उम्र और मानसिक स्थिति का प्रमाण उपयोगी होता है.
प्रश्न-अगर धोखाधड़ी हुई है तो क्या कानूनी रास्ते उपलब्ध हैं?
उत्तर:-ऐसे मामलों में निम्न कानूनी उपाय अपनाए जा सकते हैं: 1. सिविल कोर्ट में Declaration and Cancellation of Deed का दावा दायर कर्ें. 2. रिलीज डीड की तारीख से 3 साल के भीतर दावा करना सुरक्षित है (सीमा अवधि). 3. मेडिकल सर्टिफिकेट, आर्थिक स्थिति के सबूत और गवाहों के बयान कोर्ट में पेश करें. 4. अगर कोर्ट जांच में धोखाधड़ी साबित करता है, तो वह दपतावेज रद्द कर मूल हक वापस दिला सकता है.