प्रश्न : भय मुझ पर हावी हाे जाता है. भय से कैसे छुटकारा पाऊं?
जब भय हाे ताे कुछ करने के लिए क्याें पूछते हाे? भयभीत हाेओ! द्वंद्व क्याें पैदा करना? जब भय के क्षण आएं ताे डराे, कांपने लगाे और भय काे हावी हाे जाने दाे. यह सतत प्रश्न क्याें कि क्या करें? क्या तुम जीवन काे किसी तरह अपने ऊपर हावी नहीं हाेने दे सकते? जब प्रेम हावी हाे जाता है तब क्या करना? प्रेमपूर्ण हाेओ. कुछ मत कराे, प्रेम काे हावी हाेने दाे. जब भय हाेता है तब तूान में कंपते हुए पत्ते की भांति कंपाे, और वह सुंदर हाेगा.जब वह चला जाएगा, तुम शांत और निस्तरंग महसूस कराेगे, ठीक वैसे ही जैसे काेई तेज तूान गुजर जाता है ताे सब कुछ शांत और नीरव हाे जाता है.मेशा किसी न किसी चीज से लड़ना क्याें? भय हाेता है! वह नैसर्गिक है, बिल्कुल नैसर्गिक.
ऐसे आदमी की कल्पना करना जाे कि भय विहीन हाे, असंभव है क्याेंकि वह मुर्दा हाेगा. तब काेई रास्ते पर भाेंपू बजा रहा हाेगा और निर्भय आदमी चलता चला जाएगा, वह िफक्र नहीं करेगा. भय न हाे ताे आदमी बिल्कुल मूर्ख और बेवकूफ हाेगा. भय तुम्हारी बुद्धि का हिस्सा है. उसमें कुछ भी गलत नहीं है.भय केवल यही दिखाता है कि मृत्यू है; और हम इन्सान यहां र्सिफ कुछ क्षणाें के लिए हैं. वह कंपन यह कह रहा है कि हम सदा यहां नहीं रहेेंगे, हम शाश्वत रूप से यहां नहीं हैं; कुछ दिन और, और तुम विदा हाे जाओगे. सच ताे यह है कि भय के कारण मनुष्य धर्म की गहरी खाेज करता है, अन्यथा काेई सवाल नहीं हाेता. काेई पशु धार्मिक नहीं है क्याेंकि किसी पशु में भय नहीं हाेता.काेई पशु धार्मिक नहीं हाे सकता क्याेंकि किसी पशु काे मृत्यू का अहसास नहीं हाेता. प्रति पल मृत्यू है और तुम्हें हतरफ से घेरे है. किसी भी क्षण तुम विदा हाे जाओगे; इससे तुम कंपने लगते हाे. भय क्याें करना? कंपाे. लेकिन िफर अहंकार कहता है, ‘नहीं, तुम और डर रहे हाे?
नहीं, यह तुम्हारे लिए नहीं है, यह डरपाेकाें के लिए है. तुम ताे बहादुर आदमी हाे. भय काे इजाजत दाे, उससे लड़ाे मत. देखाे क्या घट रहा है, देखते जाओ. जैसे-जैसे तुम्हारी देखनेवाली आंख अधिक पैनी, अधिक तीव्र हाेगी, शरीर कंपने लगेगा, मन कंपने लगेगा, और तुम्हारे भीतर गहरे में चेतना हाेगी जाे र्सिफ देखती है. वह अछूती रहती है, जल में कमलवत. जब तुम उसे पा लाेगे तब तुम निर्भयता काे उपलब्ध हाेओगे.लेकिन यह निर्भयता भय का अभाव नहीं है. यह निर्भयता साहस नहीं है. यह निर्भयता बाेध है कि तुम दुई हाे, तुम्हारा एक हिस्सा मर जाएगा और एक हिस्सा शाश्वत हाेगा. वह हिस्सा जाे मरनेवाला है वह हमेशा भयभीत रहेगा. और वह हिस्सा जाे नहीं मरेगा, जाे अमर है उसके लिए डरने का काेई सवाल ही नहीं है.तब एक गहन समस्वरता हाेती है.तुम भय का उपयाेग ध्यान के लिए कर सकते हाे. तुम्हारे भीतर जाे भी है उसका उपयाेग ध्यान के लिए कर सकते हाे.