आज के आईने में आजादी का चेहरा..

15 Aug 2025 15:24:15
 
 

india 
क्या वाकई हम आजाद हाे गए हैं... 
एक लड़ाई वह थी जब हमने अंग्रेजाें के चुंगल से देश काे बचाने के लिए लड़ाई लड़ी थी और आज लगता है देश काे भ्रष्टाचार और आतंकवाद से मुक्त कराने के लिए हमें ऐसी ही किसी बड़ी लड़ाई की जरूरत है. देश में दिन-प्रतिदिन ैलती अव्यवस्था काे खत्म करने के लिए अब हमारे पास गांधी और सरदार पटेल जैसे महान नेता ताे नहीं हैं लेकिन आशाओं के साथ हम स्वर्णिम भारत की कल्पना कर सकते हैं जिसका सपना कभी गांधी जी ने देखा था. आजादी उन्हें खैरात की तरह मिल गई. ऐसे में जरूरी यह है कि युवा वर्ग देश के राष्ट्रीय दिवस स्वतंत्रता दिवस काे गर्व से मनाएं और एक भारतीय हाेने पर गर्व करें.
 
भीख मांग पल रहा है बचपन...
देश का भविष्य कहलाए जाने वाले बच्चे आज दर-दर की ठाेकरें खाने काे मजबूर हैं.शिक्षा ताे दूर की बात है अपना पेट पालने के लिए वह भीख मांगने काे मजबूर हैं. यही नहीं पेट की भूख उन्हें खतरनाक काम करने काे म जबूर कर देती है. एक सर्वे के अनुसार दुनिया में सबसे ज्यादा बाल मजदूर भारत में हैं. चाहे बच्चाें के लिए सरकार ने चाइल्ड लेबर एक्ट, शिक्षा का अधिकार कानून इत्यादि बनाए हैं पर उन्हें सख्ती से लागू नहीं किया जा रहा. भारत माता के इस देश में जहां कन्या पूजन किया जाता है वहां पर भ्रूण हत्या, वेश्यावृत्ति जैसे घिनाैने काम हाेना भी एक कड़वा सच है. नन्ही बालिकाओं काे महज कुछ रुपयाें की खातिर देह व्यापार के धंधे में झाेंक दिया जाता है.
 
खाे गए हैं स्वदेशी के नारे...
आज देश से स्वदेशी की गूंज खत्म हाेती दिखाई पड़ रही है. विदेशी कम्पनियां यहां पर पूरी तरह से पैर पसार चुकी हैं जिसका खमियाजा आम जनता काे भुगतना पड़ रहा है. कई लघु उद्याेगाें के बंद हाेने के कारण बेराेजगारी और गरीबी में इजाा हुआ है.
 
राेटीके लिए जंग आज भी जारी...
देश की आजादी के लिए जाे जंग हमने लड़ी वह ताे हम बहुत पहले जीत चुके, पर देश में राेटी के लिए जंग आज भी जारी है. महंगाई ने आम आदमी काे सपने न देखने के लिए मजबूर कर दिया है. उसकी कमाई से मूलभूत जरूरतें ही पूरी हाे जाएं ताे इसे उसकी अच्छी किस्मत समझिए. रिश्वतखाेराें तथा जमाखाेराें की देश में काेई कमी नहीं.अनाज गाेदामाें में पड़ा-पड़ा सड़ जाएगा पर वह किसी भूखे के पेट में पड़ जाए यह भ्रष्टाचारियाें काे गंवारा नहीं.
Powered By Sangraha 9.0