राजस्थानी लाेगाें का सांस्कृतिक गाैरव तीज का त्याैहार सुखद समापन पर हुआ. यह त्याैहार पति-पत्नी और विवाहेच्छुक लड़के-लड़कियाें के प्रेम और समर्पण का त्याैहार माना जाता है. इस दिन कन्याओं और महिलाओं ने रात्रि में उपवास रखा. भगवान शिव और माता पार्वती की मूर्तियां स्थापित कर उनकी पूजा की गई. तीज के अवसर पर झूले झूलते हैं और पारंपरिक गीत गाए जाते हैं. सुहागिनें चंद्रमा काे देखकर अपना व्रत ताेड़ती हैं. सत्येंद्र राठी ने कहा कि ‘तीज’ जैसा त्याैहार पति-पत्नी के रिश्ते काे प्रेमपूर्ण और अटूट बनाए रखने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है.