ओडिशा में 20 टन से ज्यादा साेने का भंडार मिला

19 Aug 2025 16:29:57
 
 

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ओडिशा के कई ज़िलाें में साेने के भंडार की पुष्टि के बाद, ओडिशा भारत में साेने के खनन के लिए एक संभावित नए केंद्र के रूप में उभरा है. हाल ही में खनिज अन्वेषण परियाेजनाओं के दाैरान भारतीय भूवैज्ञानिक सर्वे क्षण (जीएसआई) द्वारा इस स्थल की पहचान की गई थी, जिसके परिणामस्वरूप खनन और नीलामी रणनीति में तत्काल रुचि पैदा हुई. ओडिशा में 20 टन से ज्यादा साेने का भंडार मिलने की खबर सामने आयी है.जीएसआई ने कई स्वर्ण भंडाराें की पुष्टि की है, जिनमें देवगढ़ (अदासा-रामपल्ली), क्याेंझर, सुंदरगढ़, नबरंगपुर, अंगुल और काेरापुट शामिल हैं, और मयूरभंज, संबलपुर, मलकानगिरी और बाैध में आगे अन्वेषण कार्य जारी है.एक रिपाेर्ट के अनुसार, मार्च 2025 में ओडिशा के खान मंत्री विभूति भूषण जेना द्वारा विधानसभा में इन निष्कर्षाें की पुष्टि के बाद ये स्थल प्रकाश में आए.
हालांकि, अभी तक काेई आधिकारिक आंकड़े जारी नहीं किए गए हैं. लेकिन भूवैज्ञानिक संकेतकाें के आधार पर,विश्लेषकाें ने अनुमान लगाया है कि भंडार 10 से 20 मीट्रिक टन के बीच हाे सकता है, हालांकि भारत के स्वर्ण आयात की मात्रा के मुकाबले यह मामूली है.इस बीच, भारत ने पिछले वर्ष लगभग 700- 800 मीट्रिक टन साेना आयात किया क्याेंकि घरेलू साेने का उत्पादन बहुत कम है, 2020 तक सालाना केवल 1.6 टन यही कारण है कि ओडिशा में साेने के स्थलाें की खाेज भारत के स्वर्ण परिदृश्य में काेई बड़ा बदलाव नहीं लाएगी; हालांकि, यह निश्चित रूप से घरेलूनिष्कर्षण और आर्थिक विविधीकरण के द्वार खाेलेगा.ओडिशा माइनिंग काॅर्पाेरेशन (ओएमसी) और जीएसआई के साथ मिलकर, राज्य सरकार इन खाेजाें के व्यावसायीकरण के प्रयासाें काे तेज़ कर रही है, और देवगढ़ में पहले स्वर्ण खनन ब्लाॅक की नीलामी की याेजनाएं चल रही हैं जाे ओडिशा के खनिज क्षेत्र के लिए एक महत्वपूर्ण माेड़ साबित हाेगा.
संसाधनाें की पुष्टि के लिए, भारतीय भूवैज्ञानिक सर्वे क्षण (जीएसआई) अदासा-रामपल्ली और गाेपुर-गाजीपुर जैसे क्षेत्राें में जी3 (प्रारंभिक सर्वेक्षण) से जी2 स्तर (विस्तृत नमूनाकरण और ड्रिलिंग) की ओर अपनी खाेज काे आगे बढ़ा रहा है. इसकी पुष्टि और व्यवहार्यता के बाद, ये स्वर्ण भंडार क्षेत्रीय विकास काे बढ़ावा दे सकते हैं, जिससे बुनियादी ढांचे में निवेश और राेज़गार, खनन गतिविधि, परिवहन सुविधाओं और स्थानीय सेवाओं में तेज़ी आ सकती है.आयात पर निर्भरता कम हुई है, हालांकि यह व्यापार संतुलन काे नाटकीय रूप से बदलने के लिए पर्याप्त नहीं है.
 
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