मुंबई, 21 अगस्त (वि.प्र.) शहरी नक्सलियाें की बजाय यहां अनुशासन लाओ. क्या कबूतर इंसानाें से ज़्यादा ज़रूरी हैं? ट्रैफिक जाम हटाओ, डूबते शहर काे बचाओ, मुंबई और महाराष्ट्र के शहराें में प्रवासी मज़दूराें का आना बंद कराे, महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना प्रमुख राज ठाकरे ने मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस से एक भावुक अपील की है. फडणवीस की गुरुवार की बैठक इन्हीं मुख्य मुद्दाें पर केंद्रित थी.
राज ठाकरे ने कहा कि उन्हाेंने इसके लिए मुख्यमंत्री काे एक छाेटी विकास याेजना दी है.मुंबई आने वाले लाेगाें की संख्या सीमित हाेनी चाहिए. मुख्यमंत्री की बैठक के बाद एक प्रेस काॅन्फ्रेंस में राज ठाकरे ने अपनी दृढ़ राय व्यक्त की कि जब तक दूसरे राज्याें के शहराें का विकास नहीं हाेगा, मुंबई पर दबाव कम नहीं हाेगा.
पिछले कुछ महीनाें में मुख्यमंत्री फडणवीस के साथ हुई अपनी बातचीत काे याद करते हुए, राज ठाकरे ने कहा कि उन्हाेंने यातायात की भीड़भाड़, पार्किंग और नगर नियाेजन पर आधारित एक विस्तृत याेजना सरकार काे साैंपी है. उन्हाेंने सुझाव दिया कि खुली जगहाें के नीचे 500 से 1000 कारें पार्क की जा सकती हैं, और उन खुली जगहाें का उपयाेग बरकरार रहेगा.राज ठाकरे ने कहा कि मैंने देवेंद्र फडणवीस काे एक छाेटी सी याेजना दी है. इस बैठक में पुलिस कमिश्नर भी माैजूद थे. वे इस याेजना पर काम करेंगे. अनाधिकृत पार्किंग के बारे में क्या किया जा सकता है, सरकार काे क्या कदम उठाने चाहिए. हमने एक प्रेजेंटेशन दिया कि क्या उपाय किए जा सकते हैं.
राज ठाकरे ने कहा कि शहराें में लाेग और इमारतें ताे राेज़ बढ़ रही हैं, लेकिन सड़कें जस की तस हैं. पुनर्विकास के नाम पर अनाधिकृत काम हाे रहे हैं. पार्किंग अनुशासन लागू करना ज़रूरी है. जाे पार्किंग स्थल बनाए गए हैं, वहां भी लाेग अपनी गाड़ियां नहीं खड़ी करते. यह रवैया बदलना चाहिए.
बेस्ट की हार मामूली बात
हाल ही में बेस्ट पतपेढ़ी की 21 सीटाें के लिए चुनाव हुए थे. उद्धव और राज ठाकरे ने पहली बार साथ मिलकर यह चुनाव लड़ा था. इसलिए यह ख़ास चर्चा में रहा. हालांकि, ठाकरे काे इस चुनाव में हार का सामना करना पड़ा. शशांक राव के पैनल के 14 उम्मीदवार जीते, जबकि महायुति के सहकार समृद्धि पैनल के 7 उम्मीदवार चुने गए. प्रेस काॅन्फ्रेंस में राज ठाकरे से इस हार के बारे में पूछा गया.
कड़ा रुख अपनाएं
राज ठाकरे ने कहा कि सरकारी ज़मीनाें पर झुग्गियां बन जाती हैं, लेकिन निजी ज़मीनाें पर झुग्गियां कभी नहीं दिखतीं. इसका मतलब है कि सरकार काे कहीं न कहीं कड़ा रुख अपनाना ही हाेगा. सिर्फ शहरी नक्सलियाें का शाेर मचाने से काेई फायदा नहीं है. यातायात अनुशासन भी बेहद ज़रूरी है. गाैतम अडानी के गले में ज़मीन ठूंसी जा रही है. वहां क्या विकास हाेगा? ऊंची इमारतें बनाने से कुछ नहीं हाेगा, उसके लिए ज़मीन पर विकास करना हाेगा