मैं कुत्ताें का बहुत बड़ा प्रशंसक हूं. कुछ वर्ष पहले दिल्ली में एक आवारा कुत्ते ने मुझे बुरी तरह काट लिया था. मेरे एक मित्र मुझे पूर्वी कैलाश तक छाेड़ने के लिए गए. जहां मैं रुका हुआ था. मैं कार से उतर कर कार काे पीछे करने में उनकी मदद कर रहा था. कि तभी अचानक एक कुत्ता कहीं से आया और उसने मेरी पिंडली पर काट लिया. संयाेग से मैं अपने भतीजे के पास ठहरा था, जाे एक डाॅ्नटर है.उसने मुझे दर्द निवारक दवा दी और मरहम-पट्टी की.
सुबह चाय पीते व्नत घर में चाैका-बर्तन करने वाली ने मेरे पैर पर पट्टी बंधी देखकर पूछा. आपकाे भी काटा उसने? वह मुझे भी दाे बार काट चुका है.उसी दिन से एंटी-रेबीज के इंजे्नशन लगने शुरू हाे गए. एक इंजे्नशन 350 रुपये का था और महीने भर में पांच खुराक के 1750 रुपये खर्च करने पड़े. यह एक आवारा कुत्ते से सामना हाेने के लिए साप्ताहिक ईएमआई थी. काश! काेई पेटा या अमीर पशु प्रेमी मेरे लिए इतने पैसे दे देता. लेकिन ऐसा नहीं हाेता, अगर कुत्ते ने आपकाे काटा है ताे कीमत आपकाे ही चुकानी पड़ेगी या फिर मरना पड़ेगा. संसद में पेश आंकड़ाें के अनुसार, वर्ष 2024 में देश भर में 37 लाख से ज्यादा कुत्ताें के कांटने के मामले सामने आए और रेबीज के कारण 54 लाेगाें की संदिग्ध रूप से माैत हाे गई.
हाल ही में सुप्रीम काेर्ट ने आदेश दिया कि निश्चित समय-सीमा के अंदर एनसीआर क्षेत्र से सभी आवारा कुत्ताें काे हटाया जाए. अचानक कुत्ताें के बजाय बड़ी संख्या में कुत्ता प्रेमी सड़काें पर उतर आए और टीवी स्टूडियाे में दिखने लगे. बहस के दाैरान आंसू बहाते हुए ये लाेग टीवी एंकराें पर ऐसे टूट पड़े, जैसे उन्हें ही काट खाएंगे. किसी भी एंकर ने कुत्ताें के अधिकाराें के लिए लड़ने वालाें से यह नहीं पूछा कि उनमें से कितनाें का कुत्ताें ने कभी पीछा किया, कितनाें काे बेचारे कुत्ताें के झुंड द्वारा बुरी तरह घायल किया या काटा गया है.उन्हें अस्पताल में 20 टांके लगवाने पड़े. मुझे यकीन है कि यह संख्या न के बराबर हाेगी. विभिन्न अनुमानाें के मुताबिक, एनसीआर में आवारा कुत्ताें की संख्या छह से दस लाख तक है और राष्ट्रीय स्तर पर यह संख्या करीब छह से सात कराेड़ है. आवारा कुत्ताें के बढ़ते हमलाें काे देखते हुए सरकार उनकी नसबंदी करने की प्रक्रिया में तेजी लाने के विकल्प पर विचार कर रही है. सरकार एक नसबंदी के लिए आम ताैर पर विभिन्न एजेंसियाें काे आठ साै से पंद्रह साै रुपये देती है. यह राशि अपर्याप्त मानी जा रही है, क्योंकि सर्जरी, पशु चिकित्सकाें की फीस, कम से कम तीन दिनाें तक कुत्ते के भाेजन और आवास का खर्च कहीं ज्यादा है. पशु अधिकार कार्यकर्ताओं का कहना है कि यह राशि कम से कम 1,800-2,200 रुपये हाेनी चाहिए. सात कराेड़ का दाे हजार से गुणा करें, ताे यह राशि बहुत अधिक हाे जाएगी. लेकिन, नसबंदी करने भर से कुत्ताें के काटने या ‘कुत्ताें के झुंड’ के हमले नहीं रुकेंगे, क्योंकि नसबंदी के बाद उन्हें अपने हाल पर छाेड़ दिया जाएगा. समस्या यह है कि लाेग गला फाड़कर चिल्ला ताे रहे हैं, पर समाधान किसी के पास नहीं है. कुछ लाेग कहते हैं कि उन्हें ताजा हवा और खुशी के लिए जंगलाें में छाेड़ दाे, उन्हें ऐसे आश्रयाें में भेज दाे, जाे माैजूद ही नहीं हैं आदि. वहां मर्फी का नियम सटीक बैठता है.
किसी भी समस्या काे बहुत जटिल बनाया जा सकता है. यदि उस पर खूब बहस हाे! हम बस बहसाें में उलझे हुए हैं.
घर में रखने पर वै्नसीन समेत एक कुत्ते का मासिक खर्च औसतन ढाई हजार रुपये आएगा. भारत में 6.3 कराेड़ एमएसएमई और करीब तीन लाख कारखाने हैं. इसके अलावा, लाखाें भंडारण गाेदाम भी हैं. उनमें से प्रत्येक काे सुरक्षा की जरूरत हाेती है. ऐसे में ये कुत्ते सभी प्रतिष्ठानाें की सुरक्षा का बड़ा जरिया हाे सकते हैं. आठ घंटे की शिफ्ट के लिए एक गार्ड काे करीब 15,000 रुपये प्रतिमाह देने पड़ते हैं. इससे सुरक्षा मजबूत हाेगी और खर्च भी कम हाेगा. उन्हें जर्मन शेफर्ड हाेने की भी जरूरत नहीं है, काेई भी नस्ल घुसपैठिये काे देखकर भाैंक सकती है. इससे बेजुबानाें काे अच्छा जीवन मिल जाएगा और पेटा भी इससे खुश हाेगा.
पेटा से ताे इस याेजना के क्रियान्वयन पर नजर रखने के लिए कहना चाहिए.
कंपनी अधिनियम, 2013 द्वारा परिभाषित भारत में काॅरपाेरेट साेशल रिस्पांसिबिलिटी (सीएसआर) गतिविधियाें में गरीबी उन्मूलन, शिक्षा और स्वास्थ्य सेवा काे बढ़ावा देना, पर्यावरणीय, स्थिरता सुनिश्चित करना तथा राष्ट्रीय विरासत और संस्कृति का समर्थन करना शामिल है. एक या कई कुत्ताें के रखरखाव की लागत काे सीएसआर ऑफसेट में शामिल किया जा सकता है. कुत्ता प्रेमी और एनजीओ इस उद्देश्य के लिए एक काेष बना सकते हैं. उन्हें कुत्ताें काे दान देकर खुश हाेने दें. अगर आप बाल अधिकार, गरीबी उन्मूलन, स्वास्थ्य देखभाल, शिक्षा, पर्यावरण संरक्षण मानव अधिकार और आपदा राहत के लिए किसी भी एनजीओ काे दान दे सकते हैं, ताे कुत्ताें के लिए क्यों नहीं? पूरे भारत में अनेक एनजीओ जानवराें के अधिकार संरक्षण के लिए काम कर रहे हैं.
पेटा के अंतर्गत एक एनजीओ-एम्लाॅयमेंट एंड डिग्निटी फाॅर डाॅग्स (ईडीएफओडी) बनाएं. राॅयसी व्हाइट के अनुसार यदि आप यथास्थिति काे नहीं बदल सकते, ताे आप बदलाव लाएं. पीपल फाॅर द एथिकल ट्रीटमेंट ऑफ एनिमल्स (पेटा) दुनिया का सबसे बड़ा पशु मु्नित संगठन है. वैश्विक स्तर पर एक कराेड़ से ज्यादा इसके सदस्य और समर्थक हैं.
-वीरेंदर कपूर