रिश्तों पर तकनीक की मार : परिवार के बदलते समीकरण

31 Aug 2025 15:07:56

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पुणे, 30 अगस्त (आज का आनंद न्यूज नेटवर्क)

आज के दौर में तकनीक ने हमारे जीवन को सरल बनाया है. स्मार्टफोन और आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस जैसी सुविधाओं ने घंटों का काम मिनटों में पूरा करना संभव कर दिया. लेकिन इसके साथ ही एक कड़वी सच्चाई भी सामने आई है. रिश्तों में दूरी और संवाद की कमी. परिवार के भीतर पति-पत्नी, माता-पिता और बच्चों के बीच बातचीत घटती जा रही है. तकनीक से मिलने वाली कनेक्टिविटी ने हमें अपनों से डिस्कनेक्ट कर दिया है. इसी विषय पर समाज के विभिन्न लोगों ने अपने विचार दै. आज का आनंद के लिए प्रो.रेणु अग्रवाल से बातचीत में व्यक्त किए. प्रस्तुत है उनकी बातचीत के प्रमुख अंश-   प्रो. रेणु अग्रवाल (मो. 8830670849)
घर में संवाद की कमी
तकनीक ने हमें एक-दूसरे से जोड़ने के बजाय घर की दीवारों में और भी दूर कर दिया है. पतिपत्नी के बीच संवाद का टूटना और बच्चों पर उसका असर वाकई चिंता का विषय है. स्मार्टफोन से बाहर निकलकर यदि परिवार एक साथ समय बिताए तो न सिर्फ रिश्तों में गर्माहट लौटेगी, बल्कि आने वाली पीढ़ी भी सही संस्कारों से जुड़ पाएगी.
-एड. योगेश जय ठाकुर, औरंगाबाद
 
 
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तकनीक का सही उपयोग करना ही समाधान
यह सच है कि टेक्नोलॉजी ने दुनिया को करीब ला दिया है, लेकिन इसका अति-उपयोग ही तनाव और दूरी का कारण है. यदि हम सामने बैठे व्यक्ति को प्राथमिकता दें और मोबाइल को सीमित रखें तो रिश्तों में मिठास बनी रह सकती है. पारिवारिक खेल, घूमना-फिरना और प्रत्यक्ष बातचीत रिश्तों को पहले जैसा जीवंत बना सकते हैं.
-एड. मीनल प्रशांत निकम, संभाजीनगर
 

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रिश्तों से ऊपर नहीं हो सकती टेक्नोलॉजी
एआई और आधुनिक टेक्नोलॉजी ने हमारा जीवन आसान तो किया है, लेकिन इसकी कीमत हमारे रिश्तों से चुकानी पड़ रही है. घंटों का काम मिनटों में करने वाली यह तकनीक हमें आलसी और असंवेदनशील बना रही है. असली मायने में जीवन की सफलता तभी है जब हमारे अपने रिश्तेदार और प्रियजन हमारे साथ हों. रिश्ते टूट जाएं तो तरक्की का कोई महत्व नहीं रह जाता. -एड.सुरेन्द्र गोरखनाथ पोतदार, औरंगाबाद
 
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तकनीक का संतुलित इस्तेमाल
तकनीक अपने-आप में न तो अच्छी है और न ही बुरी. फर्क सिर्फ इस बात से पड़ता है कि हम उसका उपयोग किस तरह करते हैं. यदि हम वीडियो कॉल या सोशल मीडिया से जुड़े रहते हुए भी अपने परिवार को पर्याप्त समय दें, तो रिश्ते और मजबूत होंगे. साझा गतिविधियाँ, आपसी बातचीत और धैर्य से विवादों का समाधान कर रिश्तों को संवार सकते हैं.
-एड. विजय गंगातीरे, औरंगाबाद
 

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वेिशास और समय ही रिश्तों की डोर
किसी भी रिश्ते की मजबूती का आधार वेिशास और प्यार है. लेकिन आजकल मोबाइल और टीवी ने हमारे पास से समय ही छीन लिया है. परिणामस्वरूप बातचीत का अभाव है और रिश्तों में दरारें आ रही हैं. यह सच है कि सोशल मीडिया ने हमें दुनिया से जोड़ दिया, मगर अपनों से दूर कर दिया. रिश्तों की असली मजबूती तभी है जब हम घर के लोगों को प्राथमिकता दें. -एड. आरती राजेश महतोले, सातारा
 
 
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परिवार को प्राथमिकता देना ही सुख का सूत्र
आज मोबाइल और सोशल मीडिया ने रिश्तों में दरारें डाल दी हैं. लेकिन हमें यह समझना होगा कि खुशहाल जीवन का असली रहस्य परिवार को समय देना है. माता-पिता, पत्नी और बच्चे ही हमारी प्राथमिकता होने चाहिए. अगर हम घर में मोबाइल को सीमित रखें और अपने प्रियजनों से बातचीत को बढ़ावा दें, तो न सिर्फ रिश्ते बल्कि हमारी खुद की खुशी भी सुरक्षित होगी. -एड.योगेश शिवाजीराव तुपे पाटिल, विशेष सरकारी वकील, सिडको छत्रपति संभाजीनगर

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